सोमवार को चेन्नई में बीसीसीआई की कार्यसमिति की बैठक के बाद पत्रकार सम्मेलन में बोर्ड के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने कहा कि टीम के प्रायोजन और आईपीएल में उनकी टीम पुणे वॉरियर्स के मामले में सहारा ने जो मुद्दे उठाए थे, वे वर्किंग कमेटी के सामने रखे गए और सहारा को अब कमेटी का जवाब बता दिया गया है।

श्रीनिवासन ने उम्मीद जताई कि सहारा इस बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। ग़ौरतलब है कि वर्ष 2001 से टीम इंडिया के आधिकारिक प्रायोजक रहे सहारा इंडिया समूह ने हाल ही में बीसीसीआई और इंडियन प्रीमियर लीग 'आईपीएल' से अपना नाता तोड़ लिया था।

बोर्ड अध्यक्ष श्रीनिवासन का कहना था कि स्पॉन्सरशिप का मामला सार्वजनिक नहीं है। इस बारे में जो भी बातचीत बैठक में हुई, वो सहारा को बता दी गई है और बोर्ड अब उनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करेगा। श्रीनिवासन ने इस बात से भी इंकार किया कि सहारा के अलग होने से आर्थिक संकट हो सकता है।

उन्होंने कहा, "बीसीसीआई को नुकसान नहीं हो रहा, हमारे प्रायोजक कहीं नहीं जा रहे। अपनी प्रॉपर्टीज़ के लिए हमारे पास काफ़ी प्रायोजक हैं। एक प्रायोजक के साथ कुछ मुद्दे हो सकते हैं लेकिन हमने दिखाया है कि हम उन्हें सुलझाने के लिए लचीलापन ला सकते हैं। इसलिए ये कहना ठीक नहीं है कि हमारे पास प्रायोजक नहीं होंगे."

युवराज सिंह का मामला

सहारा ने वर्ष 2010 में आईपीएल में पुणे वॉरियर्स की फ्रेंजाइजी 1702 करोड़ रूपए में खरीदी थी। इस टीम के कप्तान युवराज सिंह हैं जो फ़िलहाल कैंसर का इलाज कराने के लिए अमरीका में हैं। इसके चलते उनका आईपीएल के पांचवे संस्करण में खेलना संदिग्ध है।

सहारा का कहना था कि वे इस वजह से युवराज सिंह की नीलामी राशि के साथ पिछले दिनों हुई नीलामी में जाना चाहते थे मगर बीसीसीआई ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी इजाज़त नहीं दी थी।

इस बारे में एन श्रीनिवासन का कहना था, "सहारा ने पिछले साल आईपीएल में मैचों की संख्या, उनके द्वारा बीसीसीआई को दी गई बैंक गारंटी और पुणे वॉरियर्स टीम के बारे में भी मुद्दे उठाये थे। मुझे बताया गया है कि नियमों के मुताबिक सहारा युवराज सिंह की जगह दूसरा खिलाड़ी ला सकता है। बीसीसीआई ने अपने नियम संहिता के अंतर्गत सकारात्मक जवाब दिया है। लेकिन हमने ये भी कहा है कि हम किसी एक टीम के लिए नियम नहीं बदल सकते."

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