- ठंड शुरू होते ही होने लगती है वेस्ट में चहलकदमी

-पुलिस ने बावरियों से निपटने की रणनीति शुरू की

- पिछली सर्दियों में कई घटनाओं को दिया अंजाम

sunder.singh

Meerut : मौसम का पहला कोहरा जहां अपने साथ ठंड का पैगाम लेकर आता है। वहीं एक अनजाना डर भी सताने लगता है। ठंड शुरू होते ही वेस्ट में बावरिया गिरोह का आतंक शुरू हो जाता है। इन्हें कच्छा बनियान गिरोह के नाम से भी जाना जाता है। पिछली सर्दी में अकेले मेरठ जिले में आधा दर्जन घटनाओं को बावरियों ने अंजाम दिया था। बावरियों का अपराध करने का अपना अलग तरीका होता है। पुलिस ने अभी से गिरोह की निगरानी शुरू कर दी है।

क्या होते हैं बावरिया

बावरिया एक घुमंतू जनजाति है। आबादी से दूर सड़क के किनारे डेरा डालकर रहने वाली यह जाति स्वभाव से ही क्रूर होती है। यही कारण है कि इनका गिरोह लूट की वारदात को जहां भी अंजाम देता है। हत्या या मारपीट जरूर करता है। इसे कच्छा बनियान गिरोह के नाम से भी जाना जाता है। मुजफ्फरनगर के झिंझाना में तो 28 से ज्यादा गांव इस जनजाति से भरे पड़े हैं। इसके अलावा अलीगढ़ में बड़ी संख्या में बावरिये पाए जाते हैं। मेरठ में किठौर, सरधना के अलावा टीपीनगर क्षेत्र वारदात के लिए बावरिया गिरोह का पसंदीदा रहा है।

कैसे करते हैं वारदात

- ये लोग एक साथ पांच से दस लोग गिरोह बनाकर क्राइम करने घरों से निकलते हैं

-दिवाली के दिन ये लोग पूजा-पाठ कर अपने पैत्रृक स्थान को छोड़कर वारदात के लिए निकलते हैं।

- ये जिस जिले में धावा बोलते हैं शहर या देहात क्षेत्र में आबादी से बाहर अपना हेड क्वार्टर बनाते हैं।

-भीख मांगने के बहाने ये अपना शिकार तलाश करते हैं। साथ ही एक रात में चार से छह स्थानों को टारगेट कर धावा बोलते हैं

-अपने हेड क्वार्टर से निकलते समय ये पूजा-पाठ करते हैं। खास बात यह है कि जब तक पूरा गिरोह घर वापस नहीं लौटता महिलाएं अखंड ज्योति जलाती हैं।

-पहले यह गिरोह ट्रेनों व बसों में सफर करता था, लेकिन अब कुछ गिरोह के सदस्यों ने अपनी गाडि़यां भी खरीद ली हैं।

-यह गिरोह अपने पास हथियार नहीं रखता। वारदात से पहले कुछ दूरी से ही डंडों अथवा सरियों का इंतजाम करता है।

-घटना स्थल से कुछ दूर पहले ये अपने कपड़े उतार देते हैं। केवल कच्छा और बनियान पहनकर अपराध करते हैं।

-गिरोह के सदस्य वारदात से पहले शरीर पर तेल मलते हैं। ताकि पकड़े जाने पर फिसलन के कारण आसानी से छूट जाएं।

-शिकार के घर धावा बोलते ही लूटपाट से पहले यह गिरोह हत्या और मारपीट का दौर शुरू कर देता है। विशेषकर सिर और नाक को निशाना बनाते हैं।

- हत्या मारपीट व लूट करने के बाद ये लोग घटना स्थल या उसके आस-पास शौच भी करते हैं। यह बावरिया गैंग की पुष्टि समझी जाती है। जानकारों के अनुसार यह उनका टोना-टोटका भी है।

-वारदात के समय कोड भाषा में बातचीत करते हैं।

- वारदात के बाद बिछड़ जाने पर विशेष आवाजें निकालकर गिरोह एक स्थान पर एकत्र हो जाता है।

- रातभर वारदात करने के बाद सुबह तक गिरोह अपने हेड क्वार्टंर में होता है।

पिछले साल हुई घटनाएं

-3 नवंबर 2014 को किला थाना क्षेत्र गांव पूठी में बावरिया गिरोह ने लूटपाट के बाद पूरे परिवार को सरियों से पीटकर घायल कर दिया था

- 5 नवंबर 2014 को मोदीनगर में कच्छा बनियान गिरोह ने लूटपाट के दौरान महिला की डंडों से पीटकर हत्या कर दी थी।

- 11 दिसंबर 2014 को लावड़ में कच्छा बनियान गिरोह के सदस्यों ने पूरे परिवार को निशाना बनाया था। जिसमें महिलाओं सहित घर के चार सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

पिछले वर्ष कच्छा बनियान गिरोह ने काफी वारदातों को अंजाम दिया था। इस तरह के अपराध को काबू में करने के लिए अभी से निगरानी शुरू कर दी गई है।

ओपी सिंह, एसपी सिटी मेरठ