RANCHI : राज्य के पीडीएस शॉप्स में गरीबों को मिलने वाली चीनी के मिठास को महंगाई ने खटास में बदल दिया है। चीनी की वर्तमान कीमत 24 रुपये किलो निर्धारित की गई है जो गरीब परिवारों के लिए वहन करना मुश्किल हो रहा है। लाभुक नहीं रहने के कारण पीडीएस डीलरों के द्वारा चीनी का उठाव नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण सैकड़ों टन चीनी सरकारी गोदामों में सड़ रही है। बारिश के मौसम में चीनी को बचाना झारखंड राज्य खाद्य निगम के अधिकारियों के लिए चुनौती बन गया है।

10 अगस्त तक का डेडलाइन

झारखंड राज्य खाद्य निगम के विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी सह जिला प्रबंधक ने आदेश जारी किया है कि 10 अगस्त तक चीनी का उठाव सुनिश्चित किया जाए अन्यथा संबंधित बीएसओ को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। अब बीएसओ स्तर के पदाधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा कि मामले का निपटारा कैसे करें।

होगा करोड़ों रुपयों का नुकसान

गोदामों में पड़े पड़े बारिश के मौसम में चीनी खराब होने लगी है। ऐसे में यदि जल्द ही उसका उठाव नहीं किया गया तो सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

क्या कहते हैं पीडीएस डीलर्स

पीडीएस डीलर्स का कहना है कि चीनी उठाव के बाद उसका वितरण कैसे करेंगे जब लाभुक 24 रुपये के दर से उसे खरीदने के लिए तैयार नहीं है। लाभुक यदि चीनी नहीं खरीदेंगे तो उसके स्टॅाक को बचाना मुश्किल हो जाएगा और सारा रुपया डूब जाएगा।

लाभुकों ने क्या कहा

वहीं मामले में लाभुकों का कहना है कि 24 रुपये दर से 3 किलो चीनी लेना अनिवार्य है। अब इस महंगाई में 72 रुपये की चीनी खरीदने से बेहतर है गुड़ का सेवन करें। पीडीएस दुकानों में चीनी की कीमत में कमी की जानी चाहिए या आवश्यक्तानुसार मात्रा की खरीद करने की आजादी मिलनी चाहिए।