- बीएड एंट्रेंस प्रोग्राम की तैयारियां शुरु, मेरठ में 28 सेंटर

- दो साल का बीएड और नौकरी की नहीं है कोई आशा

- दो साल और फीस भी ज्यादा से बीटीसी में हो रही एंट्री

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध सैकड़ों बीएड कॉलेज पिछले साल बंदी के कगार पर पहुंच गए थे। जिन्होंने अपने यहां एडमिशन लेने के लिए काफी धोखाधड़ी की थी। काउंसलिंग से लेकर एडमिशन तक बड़ा खेल हुआ था। इस बार तो यह खेल और भी बड़ा हो सकता है। इस बार बीएड दो साल की कर दी गई है। जिसको लेकर स्टूडेंट्स का क्रेज इसके प्रति घटने की उम्मीद है। साथ ही बीटीसी की ओर रुझान बढ़ रहा है। अप्रैल में होने वाली बीएड प्रवेश परीक्षा इस बार राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड द्विवर्षीय प्रवेश परीक्षा लखनऊ यूनिवर्सिटी कंडक्ट करा रही है। जिसकी तैयारियां लगभग शुरु कर दी गई है।

यह है सीन

सेशन ख्0क्ब्-क्भ् में बीएड एक साल का है। जिसमें काउंसलिंग के दौरान सेल्फ फाइनेंस कॉलेज बीएड एडमिशन के लिए तरस गए थे। काफी कॉलेजों ने गलत तरीके से एडमिशन किए थे। जिन्होंने कैंडीडेट्स के सीक्रेट नंबर लेकर एडमिशन अपने कॉलेज में दिखा दिए। कई कॉलेजों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी। पिछली बार ही जब एडमिशन लेने वालों की संख्या कम थी तो इस बार दो साल का बीएड करने वाले और भी कम हो जाएंगे। संभावना है कि बीएड कॉलेजों में इस बार भी समस्या कम होने के बजाय बढ़ेगी।

एंट्रेंस की तैयारी

इस बार राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड द्विवर्षीय प्रवेश परीक्षा सेशन ख्0क्भ्-क्7 लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा कराई जा रही है। ख्भ् अप्रैल को बीएड एंट्रेंस एग्जाम होना है। जिसके लिए तैयारियां शुरु हो गई है। मेरठ में करीब क्फ्9फ्0 कैंडीडेट्स एग्जाम में शामिल होंगे। जिसके लिए करीब ख्8 सेंटर बनाए जाने हैं। वहीं गाजियाबाद में 8क्7म् स्टूडेंट्स के लिए क्8 सेंटर और सहारनपुर में ब्9म्ब् के लिए दस सेंटर बनाए जाने हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी को शासन ने आदेश दे दिए हैं। यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर सेंटर तय करेगी।

इस बार हो सकती है समस्या

एक तरफ जहां शासन एंट्रेंस कराने जा रहा है, बीएड के नाम पर खुले कॉलेजों में इस बार हालत और भी खराब होने की संभावना है। माना जा रहा है कि दो साल का बीएड और फीस भी दुगुनी होने के कारण कैंडीडेट्स कम होंगे। साथ ही बीएड की जगह बीटीसी को अधिक इंपोर्टेस दी जा रही है। जिससे बीएड कॉलेजों को और भी झटका लग रहा है। ऐसे में कैंडीडेट्स को अपने पास लाने के लिए कॉलेजों को पापड़ बेलने पड़ेंगे। जिसके लिए इस बार फिर काउंसलिंग में कैंडीडेट्स को अपनी ओर खींचने के लिए जुगत लगाएंगे।