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बिल संशोधन के नाम पर 589 करोड़ के बिल 105 करोड़ में सेटल कर दिए

-केस्को में चल रहा है इलेक्ट्रिसिटी बिल संशोधन के नाम पर बड़ा खेल

-बिल कम करने के नाम पर केस्को इम्प्लाइज करते हैं जमकर वसूली

-एक साल में करीब 60 हजार लोगों के 483.31 करोड़ कम कर दिए बिल

KANPUR : केस्को के कारनामों की फेहरिस्त बड़ी लंबी-चौड़ी है। वे किसे कितना लंबा चौड़ा इलेक्ट्रिसिटी बिल थमा दें, कोई भरोसा नहीं है? फिर मनमाफिक सुविधा शुल्क लेकर कितना बिजली का बिल कम कर दें, इसका अन्दाजा भी आप नहीं लगा सकते हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि केस्को से मिली एक रिपोर्ट इसकी खुद गवाही दे रही है। इसके मुताबिक पहले करीब 60 हजार लोगों को भारी-भरकम धनराशि के बिल थमा दिए गए, फिर केवल एक साल में बिल संशोधन के नाम पर 483.31 करोड़ रुपए कम किए गए। केस्को इम्प्लाइज के कारनामे की यह गूंज यूपीपीसीएल तक भी पहुंच चुकी है।

59,861 कन्ज्यूमर हुए शिकार

केस्को इम्प्लाइज के लंबा-चौड़ा बिल जारी करने के पीछे भी एक बड़ा खेल है। वह जानबूझकर घर, दुकानों, फैक्ट्रीज का अधिक धनराशि का बिल जारी करते हैं। बस इसके लिए मौका तलाशा करते हैं। मीटर खराब होने, बिजली चोरी, विद्युत अनियमितता जैसे मौके मिलते ही केस्को इम्प्लाइज का खेल शुरू हो जाता है। इस खेल में मीटर रीडर भी शामिल रहते हैं, जिनकी मिलीभगत से केस्को इम्प्लाइज लंबा-चौड़ा बिजली का बिल जारी करना शुरू करते हैं। पिछले साल केस्को इम्प्लाइज के इस खेल का 59,861 लोग शिकार हुए। केस्को इम्प्लाइज ने इन्हें टोटल 589.29 करोड़ रुपए के बिल जारी किए।

पैरों तले खिसकी जमीन

हजारों और लाखों रुपए का बिल देखकर कन्ज्यूमर के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। वह बिल सही कराने के लिए केस्को ऑफिस के चक्कर लगाता है। केस्को इम्प्लाइज से बिल सही करने की गुहार लगाता है, लेकिन केस्को इम्प्लाइज तब तक उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं देते हैं जब तक सुविधा शुल्क को लेकर मान नहीं जाता है। जीएम, चीफ इंजीनियर सहित अन्य अफसरों से शिकायत किए जाने पर कन्ज्यूमर को वापस उसी डिवीजन के अफसर और इम्प्लाइज के पास भेज दिया जाता है। क्योंकि बिल रिवीजन की पॉवर संबंधित डिवीजन के पास ही होती है। जिससे लोग लौटकर उन्हीं इम्प्लाइज के शिकंजे में फंसने को मजबूर हो जाते हैं।

483.31 करोड़ का िबल कम किया

सुविधा शुल्क के मुताबिक बिजली का बिल कम करने का केस्को इम्प्लाइज खेल शुरू करते हैं। अगर सुविधा शुल्क मनमाफिक है तो वे बिल अधिक से अधिक घटाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के हर नियमों को खोज निकालते हैं। शायद यही वजह कि एक साल में जिन 59,861 कन्ज्यूमर के बिल 589.29 करोड़ रुपए के बने थे, उन्हें घटाकर 105.98 करोड़ कर दिया गया। यानि कि इलेक्ट्रिसिटी कुल 483.31 करोड़ रुपए कम कर दिए।

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दलालों का है मकड़जाल

इस खेल की एक बड़ी कड़ी दलाल भी हैं, जो कि केस्को सबस्टेशनों में डेरा जमाए रहते हैं। ये दलाल नए कनेक्शन से लेकर बिल संशोधन के नाम पर ठेका लेते हैं। सबस्टेशन, ऑफिस में मौजूदगी के कारण लोग इन्हें केस्को इम्प्लाई ही समझ लेते हैं। इससे भारी-भरकम बिल सही कराने पहुंचे लोग दलालों का शिकार बन जाते हैं, जो बिल संशोधन के नाम पर वसूली करते हैं।

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बिजली के बिल जान-बूझकर अधिक धनराशि के जारी नहीं किए जा रहे हैं। अक्सर बकाएदारों, पीडीएफ आदि केसेज में ही ऐसा होता है। कन्ज्यूमर की शिकायत करने पर नियमानुसार ही सही किए जा रहे हैं।

-योगेश हजेला, चीफ इंजीनियर, केस्को।