-डाला छठ व्रत के दूसरे दिन व्रती महिलाओं ने निभाई खरना की परंपरा

-आज अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने घाटों पर उमड़ेगी भीड़

VARANASI

भले ही महिलाएं उपवास पर थीं पर उनके चेहरों पर भूख, प्यास व थकान का कोई भाव नहीं दिखायी नहीं दे रहा था। सभी के चेहरे दिव्य कांति से दमक रहे थे। जी हां, यह भगवान भाष्कर का ही प्रताप था कि व्रती महिलाएं डाला छठ के कठिन व्रत का संकल्प पूरे मनोयोग से पूरा कर रही थीं। महिलाओं ने सोमवार को नहाय खाय के साथ व्रत की शुरुआत की थी और मंगलवार को व्रत का दूसरा दिन था। दूसरे दिन महिलाओं ने पूड़ी, बखीर व मीठा चावल ग्रहण कर खरना की परंपरा निभायी। व्रत के तीसरे दिन मंगलवार को महिलाएं निराजल व्रत रखेंगी और शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद ही कुछ ग्रहण कर व्रत की परंपरा का निर्वाह करेंगी।

दिन भर रहीं तैयारियों में व्यस्त

महाव्रत की परंपरा कठिन मानी जाती है। कई दिनों पहले से शुरू हुई व्रत की तैयारियों का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। महिलाएं एक चीज जुटा कर रखती हैं तो दूसरे की कमी हो जाती। इसी क्रम में व्रत से जुड़े सामानों की खरीदारी में महिलाएं पूरे दिन व्यस्त रहीं। सूप से लेकर दउरी और तरह-तरह के फलों की बिक्री जोरों पर रही। पूरे शहर में छठ का माहौल देखने को मिला। सिगरा, पाण्डेयपुर, लंका, चेतगंज, दशाश्वमेध, मैदागिन आदि एरियाज में खरीदारी करने वालों के चलते जाम की स्थिति पैदा हुई।

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घाटों पर बनाया घेरा

बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए घाटों पर लाखों की भीड़ उमड़ेगी। इस भीड़ से बचने के लिए लोग मंगलवार को कुंड, सरोवरों व नदी के घाटों पर अपना स्थान पक्का करने के लिए जुगाड़ में लगे रहे। पूजा की जगह उपलब्ध कराने के एवज में कुछ लोगों ने अच्छी कमाई भी की। दशाश्वमेध, अस्सी घाट के सूत्रों के अनुसार जगह सुनिश्चित कराने के नाम पर लोगों ने भ्00 रुपये से क्000 तक रुपये खर्च किये।

इनका रखें ध्यान

-अभी घाटों से पूरी तरह मिट्टी की सफाई नहीं हो पायी है इसलिए वहां विशेष सावधानी बरतें।

-अधिक भीड़ वाले घाट पर जाने से बचने की कोशिश करें।

-पानी में रस्सियों से बनाये गये खतरे के निशान से आगे न बढ़ें।

-सीढ़ी पर उतरने के दौरान सावधानी बरतें, फिसलन हो सकती है।

-सरोवर के जल से भी सूर्य को

अ‌र्घ्य दिया जा सकता है।

-कच्चे घाटों पर हमेशा चप्पल पहन कर रहें। सिर्फ पूजा के समय ही चप्पल उतारें।

-बेहतर होगा कि आप अपने साथ बहुत छोटे बच्चे को न ले जायें।