- पुलिस प्रशासन ने स्कूल का सामान निकालकर फेंक दिया, खुद अपनी जेब से पैसे देकर चला रही है स्कूल

- बेसिक शिक्षा विभाग कई बार शासन को लिख चुका है लेटर

BAREILLY:

बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों को मजाक बना कर रख दिया है। कहीं किराए के जर्जर भवन में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। वही दूसरी ओर शिक्षा विभाग को खुद की जगह नहीं मिली तो मंदिरों और धर्मशालाओं में स्कूलों को खोल दिया। मंदिरों में सुबह को पूजा करने के लिए लाइन लगती तो वहीं दूसरी ओर बच्चों की क्लास चलती है। धर्मशाला में कई बार शादी पार्टी के शोर के बीच बच्चों की क्लास चल रही होती है।

मढ़ीनाथ के संतोषी माता के मंदिर में चल रहा है स्कूल

दरअसल मढ़ीनाथ स्थित संतोषी माता के मंदिर में प्राथमिक विद्यायल कई वर्षो से चल रहा है। जब हमारी टीम इस स्कूल में पहुंचंी तो स्कूल बंद मिला। आस पास के लोगों से पता किया तो पता चला कि मैडम स्कूल जल्दी बंद कर दिया। एबीआरसी अनिल चौबे ने बताया कि यह स्कूल यहां पर शिफ्ट किया गया है। पहले यह स्कूल इसी एरिया के किसी घर में चलता था। जब वह घर ढह गया तो मजबूरी में इस स्कूल को यहां पर शिफ्ट करना पड़ा। कई लेटर लिखने के बाद भी स्कूल को कहीं शिफ्ट नही किया गया।

ख्वाजाकुतुब स्थित एक धर्मशाला में भी स्कूल

जब हमारी टीम शहर के ख्वाजा कुतुब इलाके में पहुंची तो यहां एक निजी धर्मशाला में भी एक स्कूल संचालित है। अंदर जाकर देखा तो धर्मशाला के फ‌र्स्ट फ्लोर पर ख्वाजा कुतुब प्राथमिक विद्यायल था। लोगों ने बताया कि विद्यायल यहां पर कई वर्षो से है। नगर शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इस स्कूल के बारे में उन्हें कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। क्योंकि, जब से उन्होने यहंा ज्वाइन किया है। तभी इस स्कूल को यहीं पर संचालित देख रहे हैं।

पुलिस लाइन से फेंक दिया सामान

चौपुला बगिया इलाके के मंदिर में भी चौपुला प्राथमिक विद्यालय चल रहा है। स्कूल की सहायक अध्यापिका व प्रभारी हेडमास्टर सुबोध कुमारी ने बताया कि यह स्कूल पुलिस लाइन में चलता था, लेकिन वर्ष 2000 में पुलिस वालों ने स्कूल का पूरा सामना बाहर निकला कर फेंक दिया और बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद उन्होंने स्कूल किसी दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट कराने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।

खुद किराया दिया तो मिली जगह

सुबोध कुमारी ने बताया कि शिक्षा विभाग ने भी उनकी गुहार अनसुनी कर दी तो इस मंदिर की समिति के सचिव स्कूल के लिए मंदिर की जगह देने के लिए तैयार हुए, लेकिन उन्होंने इसके लिए 350 रुपए मासिक किराया मांगा। जबकि शिक्षा विभाग की ओर से मैक्सिमम किराया केवल 135 रुपए ही है। इसके चलते उन्होंने अपनी जेब से 350 रुपए हर महीने देना शुरू कर दिए, और वर्ष 2000 से लेकर अब तक यह स्कूल यहीं पर चल रहा है।

हमारी ओर से कई बार इन स्कूलों को हटाने के लिए और अपनी खुद की बिल्डिंग में शिफ्ट कराने के लिए शासन को पत्र लिख दिया है, लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ।

अनिल चौबे, एबीआरसी नगर क्षेत्र