GORAKHPUR: शहर में कुछ ही अच्छे पार्क हैं, उसमें एक पं। गोविंद बल्लभ पंत पार्क भी है। यूनिवर्सिटी के ठीक सामने इस पार्क में चार-पांच किमी। दूर तक से लोग टहलने के लिए पहुंचते हैं। सुबह-सुबह मॉर्निग वाक के बाद पार्क से बाहर निकल चाय की चुस्की के साथ तरह-तरह की चर्चा चलती रहती है। शुक्रवार को सुबह यहां आई नेक्स्ट रिपोर्टर पहुंचा तो चर्चा जारी थी।

सन्नी पांडेय: देखो भैया, आप कुछ भी कह लो, अखिलेश ने यूपी में विकास किया है। इसलिए मेरा मानना है कि एक बार मौका दिया जाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति यादववाद न फैलाए तो कोई अवगुण नहीं है।

विनय त्रिपाठी (सन्नी का समर्थन करते हुए): हां, सन्नी भाई आप सही कह रहे हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन से पार्टी और मजबूत हो गई है। अखिलेश का काम बोल रहा है। हालांकि बीजेपी भी कहीं से कम नहीं है। बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर होगी।

(बीच में टोकते हुए)

श्याम सुंदर: देखिए, आप लोग कुछ भी कहिए। सत्ता में तो भाजपा ही आएगी। जातिगत पार्टियां जनता के लिए कुछ भी नहीं करती हैं। सपा ने विकास तो किया, लेकिन कभी यादववाद से बाहर नहीं निकल पाई। बहनजी को ही ले लीजिए। उनकी पार्टी में एसएसी/एसटी को ज्यादा वेट मिलता है। ऐसे में बीजेपी ही ऐसी पार्टी दिखती है जो जाति के आधार कोई काम नहीं करती है।

राम भरोसे सिंह: बिल्कुल सही कह रहे हैं। सपा ने काम तो किया है लेकिन बीजेपी को इसलिए मौका दिया जाना चाहिए ताकि वह जाति-पाति छोड़कर समान विकास करे। प्रदेश में यह परिर्वतन बेहद जरूरी है।

अरुण श्रीवास्तव: प्रदेश में अखिलेश ने काफी विकास किया है, जातिवाद उनके परिवार की देन है। अब तो अखिलेश सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हो चुके हैं, ऐसे में उनके पास पूरा मौका है। इसलिए अखिलेश को फिर से मौका देना चाहिए।

कृष्ण मोहन तिवारी: एकदम सही कह रहे हैं। अखिलेश ने विकास किया है लेकिन विकास केन्द्र से भाजपा ने भी कम काम नहीं किया है। खैर, अच्छी बात यह है कि विकास करें या न करें, इस बार सपा हो या बीजेपी, विकास की राजनीति तो कर रही हैं। इस बार का चुनाव बेहद इंट्रेस्टिंग है। इस तरह की राजनीति अच्छी है प्रदेश के विकास के लिए।

(बीच में टोकते हुए)

रवि त्रिपाठी: कृष्ण मोहन जी, आप देखिएगा। सपा फिर से सत्ता में आएगी। नोटबंदी का ग्रामीण क्षेत्रों में असर पड़ा है। बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर भले ही हो लेकिन सपा की ही सरकार बनेगी।

चाय वाले का कोट

एक-दो नहीं, 15 साल हो गए भैया यहां दुकान लगाते हुए। सुबह से लेकर शाम तक लोग पहुंचते रहते हैं। बाकी दिन इधर-उधर की बातें करते हैं तो इन दिनों राजनीति की चर्चा हो रही है। जो भी आता है, अपनी पसंद की सरकार बनाकर चला जाता है। भैया, हमको इससे मतलब नहीं है कि किसकी सरकार बने, बस जिसकी भी बने, सबका भला होना चाहिए। अपना भी एक वोट है। उसी को देंगे जो विकास करेगा। भैया लोग जाति की बात करते हैं लेकिन जब रोड बनती है तो उस पर सब चलते हैं और नहीं बनती तो सब परेशान होते हैं। अब रोड तो जाति देखकर बनेगी नहीं। विकास से ही बनेगी ना? इसलिए मेरा मानना है कि वोट उसी को देना चाहिए जो विकास करे।

- प्रहलाद, चाय दुकानदार