बेढ़ई से कोरोनरी आर्टरी डिजीज
डॉक्टर्स की मानें तो पूरे आगरा में ही सुबह का नाश्ता बेढ़ई माना जाता है। यहां के लोगों के लिए सुबह-सुबह बेढ़ई का नाश्ता उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। सुबह बेढ़ई और दोपहर के बाद समोसे उनकी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गए हैैं। इसके साथ ही जलेबी भी जरूरी है। लेकिन यही बेढ़ई और समोसे के साथ जा रहे चिकनाई उनके दिलों की आर्टरीज को Žलॉक कर रही हैैं। चिकनाई से खून में कॉलेस्ट्राल बढ़ जाता है। यही आर्टरीज को Žलॉक करता है।
तंबाकू भी है एक बड़ा कारण
कोरोनरी आर्टरी डिजीज का एक बड़ा कारण आगराइट्स द्वारा किया जाने वाला तंबाकू का सेवन भी है। डॉक्टर्स का मानना है कि आगरा बेल्ट के लोग बहुत ज्यादा तंबाकू का सेवन करते हैैं। इसके साथ ही सिगरेट और बीड़ी पीने वाले लोगों की संख्या भी बहुत ज्यादा है.तंबाकू भी Žलॉकेज को बढ़ाता है। इससे नसें सिकुड़ती हैैं और दिल के दौरों में इजाफा हो जाता है।
हार्ट वॉल्व की दिक्कत भी बढ़ीं
पिछले ही दिनों फोर्टिस हॉस्पिटल में एक 17 साल की लड़की के दिल के वॉल्व बदले गए हैैं। बस्तियों में रहने वाले लोगों में यह समस्या ज्यादा मिलती है। अगर बचपन में बच्चे को बार-बार बुखार हो या उसका गला खराब हो तो लोग इसे ज्यादा अहमियत नहीं देते हैैं। लेकिन यही सामान्य सा बुखार या गला खराब की दिक्कत बाद में दिल के वॉल्व को खराब कर देती है। इस बीमारी में कीटाणु दिल के वॉल्व को प्रभावित करते हैैं। लीकेज होता है और उससे वॉल्व सिकुडऩे लग जाता है।
ज्यादा से ज्यादा लें फाइबर
अपने दिल को हेल्दी रखने के लिए आपको थोड़ा सा स्वार्थी होना होगा। यह कहना है रेनबो हॉस्पिटल की डायटिशियन रेणुका डंग का। वे बतातीं हंंै कि अपनी डायट में लिविंग फूड यानि कच्ची सŽिजयां, फलों को शामिल करें। फ्रूट जूस, सŽिजयों का जूस आदि ज्यादा से          ज्यादा लें। घी का इस्तेमाल कम कर दें। सरसों के तेल और ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। खाने की प्लेट भरने से पहले सोचिए उसमें क्या न्यूट्रिशियन है। नॉनवेज से दूर रहें।

रोजाना बिकती है हजारों बेढ़ई

आगरा में ही हर रोज 100-200 नहीं बल्कि हजारों की संख्या में बेढ़ई बिक जाती हैैं। एक हलवाई एक दिन में सुबह के समय ही कम से कम 2000 से ज्यादा बेढ़ई सेंकता है।

कैसे बचें इन बीमारियों से

कोरोनरी आर्टरी डिजीज से बचने के लिए चिकनाई का सेवन कम करें। रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल करें। नमक और मिर्च कम खाएं। वजन नियंत्रित रखें। सैर करें, एक्सरसाइज करें। हरे पत्तों वाली सŽिजयां ज्यादा खाएं। सलाद ज्यादा खाएं। रूमेटिक हार्ट डिजीज से बचने के लिए कोई परहेज नहीं हैं। बस गला खराब होने या बुखार होने की स्थिति में उसे हल्के में ना लें। डॉक्टर से प्रॉपर ट्रीटमेंट कराएं।
यहां की बेढ़ई है मशहूर

सेंट जोंस चौराहे पर मिलने वाली बेढ़ई, सत्तो लाला शाहगंज, राजामंडी चौराहे की तेल वाली, कारगिल चौराहे पर मिलने वाली, देवीराम की, भगत हलवाई की, भगवान टॉकीज पर दाऊजी की, संजय प्लेस में एलआईसी बिल्डिंग के नीचे, संजय प्लेस में शहीद स्मारक के पीछे।
छोटी सी उमर में लग रहा रोग

पहले जहां कोरोनरी आर्टरी डिजीज 65 साल की उम्र के बाद होती थी। वहीं अब यह बीमारी 45 साल में ही लोगों को अपना शिकार बना रही है.  इसी तरह रूमेटिक हार्ट डिजीज भी 20 से 40 साल की उम्र में ही आगराइट्स को घेर रही हैैं। पहले इसकी उम्र 50 साल से ज्यादा की थी।
पुरूषों के दिल कमजोर

कोरोनरी आर्टरी डिजीज पुरूषों में ज्यादा होती है क्योंकि वो तंबाकू और सिगरेट का सेवन ज्यादा करते हैैं। वॉल्व ख्रराब होने की दिक्कत लेडीज और जेंट्स दोनों में बराबर है। लेकिन रूमेटिक हार्ट डिजीज की शिकार महिलाएं ज्यादा होती हैैं।

डॉ। अनिल कै। वैद्य, फोर्टिस एस्कोर्ट्स हॉस्पिटल

मैैं फोर्टिस हॉस्पिटल में 100 से ज्यादा हार्ट की सर्जरीज कर चुका हूं। पिछले कुछ समय में जितनी तेजी से आगराइट्स में हॉर्ट प्रॉŽलम्स देखने को मिली हैैं। उससे हैरान हूं। लोगों में अवेयरनेस की कमी है। लोग अब भी दिल्ली इलाज के लिए भागते हैैं। जबकि फोर्टिस में ही दिल के हर रोग का इलाज हो रहा है-


डॉ। सीआर रावत, हार्ट स्पेशलिस्ट

इन दिनों हार्ट अटैक्स के रोगी बहुत आ रहे हैैं। यह समस्या यंगस्टर्स में ज्यादा देखने को मिल रही है। बेढ़ई डीप फ्राई होती है, ट्रांसफैट होता है। असली घी की बेढ़ई भी मिलती है। इससे कॉलेस्ट्राल बढ़ता है, इसीलिए हार्ट अटैक्स की समस्या ज्यादा होती है। महीने में एक बार खा लें लेकिन रोज खाने वाले हार्ट प्रॉŽलम्स को खुद ही न्यौता देते हैैं।