भारी बस्ता कैंपेन

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डाक्टर्स बोले, बच्चे के वजन से दस फीसदी से अधिक नही होना चाहिए बैग का वेट

PRAYAGRAJ: एक शोध में कहा गया है कि भारी बस्ता उठाने वाले 13 साल की आयु वर्ग के 68 फीसदी स्कूली बच्चों को पीठ दर्द की शिकायत हो सकती है। उनका कूबड़ा भी निकल सकता है। उन्हें स्लिप डिस्क, स्पांडलाइटिस, पीठ में लगातार दर्द, रीढ़ की हड्डी कमजोर होने जैसी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खुद डॉक्टर्स के पास ऐसे मामले आने लगे हैं। जिसके जिम्मेदार वह स्कूल हैं जिनके यहां बच्चों को भारी बस्ता उठाने पर मजबूर किया जाता है।

पहले बच्चे की सेहत संभालिए

डॉक्टर्स का कहना है कि स्कूल अपनी आदत से बाज नही आएंगे। ऐसे में पैरेंट्स को अपने बच्चों के कंधे, पीठ और कमर को मजबूत बनाना चाहिए। इसके लिए कैल्शियम और विटामिन जैसे सप्लीमेंट्स की बहुत अधिक जरूरत होती है। बच्चों के भोजन में इनकी अधिकतम मात्रा होनी चाहिए। इससे उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं और वह अधिक वजन उठाने के लिए सक्षम हो जाते हैं। लेकिन ऐसा देखने में नही आ रहा है। आजकल के बच्चे दूध पीने की जगह फास्ट फूड खाना अधिक पसंद करते हैं।

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किलोग्राम औसत है इंटर तक के बच्चों के बैग का वजन

200

दिन साल में कम से कम स्कूल में क्लासेज लगती हैं

3200

किलो वजन बस्ते के रूप में साल भर में कैरी करता है बच्चा पीठ पर

01

ट्रक पर लोड सामान का वजन भी तीन टन के आसपास होता है

10

फीसदी होना चाहिये बच्चे के वजन उसके कुल वजन के अनुपात में

इन बातों का रखना चाहिए ध्यान

बच्चा कमर, कंधे या पीठ दर्द की शिकायत कर रहा है तो कैल्शियम और विटामिन की जांच कराएं।

बस्ते का वजन जरूर लें। अगर दस फीसदी से भारी है तो इसकी शिकायत स्कूल को दर्ज कराएं।

बच्चे के क्लास का टाइम टेबल पास रखें। सुनिश्चित करें कि बच्चा जरूरत की ही कापी-किताब लेकर स्कूल जा रहा है

पानी की बोतल का वजन भी जरूर चेक करें क्योंकि बच्चा उसे भी बैग में ही रखकर जाता है

बच्चे को रेगुलर एक्सरसाइज की आदत डालनी चाहिए।

बस्ते को हाथ या कंधे पर लादने के बजाय बच्चे की पीठ पर लादना चाहिए।

डॉक्टर्स के आंकड़े

50

फीसदी बच्चे जोड़ों के दर्द से परेशान

30

फीसदी बचचे कमर दर्द से परेशान

45

फीसदी बच्चे हड्डी रोग से पीडि़त

बच्चों के बस्ते भारी नही होने चाहिए। वजन ज्यादा होने पर बच्चों की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है। उन्हें कमर, कंधे, पीठ दर्द की शिकायत होती है। इससे बचने के लिए बच्चों को विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन आदि का डोज देना चाहिए।

डॉ। जितेंद्र जैन,

हड्डी रोग विशेषज्ञ

18 साल से कम उम्र के बच्चो की हड्डिया नर्म होती हैं। उनके कंधों पर अधिक बोझ नही देना चाहिए। स्कूलों को चाहिए कि वह टाइम टेबल के हिसाब से उतनी किताबें लाने को कहे जिनका वजन बच्चे के वजन से दस फीसदी से अधिक न हो।

डॉ। आनंद सिंह,

फिजीशियन