इस स्टोरी को पब्लिश करने के पीछे आई नेक्स्ट का मोटिव केवल इतना है कि आप सतर्क रहें ताकि जरूरत पडऩे पर अपने प्रियजनों को किसी हॉस्पिटल में एडमिट करने के दौरान आप हॉस्पिटल के बारे में पूरी जांच पड़ताल कर लें इसलिए हम हॉस्पिटल और डॉक्टर्स का नाम भी नहीं छाप रहे हैं।

झूले से गिर गई थी

12 वर्षीय आफरीन पीलीभीत की रहने वाली है। ताजीम हुसैन और नसरीन के तीन बच्चों में सबसे बड़ी आफरीन रोजी फ्लावर स्कूल में क्लास फोर्थ की स्टूडेंट है। पिता ताजीम हुसैन की पीलीभीत में ही चूडिय़ों की शॉप है। आफरीन की मां नसरीन के मुताबिक लगभग तीन से चार महीने पहले आफरीन घर में झूले पर झूलते वक्त गिर पड़ी। झूले से गिरने पर उसे काफी चोटें आईं लेकिन घरवालों ने इसे मामूली बात समझकर उसका घर पर ही ट्रीटमेंट करा दिया। बीते मंडे को आफरीन को एक बार फिर राइट पैर में जोरों का दर्द उठा। जब पेन असहनीय हो गया तो पीलीभीत के एक डॉक्टर ने बच्ची को बरेली ले जाने की सलाह दे दी। यहीं से हंसती बोलती बच्ची के भाग्य ने उससे मुंह मोड़ लिया।

10 हजार रुपए की वसूली

नसरीन ने बताया कि जैसे ही आफरीन के हाथ में लगी ड्रिप हॉस्पिटल स्टाफ ने निकाली तो बच्ची पेन के कारण छटपटाई। परिजनों ने इसकी जानकारी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को दी। डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के शरीर में जान ही नहीं है। ऐसा हो ही नहीं सकता है। अंकॉनसियश होने की वजह से ऐसा हुआ है थोड़ी ही देर में बच्ची का शरीर ठंडा पड़ जाएगा। हॉस्पिटल में परिजनों से बच्ची के ट्रीटमेंट के नाम पर 10 हजार रुपए की वसूली की गई।

रिक्वेस्ट के बाद किया एडमिट

डॉक्टर्स की बात सुनकर परिजन आफरीन को लेकर वापस पीलीभीत लौटने लगे। इसके बाद रास्ते में जो परिजनों के साथ हुआ उसका परिजनों को विश्वास ही नहीं था। आफरीन पेन के कारण रोने लगी। परिजन उसे लेकर शहर के एक प्रतिष्ठित चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पास गए, जिन्होंने पहले तो बच्ची की कंडीशन देखकर उसे एडमिट करने से इंकार फिर उन्होंने बच्ची को एडमिट कर लिया। यहां परिजनों से लगभग 17 हजार रुपए की वसूली की गई। यहां भी स्टाफ ने परिजनों से बच्ची को कुछ देर का मेहमान होने की बात कहकर डॉक्टर के अबसेंस में ही डिस्चार्ज कराने की सलाह दे डाली। परिजनों ने एक बार फिर आफरीन को डिस्चार्ज करा लिया।

 

दूसरे हॉस्पिटल जाने को कहा

अपने हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवा लिए जाने से डॉक्टर काफी नाराज हो गए और परिजनों को काफी डांटा। साथ ही बच्ची को वापस एडमिट करने से मना कर दिया। काफी मिन्नतों के बाद उस डॉक्टर ने परिजनों को एक दूसरे बड़े हॉस्पिटल का नाम सजेस्ट किया। परिजनों ने थर्सडे को बच्ची को वहां एडमिट कराया। बच्ची की कंडीशन को देखते हुए उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन बच्ची की हालत को स्टेबिल बता रहा है। यहां पर बच्ची के ट्रीटमेंट पर अभी तक लगभग 14 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं।

डॉक्टर्स ने दी गलत सूचना

बच्ची को आननफानन में वेडनसडे को शहर के एक जाने माने हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जहां डॉक्टर्स ने आफरीन के नाक में पाइप लगाने और ऑक्सीजन मास्क पहनाया। आफरीन  ने इससे आपत्ति जताई और अपनी मां से घर वापस ले जाने की फरियाद की लेकिन डॉक्टर्स के सामने उसकी एक न चली। डॉक्टर्स ने परिजनों से कहा कि आप हमारे ऊपर भरोसा करें। वेडनसडे को बच्ची के चेहरे से मुस्कान चली गई। परिजनों की मानें तो ट्रीटमेंट के बाद आफरीन की सेहत में सुधार होने के बजाए उसकी हालत बिगड़ती चली गई। आफरीन की मां नसरीन ने बताया कि डॉक्टर्स ने बताया कि बच्ची दो से तीन घंटे की ही मेहमान है और बच्ची को डिसचार्ज करने की सलाह दे डाली।

Report by: Amber Chaturvedi