-प्राइवेट हॉस्पिटल मांगते हैं एएमए का ब्लड, सरकारी ब्लड बैंक का लेने से करते हैं इंकार

-अधिक डिमांड होने से बढ़ रहा है दलालों का हौसला, हाल ही में पकड़ा गया था रैकेट

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: अजीब स्थिति है। शहर के प्राइवेट ब्लड बैंक सरकारी हॉस्पिटल का ब्लड लेने को तैयार नहीं हैं। एकमात्र प्राइवेट ब्लड बैंक डिमांड की अपेक्षा सप्लाई नहीं कर पा रहा है। इससे सवाल उठने लगा है कि क्या हॉस्पिटल्स को सरकारी ब्लड बैंकों पर भरोसा नहीं है?

अकेले सप्लाई करता है चार गुना ब्लड

शहर में तीन सरकारी और एक प्राइवेट ब्लड बैंक एएमए का है। लेकिन एएमए (इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन) की रोजाना सप्लाई के आगे सरकारी तंत्र की ब्लड सप्लाई काफी कम है। देखा जाए तो तीनों सरकारी ब्लड बैंक मिलकर दिनभर में 50 यूनिट भी सप्लाई नहीं कर पाते। जबकि एएमए अकेले लगभग दो सौ यूनिट ब्लड बांट देता है।

परेशान मरी करते हैं घंटों इंतजार

देखा जाए तो एसआरएन, बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक सभी आधुनिक मशीनों से लैस हैं। यहां पर सफलतापूर्वक ब्लड सेप्रेशन किया जाता है। बावजूद इसके प्राइवेट हॉस्पिटल एएमए से ब्लड लाने की सलाह देते हैं। यहां तक कि ट्रस्ट बेस्ड कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल में भी सरकारी ब्लड बैंक के ब्लड को लेने से मना कर दिया जाता है।

दलालों के टारगेट पर है एएमए

एएमए ब्लड बैंक से रोजाना लगभग दो सौ यूनिट की सप्लाई होती है। जबकि डिमांड 250 यूनिट के आसपास है। ऐसे में दिनभर लंबी लाइन लगी रहती है। एक यूनिट लेने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं। डोनर्स को ब्लीडिंग के लिए नंबर दिया जाता है। यही कारण है कि दलाल और प्रोफेशनल डोनर्स का गैंग यहां अधिक सक्रिय होता है। पिछले दिनों पुलिस ने कई लोगों को इसके लिए पकड़ा भी था।

फैक्ट फाइल

ब्लड बैंक इतने यूनिट सप्लाई

एमएम 150-200

बेली हॉस्पिटल 15

एसआरएन 25

काल्विन 15-20

1000 रुपए सरकारी ब्लड बैंक में एक यूनिट का दाम

1200 रुपए एएमए ब्लड बैंक में एक यूनिट का दाम

महज दस फीसदी करते हैं प्रिफर

जिले में 300 नर्सिग होम रजिस्टर्ड हैं। इनमें से बमुश्किल दस फीसदी ही सरकारी ब्लड बैंक को प्रिफर करते हैं। कुछ नर्सिग होम के संचालकों ने (नाम न छापने की शर्त पर) बताया कि ब्लड की जितनी जांच एएमए होती है कहीं नहीं होती। ऐसे में मरीज पूरी तरह सेफ होता है।

यह क्वॉलिटी का मैटर है। मरीज को जो दवा या ब्लड उसकी सेहत के लिए पॉजिटिव होगा, उसी की सलाह दी जाएगी। बहुत से प्राइवेट हॉस्पिटल सरकारी ब्लड बैंक का ब्लड भी लेते हैं।

-डॉ। अशोक अग्रवाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आइएमए

मरीज खुद कहता है कि उसे बेहतर ब्लड चढ़ाया जाए। ऐसे में डॉक्टर्स भी सबसे पहले एएमए को तरजीह देते हैं। वहां पर अभी फ्री ल्यूकोसाइट ब्लड मिल रहा है, जिसमें रिएक्शन के चांस काफी कम होते हैं।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता, साइंटिफिक सचिव, एएमए

रोजाना 15 से 20 यूनिट ब्लड की सप्लाई होती है। कभी-कभार कोई प्राइवेट हॉस्पिटल से ब्लड लेने आता है। जब प्राइवेट हॉस्पिटल प्रिफर नहीं करेंगे तब तक सरकारी ब्लड बैंक में कौन आना चाहेगा।

-डॉ। नीता साहू, संचालक, बेली हॉस्पिटल ब्लड बैंक