-सरकारी भांग की दुकानों पर लुट रहे बनारसी, एक हजार रुपये किलो बिक रही भांग
-बीस रुपये किलो तय है सरकार की तरफ से मूल्य
VARANASI
बनारसी ठग बड़े मशहूर हैं। अपनी कलाबाजी से किसी को ठग लेते हैं। लेकिन ये खुद ठगी का शिकार हो रहे हैं और इन्हें पता भी नहीं है। वह भी महादेव के प्रसाद भांग में, जिसकी पूरी काशी नगरी दीवानी है। टेंशन को खूंटी पर टांगकर भांग-बूटी घोंटकर मस्त रहने वाले बनारसियों को पता नहीं कि जिस भांग को छान-घोंट रहे उसमें ही ठग लिए जा रहे। यह जानकारी आबकारी विभाग दे रहा है। उसके मुताबिक बीस रुपये किलो के सरकारी रेट से भांग ठेके पर पहुंचती हैं। लोगों तक पहुंचते तक इसका रेट पांच सौ से एक हजार रुपये तक हो जाता है।
रेट कर दिया 500 गुना अपडेट
सरकारी भांग ठेके पर लाइसेंस धारियों को प्रदेश सरकार बीस रुपये प्रति किलो मूल्य के हिसाब से भांग मुहैया करा रही है। मगर, कस्टमर्स को यही भांग कितने में बेचा जाए इस पर आबकारी विभाग की ओर से कोई रेट निर्धारित नहीं है। जिस तरह शराब के ठेकों पर देसी, अंग्रेजी व बीयर की कीमत तय होती है। इसका पूरा फायदा लाइसेंस धारक उठाते हैं। भांग की मनमानी कीमत वसूलते हैं। कहीं एक गोला जिसका वजन सौ ग्राम होता है उसका पचास रुपये रेट है और सूखा सौ ग्राम भांग का रेट सौ रुपये है। यानि कि सरकारी रेट को देखा जाए तो दोनों के रेट का अंतर पांच सौ गुना तक है।
साढ़े चार करोड़ लाइसेंस फीस
लास्ट वीक रायफल क्लब में शहर की 88 भांग की दुकानों का ठेका हुआ। ठेका धारकों ने इसके लिए साढ़े चार करोड़ रुपये के लाइसेंस फीस के नाम पर भरा। उनके लिए एक साल में 96 लाख रुपये का भांग बेचना तय किया गया है। जिसमें 48 हजार सात सौ किलो भांग का कोटा तय है। यही वजह है कि अपना प्रॉफिट निकालने के लिए ठेकेदार भांग की कीमत मनमाना वसूल रहे हैं।
दुकानों पर बिक रहा गांजा
भांग लाइसेंस की फीस इतनी अधिक है कि सिर्फ भांग बेचकर ही ठेकेदार मुनाफा कमा नहीं सकते हैं। लिहाजा शहर के अधिकतर भांग की दुकानों पर गांजा भी से बेचा जा रहा है। 60, 80 और 120 रुपये में पेपर की पुडि़या में गांजा बिकता है। इसकी खरीद-बिक्री के लिए कोड वर्ड बाबा या फिर चवन्नी-अठन्नी का इस्तेमाल किया जात है। एक दुकान से एक महीने लगभग 25 से 30 हजार रुपये का सिर्फ गांजा बिक जाता है।
भांग की पकौड़ी और कुल्फी
बनारस में भांग का सेवन कई तरह से किया जाता है। सीधे पीसी भांग-बूटी छानने, घोंटने के अलावा शौकीन नमकीन-पकौड़ा और कुल्फी में भी भांग का सेवन करते है। सिगरा तिराहा, लहुराबीर चौराहा, गुरुबाग एरिया के अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों में भांग की पकौड़ा काफी फेमस है।
एक नजर
88
भांग की दुकानें है शहर में
96
लाख रुपये की भांग बेचने का टारगेट है एक साल में
48
हजार सात सौ किलो बेचना है भांग
4.50
करोड़ रुपये का है भांग से रेवेन्यू
20
रुपये किलो है भांग का सरकारी रेट
100
रुपये में सौ ग्राम मिलता है सूखा भांग
50
रुपये में बिक रहा पचास ग्राम का भांग का गोला
1
क्विंटल भांग का इस्तेमाल होता है प्रतिदिन होता है ठंडई में
भांग की दुकानों पर सरकारी रेट निर्धारित है। मगर, बिक्री का रेट लिस्ट अभी तक शासन की ओर से ही नहीं आया। हालांकि यह है कि भांग की दुकानों पर यदि कोई गांजा बेचते हुए पकड़ा गया तो कार्रवाई सख्त होगी।
करूणेंद्र सिंह, सहायक आयुक्त आबकारी