-बीसीबी के फर्जी प्राइवेट एडमिशन के फार्म छपवाकर बेचने का मामला

-बीसीबी ने फॉर्म छपवाने में बरती लापरवाही, इसलिए छप गया फेक फार्म

>BAREILLY

बीसीबी के प्राइवेट एडमिशन फॉर्म छपवाकर बेचने के मामले में भले ही एमएससी के फाइनल ईयर के छात्र का नाम सामने आया है, लेकिन इसमें भी बीसीबी की लापरवाही भी कम नहीं है। बीसीबी ने एडमिशन फार्म छापने में कोई सावधानी नहीं बरती। इसलिए नकली फॉर्म छपने में दिक्कत नहीं आई। फिलहाल, मामले में नकली फार्म छपवाने वाला एमएससी का स्टूडेंट छात्रनेता घिरता नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर बीसीबी की चार सदस्यी कमेटी अब 40 हजार फॉर्म में से असली-नकली की पहचान करने के लिए सभी फॉर्म को छांटेगी।

सिर्फ सीरियल नंबर ही छापे

मालूम हो कि बीसीबी में दिसंबर से प्राइवेट एडमिशन शुरू किए थे। उसने स्टूडेंट्स के फार्म यूनिवर्सिटी को फॉरवर्ड करने के लिए एक फार्म छपवाया। इसमें बीसीबी मैनेजमेंट ने गोपनीयता का ध्यान नहीं रखा। उसने केवल सीरियल नंबर से फार्म छपवाए। सुरक्षा के मद्देनजर न तो उस पर कोई लोगो लगवाया, न ही कोई कोड अंकित करवाया। इसके साथ ही मैनेजमेंट ने पहले पतले कागज पर फार्म छपवाया, बाद में फार्म का कागज मोटा कर दिया।

कर्मचारी नहीं कर पाए पहचान

फार्म के कागज में अंतर का फायदा छात्र नेता ने उठाया। उसने नकली फार्म छपवाकर स्टूडेंट्स को बेच दिए। वहीं फार्म का कागज बदलने पर कर्मचारी यह नहीं भांप सके कि कौन सा फार्म असली है और कौन सा नकली है। उन्होंने सभी फार्म लेकर स्टूडेंट्स को रसीद दे दी।