असल में खेल मंत्रालय ने एक नोट तैयार किया है जिसमें क्रिकेट और अन्य खेलों के प्रबंधन को लेकर व्यापक योजना है जिस पर कैबिनेट विचार करने वाली है। अगर कैबिनेट इस नोट को मंज़ूरी देती है इसे नए खेल विधेयक के रुप में संसद में पेश किया जा सकता है।

इस नोट में बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में रखने की बात है। उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई पर पूर्व में कई तरह के आरोप लगते रहे हैं। आईपीएल के आयोजन के मामले में भी बीसीसीआई सवालों के घेरे में रही है और पारदर्शिता को लेकर आलोचना लगातार होती रही है।

इसके अलावा इस नोट में यह प्रस्ताव भी रखा गया है कि विभिन्न खेल बोर्डों के अध्यक्षों की उम्र 70 साल तय कर दी जाए ताकि इसके बाद बोर्ड के अध्यक्ष बदले जाएं। इस समय कई खेलों बोर्डों के अध्यक्ष राजनेता हैं और 70 की उम्र पार कर चुके हैं।

बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाने जाने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता और बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का कहना था कि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि बीसीसीआई सरकार से धन नहीं लेता है।

उन्होंने प्रस्तावित खेल विधेयक के प्रस्तावों पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और कहा कि जो भी संगठन सरकार से धन लेते हों उन्हें आरटीआई के दायरे में रखा जाना चाहिए।

सरकार के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि नए विधेयक के ज़रिए भारत में क्रिकेट को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। उधर जाने माने क्रिकेट खिलाड़ी कपिल देव ने कहा है कि बीसीसीआई को उदाहरण पेश करना चाहिए और खुद को आरटीआई के दायरे में रखना चाहिए। हालांकि बीसीसीआई अभी भी इसके पक्ष में नहीं दिख रही है।

Cricket News inextlive from Cricket News Desk