मुंबई (पीटीआई) : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपना रवैया नरम करते हुए सोमवार को कहा कि वह अगले छह महीने तक राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के साथ काम करेगा। बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों और प्रशासकों की समिति (सीओए) की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चेयरमैन शशांक मनोहर के साथ हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। बैठक में भविष्य के वैश्विक टूर्नामेंटों में दो करोड़ 20 लाख डॉलर (150 करोड़ रुपये) की कर छूट के संबंध में भी बात हुई और बीसीसीआई ने मनोहर को अपनी भुगतान योजना से अवगत कराया।

किन खिलाड़ियों का लिया जाएगा सैंपल

बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'आईसीसी, बीसीसीआई और नाडा के बीच त्रिपक्षीय करार होगा, जिसके तहत पंजीकृत पूल में शामिल खिलाडि़यों के नमूने राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला (एनडीटीएल) में नाडा के जरिये जाएंगे। इससे पहले स्वीडन की आइडीटीएम नमूने एकत्र करती थी। हम अगर संतुष्ट नहीं हुए तो करार का नवीनीकरण नहीं होगा।' बोर्ड ने अभी तक नाडा को अपने रुख से अवगत नहीं कराया है। नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने कहा, 'मैं तभी टिप्पणी करूंगा जब कोई लिखित पुष्टि मिलेगी। मैंने अभी आधिकारिक सूचना नहीं दी है।'

भरोसे पर उठे थे सवाल

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने आईसीसी से साफ तौर पर कहा कि बीसीसीआई को नाडा के दायरे में आना होगा। बीसीसीआई इस शर्त के साथ तैयार हो गया कि वह खुद मूत्र के नमूने एकत्र करके नाडा को देगा। अधिकारी ने कहा, 'हमने कहा कि नाडा के डोप नियंत्रण अधिकारियों पर हमारा भरोसा नहीं है। नाडा के डीसीओ द्वारा नमूने को सही ढंग से एकत्र नहीं करने के काफी उदाहरण मिले हैं। हम यहां विराट कोहली और महेंद्र सिंह धौनी जैसे भारतीय खेलों के सबसे बड़े नामों की बात कर रहे हैं। हम उन पर आंख बंदकर भरोसा नहीं कर सकते। हम 10 प्रतिशत नमूने ही मुहैया कराएंगे, जो न्यूनतम जरूरत है। इसमें शीर्ष राष्ट्रीय क्रिकेटरों और कई प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों के नमूने शामिल होंगे।

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