सचिन, ध्यानचंद या विशी. लाख टके का सवाल है कि आखिर किसे पहले भारत रत्न दिया जाए. सरकार ने भारत रत्न के नियमों में बदलाव करके नई बहस छेड़ दी है. इसके बाद से ही former players व fans अपने पसंदीदा player को यह most reputed civilian award दिए जाने की वकालत कर रहे हैं. इन players के career figures, अब तक की performance और records के base पर आप ही तय कीजिए कि कौन बनेगा आपका भारत रत्न.

मेजर ध्यानचंद

bharat ratn: कौन है बड़ा दावेदार?

क्रिकेट में जो स्थान डॉन ब्रेडमैन का, बॉक्सिंग में मोहम्मद अली का और फुटबॉल में पेले को है, वही स्थान हॉकी में मेजर ध्यानचंद का है. इंडिया में आज भी उन्हें हॉकी का जादूगर कहकर बुलाया जाता है. जिस समय ध्यानचंद ने इंडियन टीम को ज्वॉइन किया था, उस समय हॉलैंड, रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, चाइना समेत दुनिया के 20 से अधिक देश हॉकी में एक्टिव थे. इसके बावजूद ध्यानचंद की मौजूदगी में इंडियन टीम ने 1928, एम्सटर्डम ओलंपिक, 1932, लॉस एंजिलिस ओलंपिक और 1936, बर्लिन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता. सिर्फ यही नहीं इंटरनेशनल मैचों में ध्यानचंद के नाम 400 से भी अधिक गोल दर्ज हैं, जो हॉकी के इतिहास में आज भी एक रिकॉर्ड है.

उनके जन्मदिन 29 अगस्त को इंडिया में स्पोर्ट्स डे के रूप में मनाया जाता है. बॉल पर उनका कंट्रोल किसी जादू की तरह था. हॉलैंड में उनकी स्टिक तोडक़र यह जानने की कोशिश की गई थी कि कहीं मैग्नेट तो नहीं लगा. ध्यानचंद ने देश के लिए जर्मनी के डिक्टेटर एडोल्फ हिटलर के उस ऑफर को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्हें जर्मन सिटीजनशिप के साथ कर्नल बनाने की पेशकश थी.

सचिन तेंदुलकर

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सचिन को शब्दों से ज्यादा उनके आंकड़े बयां करते हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट में 33 हजार से अधिक रन और 99 सेंचुरीज यह बताने के लिए काफी हैं कि सचिन रिकॉर्डों के एवरेस्ट पर खड़े हैं. सचिन ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया, उस वक्त क्रिकेट में 8 या 9 टीमें पार्टिसिपेट करती थीं, जिनमें आस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड जैसी टीमों का दबदबा था. ज्यादातर रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम पर थे, लेकिन सचिन के आने के बाद मानो हर रिकॉड्र्स पर सचिन के नाम का ठप्पा लगना शुरू हो गया.

क्रिकेट मैग्जीन विज्डन द्वारा डॉन ब्रेडमैन के बाद क्रिकेट के दूसरे सबसे बड़े लीजेंड करार दिए गए सचिन टेस्ट और वनडे मैचों में सबसे अधिक रनों के अलावा पहले ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने वनडे में डबल सेंचुरी जमाई.  उनके अचीवमेंट्स के लिए उन्हें पद्म विभूषण और खेल रत्न अवार्ड से नवाजा गया. एयरफोर्स ने बिना किसी एविएशन बैकग्र्राउंड के सचिन को ग्र्रुप कैप्टन की ऑनरेरी रैक प्रदान की. हालांकि कैप्टन के तौर पर उन्हें नाकामी का सामना करना पड़ा. उन्होंने 25 टेस्ट मैचों में इंडिया को लीड किया, जिनमें सिर्फ 4 में जीत मिली, जबकि 9 में हार. वनडे में 73 मैचों में सिर्फ 23 मैचों में ही जीत दिला सके.

विश्वनाथन आनंद

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2007 से अब तक लगातार चार बार वल्र्ड चैंपियनशिप के खिताब पर अपना कब्जा बरकरार रखने वाले विश्वनाथन आनंद भले ही भारत रत्न के लिए स्ट्रांग कंटेंडर न हों, लेकिन उनकी दावेदारी से इंकार नहीं किया जा सकता. आनंद ने जब इंडिया की ओर से खेलना शुरू किया था, उस वक्त इस गेम में रूस, अमेरिका, आस्ट्रिया और जर्मनी जैसे देशों के प्लेयर्स का दबदबा कायम था. आनंद ने इन प्लेयर्स के दबदबे को खत्म करके इंडिया को चेस की बुलंदियों तक पहुंचा दिया. वल्र्ड रैंकिंग पर आनंद ने लंबे समय तक कब्जा जमाए रखा.

यही नहीं आनंद इंडिया के भी पहले ग्र्रैंडमास्टर थे. उन्होंने 1987 में यह अचीवमेंट हासिल किया था.  1991-92 में राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड पाने वाले भी वह पहले स्पोट्र्समेन बने थे. 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया. यह पहला मौका था, जब किसी स्पोट्र्सपरसन को यह अवार्ड दिया गया. 2000 से 2006 के बीच वल्र्ड चैंपियन रहे व्लादिमीर क्रैमनिक ने भी उनकी महानता को अपने शब्दों में बयां किया. उन्होंने कहा, ‘ आनंद ने जो परफॉर्मेंस दिखाया, उसके बाद  यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि वह चेस हिस्ट्री के महान प्लेयर्स में से एक हैं.’

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