JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक नवजात बच्चे का बदलने का आरोप लगाते हुए उसके परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मौके पर होमगार्ड के जवानों ने पहुंचकर मामले को शांत कराया।

ईचागढ़ निवासी शिशुपाल महतो ने बताया कि उसकी पत्नी बोधनी महतो को बीते सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार की रात सर्जरी कर उसका प्रसव हुआ। यह बच्चा समय से पूर्व यानी सात माह 12 दिन में हुआ था। इसलिए काफी कमजोर था। बच्चे का वजन सिर्फ एक किलो 400 ग्राम था। उसे सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए उसे एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) भेज दिया गया। इलाज के क्रम में रात करीब 12 बजे नवजात बच्चे की मौत हो गई।

परिजनों को दी जानकारी

इसके बाद नर्सो ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। मौत की खबर सुनकर परिजन मानने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि मेरा बच्चा स्वस्थ्य था। उसके माथे पर निशान था, जो नहीं है। बुधवार की सुबह परिजन इस बात पर अड़ गए कि वह उनका बच्चा नहीं है और हंगामा करने लगे। शिशुपाल ने बताया कि मृत बच्चा उनका नहीं है। वहीं नर्सो का कहना है कि मृत बच्चा उन्हीं का है। जो टोकन मृत बच्चे के पैर पर था, वहीं टोकन शिशुपाल के पास है। बच्चे के माथे पर निशान था, जो दवा लगाने के बाद हट गया है। इसकी जानकारी उपाधीक्षक डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी को हुई तो उन्होंने गंभीरता से लिया और पूरे मामले की जांच करवाई। इसमें मृत बच्चा शिशुपाल का ही होने का दावा किया गया। हालांकि, शिशुपाल इसे मानने को तैयार नहीं है। इसकी शिकायत उन्होंने साकची थाने में भी दर्ज कराई है।

बच्चा बदलने का आरोप बिल्कुल गलत है। शिकायत मिलने के बाद इसकी जांच मैंने खुद करवायी, जिसमें बच्चा उन्हीं का पाया गया है। परिजनों को दिया गया टोकन और मृत बच्चे के शरीर पर लगा टोकन एक ही है। ऐसे में बच्चा बदलने का सवाल ही नहीं होता। निशान को लेकर परिजनों को गलतफहमी है।

-डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।