-नयी लोकसभा में पहुंचे बीएचयू के पूर्व छात्रों को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं स्टूडेंट्स लीडर्स

VARANASI : बीएचयू में एक बार फिर से स्टूडेंट्स यूनियन की मांग जोर पकड़ती दिखायी दे रही है। हाल ही में हुआ लोकसभा चुनाव इस मांग को बढ़ावा दे रहा है। कैंपस के तमाम स्टूडेंट लीडर्स मोदी की जीत के बाद बीएचयू को चुनावी अखाड़ा बनाने की कवायद में जुट गये है। लीडर्स का मानना है कि उनकी मांग दिल्ली तक जरूरी पहुंचेगी। क्योंकि संसद में पांच से अधिक ऐसे सदस्य इस बार चुने गये हैं जो बीएचयू के प्रॉडक्ट हैं।

पांच सांसद है बीएचयू के एलमनी

हाल में हुए चुनावों में बीएचयू में पढ़े पांच लोगों ने सफलता हासिल की और सांसद बने। इनमें वीरेन्द्र सिंह मस्त, भरत सिंह, महेन्द्र पाण्डेय, मनोज सिन्हा और मनोज तिवारी के नाम शामिल हैं। एनएसयूआई बीएचयू यूनिट के श्वेतांक पाण्डेय कहते हैं कि अब इन लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बीएचयू में यूनियन बनाने की दिशा में आगे आयें। स्टूडेंट लीडर अखिलेश सिंह कहते हैं कि स्टूडेंट्स यूनियन की हमारी मांग कोई संविधान से हटकर नहीं है। हमारी मांग जायज है। माननीय हाईकोर्ट ने भी हमारे पक्ष में ही फैसला दिया है।

सांसदों से है उम्मीद

बीएचयू में वर्षो से स्टूडेंट्स यूनियन नहीं है। प्रो पंजाब सिंह के कार्यकाल में बीएचयू स्टूडेंट्स को काउंसिल की सौगात मिली थी। पहले नॉमिनेशन के जरिये काउंसिल सेक्रेटरी चुने जाते थे। जो बाद में चलकर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव तक पहुंची। लेकिन पिछले दो साल से यहां काउंसिल का भी इलेक्शन नहीं हो पाया है। कोर्ट के आदेश पर सत्र ख्0क्ख्-क्फ् में काउंसिल का इलेक्शन नहीं हो पाया। इसके बाद कोर्ट ने काउंसिल से नियमावली को संशोधित करने को कहा जिसके चलते ख्0क्फ्-क्ब् में भी काउंसिल का गठन नहीं हो सका। वैसे स्टूडेंट्स को की मांग काउंसिल की नहीं मुकम्मल स्टूडेंट्स यूनियन की है। जिसके लिए वे अब इन पांच सांसदों को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।