The Rickshaw Revolution

- परिवहन मंत्रायल के फरमान के बाद बैट्री रिक्शे की पौ बारह

- किफाईती और एनवायरमेंट फ्रेंडली होने से पैसेंजर्स से लेकर चलाने वाले तक कर रहे हैं पसंद

-सिटी के प्रमुख रूट्स पर अचानक बढ़ गई बैट्री रिक्शों की संख्या

-बैट्री रिक्शा पर आरटीओ रजिरूट्रेशन नहीं होने से रूट की बाध्यता नहीं

kanpur@inext.co.in

KANPUR। बैटरी चलित रिक्शा को आरटीओ से मुक्त रखने के आदेश के बाद सिटी में अचानक ही जैसे रिक्शा रेवोल्यूशन सी आ गई है। और इस रिक्शा क्राति में केवल बैट्री रिक्शा बेचने वाली कंपनियों या रिक्शा चलाने वालों की नहीं, कम्यूटर्स और पब्लिक की भी मौज हो गई है। जहां कंपनी वाले बैट्री रिक्शा जैसा नया वाहन शहर में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं सैकड़ों बेरोजगार ये रिक्शा चलाकर रोजगार चला रहे हैं। पब्लिक को भी सिटी के प्रमुख रूट्स पर सस्ता, सुलभ और तेज परिवहन मिल रहा है। इतना ही नहीं, बैट्री रिक्शों की संख्या लगातार बढ़ते जाने से शहर का पॉल्यूटेड एनवायरमेंट कुछ हद तक सुरने की उम्मीद है। इस बैट्री रिक्शा के किफायती होने की वजह से ये लोगों की पसंद बनता जा रहा है। शहर की प्रमुख सड़कों से लेकर गली-नाकों तक में दिखने लगा है।

बैट्री रिक्शा में दिखा चोखा धंधा

कैनाल रोड पर इको व्हील इंटरनेशनल नाम से बैटरी चलित रिक्शा का शोरूम चलाने वाले विवेक मित्तल ने बताया कि ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी के बैटरी चलित रिक्शा पर दिए गए बयान के बाद अचानक से रिक्शा मार्केट में उछाल आया है। पिछले एक हफ्ते में कई लोग रिक्शा के बारे में क्वारी करने के लिए आए हैं। जिनमें से कुछ ने बुकिंग भी करा ली है। वहीं कई लोगों से बात भी चल रही है। जिनसे जल्द ही ढेरों बुकिंग होने की उम्मीद है।

रजिस्ट्रेशन का लफड़ा खत्म किए जाने से लोकप्रियता बढ़ी

बैट्री रिक्शा पर आरटीओ रजिस्ट्रेशन का डर खत्म हो गया है। वर्ना आरटीओ से कॉमर्शियल वाहन रजिस्ट्रेशन के नाम पर होने वाली भागदौड़ व परेशानियों के कारण ही बहुत से लोग बैट्री रिक्शा नहीं ले रहे थे। अब वो लोग भी रिक्शा लेने का मन बना रहे हैं। विक्रेता विवेक ने बताया कि आरटीओ में रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ टैक्स व परमिट रूटों के चक्कर से भी लोग डरे हुए थे। पर अब लोगों के सिर से ये डर खत्म हो गया है। वहीं रिक्शा वाले भी रूट के चक्कर में न पड़कर कहीं भी रिक्शा लेकर जा सकते हैं।

वैसे तो ये हाल है

आटो से परेड चौराहे से लेकर नरोना चौराहे तक जाने के सफर में किराया तो 7 रुपये लगता है। लेकिन रास्ते में कई तरह की परेशानियों से जूझना भी पड़ता है। पहली बात तो ये कि आटो में अंदर जगह कम थी। जिसके चलते दब कर बैठना होता है। आटो में पीछे तीन पैसेंजर्स बैठाए जाते हैं। जो ठस-ठस कर बैठते हैं। वहीं चारो ओर से आटो रिक्शा कवर होता है। जिसके चलते बैठने में काफी सफोकेशन का सामना भी करना पड़ता है।

किराया तो कम लेकिन खड़े होने में निकला दम

वहीं दूसरी बार रिपोर्टर परेड चौराहे से नरोना चौराहे तक बस से सफर करता है। इस सफर के दौरान किराया भ् रुपये पड़ता है। लेकिन ये भ् रुपये काफी भारी पड़ते हैं। परेड चौराहे पर बस रुकते ही देखा कि बस ठसाठस भरी है। अंदर पैर रखने की भी जगह नहीं। जैसे-तैसे रिपोर्टर चढ़ गया लेकिन पूरे रास्ते खड़े-खड़े ही नरोना चौराहे पहुंचा है। ऊपर से इस भीषण गर्मी में जबरदस्त सफोकेशन का सामना भी करना पड़ा।

ये आराम का मामला है !

रिपोर्टर परेड चौराहे से नरोना चौराहे तक बैटरी चलित रिक्शा में बैठकर जाता है। रिक्शा चारो ओर से खुला है। इसलिए कहीं भी रास्ते में सफोकेशन नहीं होता। रिक्शे के अंदर पर्याप्त जगह थी। जिससे बैठने में काफी आराम रहा। जगह होने से सामान रखने में भी सुविधा रही। वहीं किराया आटो के बराबर का 7 रुपये ही पड़ा।

दिल्ली से आई, सात महीने में छाई

बैटरी पावर्ड इलेक्ट्रिक ट्राइसाइकिल यानी कि इको व्हील करीब 7 माह पहले दिल्ली से आई थी। सिटी में विवेक मित्तल व उनके दोस्त इसको लेकर आए थे। कैनाल रोड में शोरूम डालकर इस इको फ्रैंडली रिक्शे को बेचना शुरु किया। शुरुआत में तो लोगों को समझ में नहीं आया। लेकिन बाद में अच्छा रिस्पांस मिलने लगा। सिटी में ये रिक्शे क् लाख क्0 हजार से क् लाख ख्0 हजार के बीच में मिलते हैं। इंडियन व चाइनीज कंपनी इसे बनाती है। इंडियन कंपनी से बना रिक्शा ज्यादा मुफीद रहता है। सवा माह में एक बार रिक्शे की सर्विस करानी होती है। सिटी में इस समय करीब सवा सौ रिक्शे हैं। रिक्शा खरीदने के बाद म्00 रुपये में नगर-निगम में इनका रजिस्ट्रेशन हो जाता है।

प्रदूषण रोकने में सहायक

बैटरी चलित रिक्शों की सबसे खास बात ये है कि ये प्रदूषण रोकने में सहायक है। इसमें पेट्रोल, डीजल आदि का यूज नहीं होता है। गाड़ी को मोबाइल की तरह चार्ज करना पड़ता है। इसकी बैटरी एक बार में 7-8 घंटे में फुल चार्ज होती है। जिसके बाद 80 से 90 किलोमीटर तक आसानी से चलता है। रिक्शे की स्पीड ख्0-ख्भ् किलोमीटर तक है। इसलिए इसकी ड्राइव कानपुर की सड़कों और यहां के ट्रैफिक में सुरक्षित भी है।

मेंटीनेंस होता है कम

बैटरी चलित रिक्शे में मेंटीनेंस कम होता है। इसका इंजन तीन तरह की पावर का होता है। 88, 90, क्00 एम्पियर की पावर का होता है। सवा माह में एक बार रिक्शे की सर्विस करानी होती है। रिक्शे की बैटरी की क्षमता के हिसाब से इसके रेट्स तय होते हैं। रिक्शे दो तरह के होते हैं। माल वाहक व पैसेंजर वाहक। माल वाहक पांच कुंतल व पैसेंजर्स वाहक चार कुंतल तक का भार ढो सकते हैं। इसकी बैटरी की म् माह की गारंटी होती है। इसमें चार सवारी तक बैठ सकती हैं।

बैट्री रिक्शा के फायदे:-

- आरटीओ का खर्च नहीं।

- 80 से क्00 किलोमीटर का माइलेज।

- पेट्रोल, डीजल व अन्य ईंधन का खर्च नहीं।

- भारतीय रोड्स के अनुकूल।

- प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में सहायक।

- मेंटीनेंस का खर्च नहीं।

- न्वाइस पॉल्युशन नहीं होता है।

- बनावट के चलते बैठने में खूब जगह मिलती है।

-खुला होने से सफोकेशन नहीं होता

-स्पीड लिमिटेड होने और बॉडी हल्की होने से इसकी सवारी सेफ है