- कंफ्यूजन की वजह से कार्डियक, एंटी टीबी, डायबिटीज, एंटी कैंसर, बीपी व कई एंटीबायोटिक दवाओं की सप्लाई हो गई कम

- एनपीपीए के फैसले के बाद से पैदा हुई स्थिति, एंटी टीबी, कैंसर, किडनी से रिलेटेड कई इंजेक्शनों का सरकारी अस्पतालों में भी स्टॉक खत्म

- कई दवाओं की सप्लाई को कंपनी ने कम किया तो कई दवाओं की कीमतों में कंफ्यूजन की वजह से स्टॉकिस्ट नहीं दे रहे आर्डर

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KANPUR(14 Oct.)

टीबी, कैंसर, हार्ट, डायबिटीज, बीपी से जुड़ी क्08 दवाओं की कीमतों को लेकर पैदा हुए कंफ्यूजन के बाद से शहर में इन दवाओं की कमी हो गई है। कई इंजेक्शन तो ऐसे हैं जिनका अब सरकारी हॉस्पिटलों में भी स्टॉक खत्म हो गया है। वहीं थोक व फुटकर दवा विक्रेताओं के आर्डर नहीं करने या फिर दवा कंपनियों की ओर से इन दवाओं की सप्लाई में कमी की वजह से यह किल्लत और बढ़ गई है। बड़ी बात ये है कि आने वाले दिनों में इन दवाओं का संकट और भी गहरा सकता है।

किस बीमारी की कौन सी दवाओं की बाजार में कमी

एंटी कैंसर

ग्लैविक, वीनेट, नोवाडेक्स और गिफ्टीनेट टैबलेट

बीपी व हार्ट

कार्डेस भ् एमजी, सेलोकिन एक्सएल भ्0, लोसर भ्0 एमजी , प्लेविक्स

एंटीबायोटिक

मोक्सीसिप-ब्00, मेक्सिम, टैक्सिम ओ ख्00, ऑग्युमेन्टिन म्ख्भ्, टेटीबिड ख्00

डायबिटीज

हयूपन मिक्सटर्ड, एमरायल टैबलेट

इंजेक्शन

एल्बुनिम ख्0, एंटी डी

ंटी टीबी

आरसिन्क टैबलेट, एकेटी फ् और ब् टैबलेट

कीमतों को लेकर है कंफ्यूजन

दरअसल इसेंशियल ड्रग लिस्ट की बाहर की बताई जा रही इन दवाओं के दामों को लेकर व्यापारियों में कंफ्यूजन है। कंफ्यूजन की वजह एक फैसला है, जिसके अंतर्गत इन दवाओं के दाम जिन्हें पिछले साल नेशनल फार्मासुटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने तय किए थे, उससे पीछे हट जाना बताया जा है। वैसे दवा कंपनियों ने इस एनपीपीए के इन दवाओं के दाम फिक्स करने के मामले को कोर्ट में भी खींचा जोकि अभी विचाराधीन है। इसके अलावा कई दवाओं को डीपीसीओ की ड्रग लिस्ट में शामिल होने के बाद दवा कंपनियों ने सप्लाई ही कम कर दी है।

एंटी टीबी दवाओं की सबसे ज्यादा किल्लत

जिन दवाओं की सप्लाई फार्मा कंपनियों से सबसे ज्यादा कम की है, उसमें एंटी टीबी ड्रग भी शामिल हैं। इन्हीं दवाओं की सबसे ज्यादा किल्लत है। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में इसका स्टॉक खत्म होने को है। इसके अलावा मेडिकल स्टोर्स में यह दवा नहीं मिल रही है। एल्ब्यूनिम ख्0 और एंटी डी इंजेक्शनों की पहले से ही कमी हो गई है।

कोट-

नान इसेंशियल दवाओं को डीपीसीओ की ड्रग लिस्ट में शामिल करने और एनपीपीए के विवाद की वजह से कंपनियों ने दवाओं की सप्लाई कम कर दी है। जिससे आर्डर देने के बावजूद दवा नहीं मिल रही है और मार्केट में इनकी किल्लत हो गई है।

-राजेंद्र सैनी, महामंत्री, थोक दवा व्यापार मंडल