स्मृतियों में जार्ज

-पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीस का बनारस से था गहरा लगाव

-कई बार आये थे बनारस, पप्पू चाय की अड़ी पर की थी प्रेस कॉफ्रेंस

VARANASI

भारतीय राजनीति की समाजवादी परंपरा में जन्मे जन नेता जार्ज फर्नाडीस का मंगलवार को दिल्ली में निधन हो गया। स्वतंत्र भारत के राजनीतिक परिदृश्य में जार्ज फर्नाडीस की छवि एक फायर ब्रांड नेता की रही। समाजवादी आंदोलनों के सिलसिले में बनारस में उनका कई बार आना जाना हुआ। बनारस के वरिष्ठ समाजवादी चिंतक विजय नारायण से उनकी खासी नजदीकी रही। जार्ज फर्नाडीस रेल मंत्री रहे तो विजय नारायण बतौर निजी सचिव उनके सहयोगी थे। 1976 में हुए डायनामाइट कांड में जार्ज के साथ विजय नारायण को भी गिरफ्तार किया गया था।

निर्भीक व्यक्तित्व था

उनके निधन से दुखी विजय नारायण ने कहा कि आज हमने एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी खो दिया। उन्हें स्वतंत्र भारत का सुभाष चंद्र बोस कहना उपयुक्त होगा। बड़ा निर्भीक व्यक्तित्व था। समाजवादी आंदोलन, इमरजेंसी आंदोलन, मजदूरों के आंदोलन के दौरान कई बार गिरफ्तार हुए। अटल जी की सरकार में वे रक्षामंत्री भी रहे। स्मृतियों की पोटली को टटोलते हुए विजय नारायण बताते हैं कि रक्षामंत्री रहते हुए जार्ज ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमारा दुश्मन नंबर एक चीन है और नंबर दो पर पाकिस्तान है। अटल जी ने इसका खंडन भी किया और कहा कि यह जार्ज की अपनी सोच हो सकती है। पर जार्ज अपने बयान पर कायम रहे। जार्ज के इस बयान के पीछे उनकी एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी सोच थी जिस पर जनता ने भी अपनी मुहर लगायी थी। इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने दाढ़ी बढ़ा ली और पगड़ी पहन कर सिख के वेश में रहे। पर बाद में उन्हें गिरफ्तार कर ि1लया गया।

बोलने में उनका कोई सानी नहीं था

वरिष्ठ पत्रकार और समाजवादी चिंतक योगेन्द्र नारायण बताते हैं कि नैनीताल में 1969 में समाजवादी युवजन सभा का एक सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। बनारस से भी बहुत से लोग गये थे। इनमें मैं, प्रो। आनंद कुमार, अशोक श्रीवास्तव और प्रदीप घोष आदि लोग शामिल हुए थे। राजनारायण, जार्ज और तमाम बड़े समाजवादियों ने यहां समाजवादी सोच के बारे में बताया। तीन तीन चार घंटे का एक सेशन होता था। मुझे जार्ज फर्नाडीस का बोलना आज भी याद है। उनका ज्ञान उनके बोलने में स्पष्ट दिखायी देता था। शैली इतनी आक्रामक कि सामने वाले को मौका ही न मिले।

तीन बार चाय बनवायी थी

अस्सी स्थित 'पप्पू चाय की अड़ी' अक्सर उनकी राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रही है। अड़ी के संचालक विश्वनाथ सिंह उर्फ पप्पू बताते हैं कि 1988 के आसपास की बात है। मजदूर आंदोलन के सिलसिले में जार्ज जी बनारस आये थे जिसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस उन्होंने इसी चाय की दुकान पर की थी। तकरीबन एक घंटे तक हमारी दुकान पर वे रहे और तीन बार चाय पी। जाने से पहले उन्होंने चाय बनाने के हमारे तरीके के बारे में विस्तार से जाना।