-एक्सप‌र्ट्स का है कहना, लो रिस्क जोन में आता है बनारस, यहां पर कम है भूकंप का खतरा

-भौगोलिक स्थिति के चलते सेफ जोन में है बनारस

VARANASI: नेपाल में आये भूकंप के झटके से बनारस भी दहला। दिन में दो मिनट तक बनारस के लोगों ने झटके महसूस किये। हर किसी के चेहरे पर दहशत की लकीरें उभर आई लेकिन एक्सप‌र्ट्स बनारस को सुरक्षित मानते हैं। उनका कहना है कि बनारस की भौगोलिक स्थिति के चलते यह सेफ जोन में है। बनारस में महसूस किये झटकों की तीव्रता उन्होंने रेक्टर स्केल पर फ्-ब् के बीच आंकी है।

सैंड स्टोन से कम हुई तीव्रता

जियोफिजिक्स डिपार्टमेंट बीएचयू के डॉ। एसएन पाण्डेय कहते हैं कि बनारस हार्ड रॉक एरिया में नहीं आता। यह सैंड स्टोन एरिया है। भूकंप आता है तो उसके इलास्टिक वेब फैलते हैं जो सैंड होने के चलते कम हो जाते हैं। नेपाल की राजधानी से 7भ् किमी उत्तरपूर्व लामजुंग में भूकंप आया। इसकी फोकल डेफ्थ तकरीबन क्0 किमी अंदर थी। गहराई कम होने से नेपाल में इतना विनाश हुआ है। बनारस में जो झटके महसूस किये गये उनकी तीव्रता अनुमान के मुताबिक भ्.भ् के आसपास थी। वैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में भूकंप के मामले में बनारस सुरक्षित है।

कुछ खास बातें (फॉर योर इंफॉर्मेशन)

हाई रिस्क जोन

फ‌र्स्ट कैटेगरी : भूकंप का सबसे अधिक खतरा हिमालयन बेल्ट, गुजरात, नॉर्थ ईस्ट व जम्मू कश्मीर के कुछ भाग।

सेकेंड कैटेगरी : इसमें फ‌र्स्ट कैटेगरी के पास के बाहरी क्षेत्र शामिल हैं।

मॉडरेट डैमेज रिस्क जोन

थर्ड कैटेगरी : वेस्टर्न घाट, केरला का कुछ भाग व बनारस के आसपास के क्षेत्र शामिल हैं।

लो रिस्क जोन

फोर्थ कैटेगरी : इसमें भारत का बाकी क्षेत्र आता है।

फिफ्थ कैटेगरी : इस कैटेगरी में शामिल क्षेत्रों की संख्या बहुत कम है। वैसे दुनिया की ऐसी कोई जगह नहीं है जहां भूकंप नहीं आ सकता है।

क्या है भूकंप (डू यू नो)

भूमि के अंदर लगातार प्लेटों के आपस में टकराने की घटना होती रहती है। हर टकराहट में अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा भूकंप का कारण बनती है। जब यह ऊर्जा जमीन के अंदर के प्लेटों को तोड़ कर सतह तक आ जाती है तब यह भूकंप का रूप ले लेती है। वैसे अधिकतर ऊर्जा जमीन के अंदर ही रह जाती है इसका असर हमें दिखाई नहीं देता।

क्80फ् में आया था सबसे तेज भूकंप

बनारस में अब तक सबसे तेज भूकंप फ्0 सितंबर क्80फ् में आया था। बता दें कि उसी भूकंप में बिंदु माधव का धरहरा क्षतिग्रस्त हुआ था और इलाके के लगभग ख्00 मकानों में आग लग गई थी। इसके अलावा बहुत से छोटे मोटे भूकंप के झटके कई बार महसूस किये गये हैं।

कम हो जाता है असर

भूगर्भशास्त्री काशी विद्यापीठ के वीसी डॉ। पृथ्वीश नाग बताते हैं कि भूकंप के लिए नेपाल व हिमालयीय क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाके हैं। वहीं काशी सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। बताया कि जमीन के नीचे दो प्लेट्स हैं जो नार्थ क्षेत्र की ओर एडजस्ट हो रही हैं। यह एशिया की भूमि को भीतर ही भीतर धक्का दे रही हैं। हिमालय ऊंचाई पर होने के कारण प्लेट्स के टकराव का असर भूकंप के रूप में देखने को मिल रहा है। ऐसे में हिमालय भूकंप के लिए सॉफ्ट जोन इलाका माना जाता है। वहीं काशी पठार पर बसा हुआ है। विंध्य राजघाट प्लेट पर होने के कारण वाराणसी को भूकंप के लिए सबसे सुरक्षित जोन माना जाता है। यहीं कारण है कि काशी में भूकंप आते-आते कमजोर हो जाता है और इसकी तीव्रता पांच रेक्टर स्केल से भी कम हो जाती है।