क्यों करें एक साथ भोजन

भाई बहन के प्यार को मजबूत करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहन के हाथ से भाई को भोजन करने की मान्यता है। एक साथ भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती और वह जीवन भर निरोग रहता है। शास्त्रों के मत के अनुसार इस दिन बहन भाई के आयुवृद्धि की कामना यम देवता से करती है।

क्या विधि है पूजन की

इस दिन बहन सुबह बिना स्नान किए भाई का श्राप देती है। उसके बाद स्नान करके फिर यम देवता की पूजा करती है। जिसमें अपने भाई के लंबी आयु की कामना करती है। गणेश, यम, यमुना, चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। पूजन विधि में शंख, ताम्रपत्र तथा अंजलि में जल लेकर यमराज की पूजा की जाती है।

क्यों मनाते हैं भाई-दूज

यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि यम और यमुना भगवान सूर्य के पुत्र हैं। दोनों भाई बहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, परन्तु यमराज यमलोक के शासन व्यवस्था में इतने व्यस्त थे कि वह यमुना से मिलने तक घर नही जा पाए तो एक बार यमुना उनसे मिलने गई। बहन देख यम बहुत प्रसन्न हुए और बोले बहन मैं बहुत प्रसन्न हूं। वरदान मांगो। इस पर यमुना ने मांगा कि भैया-दूज के दिन जो भी यमुना में स्नान करेगा, वह यमलोक नहीं जाएगा। जो भी भाई यम द्वितीया को अपने बहन के हाथ भोजन करता है उसे धन, यश, आयु, धर्म और सुख में वृद्धि होती है। भारतीय संस्कृति में बहन दया की प्रतिमूर्ति मानी गई है। अत: इस पर्व को दोनों के  प्रतीक उत्सव के साथ मनाया जाता है।

कलम किताब की भी होगी पूजा

गोवर्धन पूजा के साथ ही कायस्थ समाज को लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। इसमें कायस्थ समाज के लोग अपने घर या चित्रगुप्त मंदिर में एकत्रित होकर कलम और कागज पर भगवान चित्रगुप्त का चित्र उकरते हैं और उस चित्र पर हल्दी, घास, दूब तथा हवन सामग्री के साथ पूजन करते हैं। मान्यता है कि याज्ञबल्लभ स्मृति ग्रंथ में कायस्थ का वर्णन मिला था। इसमें जो लिखा पढ़ी या बहीखाते का काम करता है उसके लिए कायस्थ शब्द की रचना की गई है। इसलिए कायस्थ समाज चित्रगुप्त को अपना अराध्य मानते हैं।