चुंबक की तरह खींच लेता है
बरमूडा ट्राएंगल के रहस्य को सुलझाने के कई दावे किए जा चुके हैं लेकिन अभी इसका पुख्ता प्रमाण कुछ भी नहीं मिला। अभी तक जितना सुनने में आया है कि बरमूडा ट्राएंगल के अंदर एक पिरामिड छुपा है, जो चुम्बक की तरह हर चीज़ को खींचता है। लगातार जहाजों के गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे 'डेंजर रीजन' का नाम दिया गया। बताया तो यह भी जाता है कि साल 1492 में अमेरिका की यात्रा के दौरान कोलम्बस ने भी यहां पर कुछ चमकता हुआ देखा जिसके बाद उनका मैग्नेटिक कंपास खराब हो गया था।
ऋग्वेद में लिखी है यह कहानी
लगभग 23000 सालों पहले लिखे गए ऋग्वेद के अस्य वामस्य में कहा गया है कि मंगल का जन्म धरती पर हुआ है। ऋग्वेद में लिखा है कि जब धरती ने मंगल को जन्म दिया, तब मंगल को उसकी मां से दूर कर दिया गया तब भूमि ने घायल होने के कारण अपना संतुलन खो दिया (और धरती अपनी धुरी पर घूमने लगी)। उस समय धरती को संभालने के लिए दैवीय वैद्य अश्विनी कुमार ने त्रिकोणीय आकार का लोहा उसके चोटहिल स्थान में लगा दिया और भूमि अपनी उसी अवस्था में रुक गई। यही कारण है कि पृथ्वी की धुरी एक विशेष कोण पर झुकी हुई है, धरती का यही स्थान बरमूडा ट्रायंगल है। सालों तक धरती में जमा होने के कारण त्रिकोणीय लोहा प्राकृतिक चुम्बक बन गया और इस तरह की घटनाएं होने लगीं।
अथर्व वेद का यह है कहना
अथर्व वेद में कई रत्नों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक रत्न है दर्भा रत्न है। उच्च घनत्व वाला यह रत्न न्यूट्रॉन स्टार का एक बहुत ही छोटा रूप है। दर्भा रत्न का उच्च गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, उच्च कोटि की एनर्जेटिक रेज़ का उत्त्सर्जन और हलचल वाली चीज़ों को नष्ट करना आदि गुणों को बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली घटनाओं से जोड़ा जाता है। इस क्षेत्र में दर्भा रत्न जैसी परिस्थिति होने के कारण अधिक ऊर्जावान विद्युत चुंबकीय तरंगों का उत्त्सर्जन होता है और वायरलेस से निकलने वाली इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगों के इसके संपर्क में आते ही वायरलेस ख़राब हो जाता है और उस क्षेत्र में मौजूद हर चीज़ नष्ट हो जाती है।
Interesting News inextlive from Interesting News Desk
Interesting News inextlive from Interesting News Desk