-एनएस-1 नहीं आईजीएम एंटीबॉडी भी पॉजिटिव होने पर मानें डेंगू

-सामान्य या विशेष वायरल बुखार हो तो भी कम हो जाता है प्लेटलेट

हर बुखार डेंगू नहीं होता। इसलिए इसको लेकर सावधानी बहुत जरूरी है। सामान्य या विशेष वायरल बुखार में भी प्लेटलेट की कमी हो जाती है। यह बातें मंगलवार को एसएस हॉस्पिटल के एमएस प्रो। विजय नाथ मिश्रा ने मीडिया से कहीं। वह एमएस ऑफिस में डेंगू के इलाज व उसकी रोकथाम विषय पर पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने बताया कि अगर थोड़ा भी लक्षण दिखे तो तत्काल गवर्नमेंट हॉस्पिटल में जांच करानी चाहिए। कहा कि जांच में एनएस-1 भी पॉजिटिव होना डेंगू नहीं होता। हां, अगर एनएस-1 एंटीजन के साथ ही आईजीएम एंटीबॉडी भी पॉजिटिव हो तो वह डेंगू है।

एसएस हास्पिटल है तैयार

प्रो। मिश्र ने बताया कि डेंगू के मरीजों के लिए मेडिसिन में 12, इमरजेंसी में आठ व न्यूरोलॉजी वार्ड में दो बेड तैयार किया गया है। मार्च से अभी तक 48 मरीजों में एनएस-1 पॉजिटिव व सात में आईजीएम एंटीबॉडी यानी डेंगू के पाए गए। बाल रोग विभाग के डॉ। सुनील राव ने बताया कि बच्चों में अगर चकता पड़े, उल्टी, सुस्ती, खूनी दस्त आए तो यह डेंगू हो सकता है। ऐसे में तत्काल अस्पताल में पहुंचाना चाहिए। बच्चों को ओआरएस, दाल का पानी, माढ़ भी देने के साथ ही रेस्ट कराना चाहिए। रसशास्त्र डिपार्टमेंट के हेड प्रो। आनंद चौधरी ने कहा कि मॉडर्न मेडिसिन व आयुर्वेद ने मिलकर बेवगांव में एक रिसर्च किया है। जल्द ही भारत में डेंगू की दवा बन जाएगी।

100 बेड के आईसीयू का प्रस्ताव

बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में 2001 से ही आईसीयू के मात्र 16 बेड से मरीजों को बेहतर चिकित्सा देने में दिक्कत आ रही है। 17 साल गुजर जाने के बाद भी किसी ने बेड बढ़ाने की पहल नहीं की। प्रो। मिश्र व आईसीयू इंचार्ज डॉ। डीके सिंह ने कहा कि अब आईसीयू के 100 बेड के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसका पैसा एनएचएम देगा। वहीं बाल रोग विभाग में आठ बेड पिकू व 18 बेड निकू हैं। मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो। केके गुप्ता ने बताया कि प्लेटलेट 10 हजार से नीचे या मरीज को ब्लिडिंग पर ही प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस मौके पर प्रो। जेएस त्रिपाठी, डीएमएस डॉ। आनंद श्रीवास्तव, डॉ। जीएन श्रीवास्तव, एआर मनोज गुप्ता भी मौजूद थे।