- 63 कुख्यात अपराधी मारे गये

- 3430 ईनाम घोषित अपराधी जेल गये

- 650 अपराधी मुठभेड़ में घायल

- 4 जवान शहीद

- 173 करोड़ की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट में जब्त

- 9866 की जमानत कैंसिल

- 14746 अपराधियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई

 

-तीन साल के शुरुआती आठ महीनों के आंकड़े दे रहे गवाही

-हत्या, लूट, डकैती व चोरी की घटनाओं में कमी

-तीन साल में दोगुना हुआ साइबर क्राइम

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LUCKNOW: सीएम योगी ने सत्ता संभालते ही प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया। कई अपराधी एनकाउंटर में ढेर किये गए तो हजारों अपराधियों ने अपनी जमानतें कटाकर जेल जाना मुनासिब समझा। इसका असर भी दिखा और प्रदेश में संगीन घटनाओं मसलन हत्या, लूट, डकैती व रोड होल्डअप आदि में खासी कमी देखी गई। हालांकि, इसके ठीक उलट साइबर क्राइम की घटनाओं में इजाफा जरूर पुलिस की पेशानी पर बल लाने वाला है। वजह भी साफ है, साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले क्रिमिनल्स दूसरे प्रदेश व विदेश में बैठकर अपनी करतूतों को अंजाम देते हैं, नतीजतन, पहले तो उनकी पहचान मुश्किल होती है, अगर पहचान हो भी गई तो उन तक पहुंचना पुलिस के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

ताबड़तोड़ कार्रवाई ने तोड़ी अपराधियों की कमर
प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ छेड़े गए अभियान के तहत 63 कुख्यात अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। जबकि, 3430 ईनाम घोषित कुख्यात अपराधी जेल भेजे गए। इस दौरान 650 अपराधी मुठभेड़ में घायल भी हुए हैं। हालांकि, अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस को भी कीमत चुकानी पड़ी। इन मुठभेड़ों में पुलिस के 4 जवान शहीद हुए। अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ही असर था कि गैंगस्टर एक्ट में 173 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई और 14746 अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी की गई। पुलिस के ही खौफ का आलम है कि अपराधी जमानत कैंसिल करा कोर्ट में सरेंडर कर रहे हैं। वर्ष 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि अब तक कुल 9866 अपराधी जमानत कैंसिल करा कर जेल चले गए।

घट गए संगीन अपराध
सरकार की ओर से अपराधियों के खिलाफ पुलिस को मिली खुली छूट ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.जहां वर्ष 2016 की 1 जनवरी से 31 जुलाई के बीच 2766 हत्या की वारदातें हुई वहीं, 2017 में इस मियाद में 2562 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके उलट इस वर्ष इसमें कमी देखी गई। इस साल इसी मियाद में 2505 हत्या की वारदात हुई। लूट के आंकड़ों में भी जहां वर्ष 2016 में 2307 घटनाएं सामने आई वहीं, 2017 में 2460 तो इस वर्ष 1986 वारदातें ही अंजाम दी गई। एक अन्य संगीन अपराध डकैती की वारदातों की बात करें तो वर्ष 2016 में जहां 149 घटनाएं हुई वहीं, 2017 में यह बढ़कर 151 जबकि इस वर्ष इसमें कमी आई और यह आंकड़ा 100 के नीचे यानि सिर्फ 94 ही रह गया। इसी तरह रोड होल्ड अप, फिरौती के लिये अपहरण, रेप की घटनाओं में भी कमी आई है।

साइबर क्राइम में यूपी बना अव्वल
संगीन अपराधों में कमी के उलट साइबर क्राइम के मामलों में यूपी बीते छह साल से अव्वल बना हुआ है। जहां वर्ष 2016 में प्रदेश भर में साइबर क्राइम के 2408 मामले दर्ज थे वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 3793 तक जा पहुंचा। वहीं, 2018 के शुरूआती आठ महीनों में साइबर क्राइम के मामलों की संख्या 4856 तक जा पहुंची है। यहां यह बताना जरूरी है कि साइबर क्राइम में सर्वाधिक मामले ऑनलाइन ठगी के हैं। जिन्हें प्रदेश के बाहर से अंजाम दिया गया है। इनमें एटीएम कार्ड का पासवर्ड पूछकर मनी ट्रांसफर या फिर ऑनलाइन शॉपिंग जैसे अपराध हैं। इन अपराधों की जांच भी लंबे समय तक पेंडिंग रहती है, क्योंकि प्रदेश में सिर्फ दो साइबर थाने एक लखनऊ और एक नोएडा में हैं। इसके अलावा दो साइबर क्राइम सेल लखनऊ व आगरा में हैं। हाल ही में डीजीपी ओपी सिंह ने प्रदेश के सभी जिलों में साइबर क्राइम सेल खोलने का आदेश दिया। हालांकि, इसमें अभी लंबा वक्त लगने की संभावना है। सीमित संसाधन और दूसरे प्रदेश व विदेश में बैठे अपराधियों द्वारा इन घटनाओं को अंजाम देने की जानकारी होने के बावजूद इन तक पहुंचना पुलिसकर्मियों के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

बॉक्स

अपराध 2018 2017 2016

हत्या 2505 2562 2766

लूट 1986 2460 2307

डकैती 94 151 149

बलवा 5077 5505 4513

रोड होल्डअप 0 0 1

अपहरण 21 28 33

रेप 2444 2614 2041

साइबर क्राइम 4856 3793 2408