जीएमसी का दावा, यह होंगे काम
पार्क में तालाब का सुंदरीकरण कराया जाएगा। इसके लिए ट्रैक्टर लगाकर काम कराया गया है। कुछ दिनों पहले पार्क का इंस्पेक्शन करने गए नगर आयुक्त आरके त्यागी ने इस पार्क को ठीक करने का निर्देश दिया। उनके निर्देश पर पार्क में दो दिन पहले ट्रैक्टर लगाकर मिट्टी की खुदाई कराई गई है। डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर गोपीकृष्ण ने बताया कि पार्क का डे्रनेज सिस्टम ठीक कराया जाएगा। एक सैंपवेल बनाया जाएगा। एक्वेरियम को ठीक करा दिया गया है। डक झूले को ठीक कराया जाएगा। इसके अलावा धीरे-धीरे सभी गड़बड़ियों को दुरुस्त करा दिया जाएगा। पार्क में जुआरियों और स्मैकियों को रोकने के लिए पुलिस का इंतजाम भी किया जाएगा। नेहरू पार्क सहित चार पार्कों को प्राइवेट कंपनी के हाथों सौंपा जाएगा। ताकि यहां फिर से चहल-पहल बहाल हो सके।

पहले भी 115 लाख हुए हैं खर्च
वर्ष 2006 में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने 115.55 लाख रुपये का बजट इस पार्क को दिया। ताकि पैसे से पार्क की सुंदरता बढ़ाई जा सके। इतने रुपये का बजट कहां गया किसी को पता नहीं लेकिन पार्क की बदहाली दिनोंदिन बढ़ती चली गई। पार्क की बाउंड्री से सटकर लोगों ने मकान की दीवार बना दिया है। लोगों के घरों का गंदा पानी भी पार्क में गिरता है।

जुआरियों, स्मैकियों का है अड््डा
गेट के भीतर घुसते ही पार्क की बदहाली नजर आने लगती है। पार्क में कुत्ते घूमते हैं तो झाड़ियों की वजह से दिन भर स्मैकियों और जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता था। जगह-जगह बाउंड्री टूटी होने से लोग आराम से भीतर चले आते हैं। चौकीदारों का कहना है कि मनबढ़ मना करने पर जानमाल की धमकी देते हैं। शिकायत करने पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती है।

कबाड़ में बेचने लायक हुए फर्नीचर
समुचित देखभाल के अभाव में पार्क में लगे लोहे के फर्नीचर कबाड़ बन चुके हैं। ज्यादातर कुर्सियों, मेज, झूलों की हालत ऐसी हो गई है कि उनको कबाड़ में बेचा जा सके। बच्चों के झूले, तालाब में किनारे लगे बेंच इत्यादि भी टूटे हुए हैं।

ना जाने कब से प्यासी है झील
नाव से सैर करने के लिए बनी झील रेगिस्तान की माटी हो गई है। पानी न होने से झील में उगी घासों को पब्लिक काटकर पशुओं का चारा बनाती थी। झील के चारों तरफ बनी सीढ़ियां भी टूटी फूटी दशा में है। कुछ दिनों पहले जीएमसी ने ट्रैक्टर लगाकर पोखरे की मिट्टी निकलवाई है। बारिश होने पर थोड़ा पानी भरा है।

रफ्तार भूल गए हैं फव्वारे
पार्क में लगे फव्वारे अपनी रफ्तार भूल गए हैं। वाटर सप्लाई न होने से फव्वारे बेकार पड़े हैं। पानी की टोटियां भी टूटी पड़ी है। फौव्वारों के पास बनी नालियां भी टूट चुकी है। इसके अलावा पार्क से गंदा पानी निकालने को लगा पंप भी खस्ताहाल हैं। उनके पार्ट-पुरजे भी गायब होने लगे हैं।

स्मैकिए ले गए लैंप पोस्ट
पार्क में लाइटिंग का खासा इंतजाम था। लेकिन उपेक्षा की वजह से पार्क में लगे लैंप पोस्ट में कुछ को स्मैकिए चुरा ले गए हैं। इसके अलावा किसी पर बल्ब नहीं है। काफी दिनों से लैंपपोस्ट खराब पड़े हैं। इनको जलाने में चार गुनी मशक्कत करनी पड़ेगी।

चार कर्मचारियों के जिम्मे हैं पार्क
जब यह पार्क शुरू हुआ तो यहां पर 42 कर्मचारी काम करते थे। लेकिन धीरे- धीरे ये कर्मचारी भी लापता हो गए। ज्यादातर कर्मचारियों को जीएमसी से अटैच कर दिया गया। अब पार्क की पूरी जिम्मेदारी चार कर्मचारियों के जिम्मे है। एक बुकिंग क्लर्क के अलावा तीन चौकीदार तैनात हैं। हालत यह है कि चौकीदारों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पाता है। फ्रेश होने और नहाने का कोई इंतजाम नहीं है।

मछलियों की तरह गटक गए पैसा
पार्क में लोगों के मनोरंजन के लिए एक्वेरियम बनाया गया है। उसमें मछलियों को रखा जाता था। अलग से बने इस खास एक्वेरियम केलिए स्पेशल बजट जारी हुआ था। इसमें टाइल्स लगाने के नाम पर आए रुपयों को ठेकेदार मछली की तरह चट कर गए। तभी से यह बंद पड़ा हुआ है।

शहीद स्मारक बनाकर भूल गए
शहीद राम प्रसाद बिस्मिल को समर्पित शहीद स्मारक भी उपेक्षा का शिकार हो गया है। स्मारक के ऊपरी हिस्से पर पीपल का पौधा उग आया तो नीचे का हिस्सा पीकदान में बदल रहा है। 16 सितंबर 2005 को शहीद स्मारिका का लोकार्पण करने के बाद जिम्मेदार उसको भूल गए।

लालडिग्गी पार्क सहित सिटी के चार पार्कों को एक निजी कंपनी को ठेके पर देखरेख के लिए दिया जाएगा। इसकी तैयारी चल रही है। कंपनी के हाथों में जाने के बाद पार्क पहले की तरफ से गुलजार हो सकेगा।
जीतेंद्र केन, चीफ इंजीनियर, जीएमसी

पार्क की व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रोसेस शुरू हो गई है। पार्क की घासों को काटने के साथ लाइट्स वगैरह को ठीक किया जाएगा। एक्वेरियम ठीक करा दिया गया है।
गोपीकृष्ण श्रीवास्तव, डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर

 

report by : arun.kumar@inext.co.in