साइबर फ्राड एक्सपर्ट मुम्बई के रहने वाले संतोष और योगेश, अभिषेक के साथ जेल जा चुके थे। एसटीएफ के इंट्रोगेशन में उन्होंने बताया कि गैंग का असली टारगेट किसी भी बैंक के सर्वर को हैक कर सर्वर के पाइप लाइन में फंसी ट्रांजेक्शन को कैश करना होता है। यह बात जानकार पुलिस भी हैरान रह गई। आखिर ये बैंक का सर्वर पाइप लाइन क्या है। दरअसल, भारत में ऐसे कई बैंक हैं जिसमें ऑन लाइन डेली करोड़ों का ट्रांजेक्शन होता है। कई बार किसी कारण से ट्रांजेक्शन होता तो है लेकिन एक्चुअल में पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ रहता और वह पैसा बैंक के सर्वर में चला जाता है। यह उसी तरह है जैसे हम एटीएम से पैसा निकालते हैं तो कभी-कभी पैसा नहीं निकलता और शो करता है कि पैसा ट्रांजेक्शन हो गया। वह पैसा एटीएम मशीन के चेस्ट बॉक्स में चला जाता है। ठीक उसी तरह करोड़ों का ट्रांजेक्शन बैंक के सर्वर पाइप लाइन में फंस जाता है.
341 करोड़ का target
एसटीएफ सोर्सेज की मानें तो संतोष और योगेश जिस गैंग के काम करते हैं उनका टारगेट सर्वर का पैसा उड़ाना था। उन्हें सूचना मिली थी कि इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट के किसी बैंक के शाखा में सर्वर में पैसा फंसा है। वह रकम 341 करोड़ रुपए है। यह ट्रांजेक्शन निकालना इतना आसान नहीं था। मुम्बई से इलाहाबाद आने के बाद उन्होंने अभिषेक से दोस्ती कर फेक नेम व एड्रेस पर बैंक में एकाउंट खोलने की तैयारी में जुट गए थे। अब उन्हें बैंक कर्मचारियों की मदद लेनी थी। लेकिन इसके लिए बिना बैंक कर्मचारियों के मिले या उनसे मिलकर उनकी आंखों में धूल झोंके बिना ऐसा करना संभव नहीं था। इसके लिए प्रयास चल रहा था। जांच में यह भी पता चला कि इस तरह का धंधा वे पहले भी कर चुके हैं। बिहार में किसी बैंक में ऐसी सूचना मिली थी जिसमें 300 करोड़ से ज्यादा रुपए फंसे थे। बदमाशों के साथियों ने फर्जी फैक्ट्री के नाम से ट्रांजेक्शन करने का जुगाड़ लगाया था और 50 लाख रुपए तक कैश करा लिए थे.
बैंक में थे 13 करोड़ रुपए
एसटीएफ यूनिट प्रभारी सीओ प्रवीण सिंह चौहान ने बताया कि एसटीएफ को सोर्सेज से इस गैंग के बारे में पता चला था। उन्हें सटीक सूचना मिल गई थी कि इलाहाबाद सिविल लाइंस शाखा से 4द्गह्य बैंक से फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए निकालना है। दरअसल, मुम्बई से पहुंचे संतोष और योगेश ने मुम्बई के रहने वाले डीडी पटेल के बैंक एकाउंट का पूरा डिटेल पता कर लिया था। उनके बैंक एकाउंट में 13 करोड़ रुपए थे। बैंक कर्मचारियों की मदद से किसी तरह से इन नटवर लाल ने डीडी पटेल की सिग्नेचर की हुई ब्लैंक चेक बुक हासिल कर ली। पहला ट्रांजेक्शन पांच करोड़ रुपए था। बैंक से बड़ी आसानी से चेक लगाकर वे अपने फेक एकाउंट से रुपए ट्रांसफर करा लेते और पैसे लेकर यहां से गायब हो जाते। मुम्बई में जब तक इस घटना की जानकारी होती, इलाहाबाद में पैसे निकल चुके होते। एसटीएफ ने बैंक से रुपए निकालने से पहले से ही उन्हें पकड़ लिया.
Flight से करते थे सफर
जांच में यह भी पता चला कि ये कहीं भी जाने के लिए फ्लाइट से ही सफर करते हैं। अगर कहीं फ्लाइट की सुविधा नहीं है तो फस्र्ट क्लास ऐसी ट्रेन में आते जाते हैं। इलाहाबाद आने के लिए भी वे मुम्बई से दिल्ली फ्लाइट से पहुंचे थे। फिर दिल्ली से सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से इलाहाबाद पहुंचे। इलाहाबाद में एस बैंक से रुपए निकाल कर फिलहाल उन्हें वापस लौट जाना था। पैसे मिलने के बाद वे उस बैंक के कर्मचारियों से मिलते जहां से सर्वर से करोड़ों रुपए उड़ाना था.
कैसे करते हैं गोरखधंधा
एसटीएफ प्रभारी ने बताया कि धर्मेन्द्र और संतोष के मोबाइल से कई राज खुले हैं। जांच में पता चला कि फ्राड करने के लिए इनके कई ग्रुप हैं। पहला ग्रुप बैंक से संबंधित पूरा डिटेल कलेक्ट करता है। बैंक डिटेल में ट्रांजेक्शन नंबर, कस्टमर का एकाउंट नंबर, पैन कार्ड नंबर, शिपमेंट कोड, कस्टमर आईडी, लॉगिन नंबर, पासवर्ड, टेलीफोन नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रोवाइड कराते हैं। इसी के साथ ग्रुप इस बात का पता भी लगा लेती है कि किसके एकाउंट में ज्यादा माल है। फिर बैंक कर्मचारियों की मदद से उसका सिग्नेचर स्कैन कर लेते हैं। इतना कुछ होने के बाद अब गैंग का दूसरा ग्रुप उस शहर से दूर किसी दूसरे शहर में फर्जी नाम और पते पर फर्जी बैंक एकाउंट खुलवाता है। तीसरे चरण में किसी लोकल व्यक्ति की मदद से चेक लगवा कर रुपए का ट्रांजेक्शन कराते हैं। फिर ४०+४०+१०+१०=१००त्न कमिशन का खेल होता है.
Report by- Piyush kumar
क्या है server pipeline
साइबर फ्राड एक्सपर्ट मुम्बई के रहने वाले संतोष और योगेश, अभिषेक के साथ जेल जा चुके थे। एसटीएफ के इंट्रोगेशन में उन्होंने बताया कि गैंग का असली टारगेट किसी भी बैंक के सर्वर को हैक कर सर्वर के पाइप लाइन में फंसी ट्रांजेक्शन को कैश करना होता है। यह बात जानकार पुलिस भी हैरान रह गई। आखिर ये बैंक का सर्वर पाइप लाइन क्या है। दरअसल, भारत में ऐसे कई बैंक हैं जिसमें ऑन लाइन डेली करोड़ों का ट्रांजेक्शन होता है। कई बार किसी कारण से ट्रांजेक्शन होता तो है लेकिन एक्चुअल में पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ रहता और वह पैसा बैंक के सर्वर में चला जाता है। यह उसी तरह है जैसे हम एटीएम से पैसा निकालते हैं तो कभी-कभी पैसा नहीं निकलता और शो करता है कि पैसा ट्रांजेक्शन हो गया। वह पैसा एटीएम मशीन के चेस्ट बॉक्स में चला जाता है। ठीक उसी तरह करोड़ों का ट्रांजेक्शन बैंक के सर्वर पाइप लाइन में फंस जाता है.
341 करोड़ का target
एसटीएफ सोर्सेज की मानें तो संतोष और योगेश जिस गैंग के काम करते हैं उनका टारगेट सर्वर का पैसा उड़ाना था। उन्हें सूचना मिली थी कि इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट के किसी बैंक के शाखा में सर्वर में पैसा फंसा है। वह रकम 341 करोड़ रुपए है। यह ट्रांजेक्शन निकालना इतना आसान नहीं था। मुम्बई से इलाहाबाद आने के बाद उन्होंने अभिषेक से दोस्ती कर फेक नेम व एड्रेस पर बैंक में एकाउंट खोलने की तैयारी में जुट गए थे। अब उन्हें बैंक कर्मचारियों की मदद लेनी थी। लेकिन इसके लिए बिना बैंक कर्मचारियों के मिले या उनसे मिलकर उनकी आंखों में धूल झोंके बिना ऐसा करना संभव नहीं था। इसके लिए प्रयास चल रहा था। जांच में यह भी पता चला कि इस तरह का धंधा वे पहले भी कर चुके हैं। बिहार में किसी बैंक में ऐसी सूचना मिली थी जिसमें 300 करोड़ से ज्यादा रुपए फंसे थे। बदमाशों के साथियों ने फर्जी फैक्ट्री के नाम से ट्रांजेक्शन करने का जुगाड़ लगाया था और 50 लाख रुपए तक कैश करा लिए थे.
बैंक में थे 13 करोड़ रुपए
एसटीएफ यूनिट प्रभारी सीओ प्रवीण सिंह चौहान ने बताया कि एसटीएफ को सोर्सेज से इस गैंग के बारे में पता चला था। उन्हें सटीक सूचना मिल गई थी कि इलाहाबाद सिविल लाइंस शाखा से 4द्गह्य बैंक से फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए निकालना है। दरअसल, मुम्बई से पहुंचे संतोष और योगेश ने मुम्बई के रहने वाले डीडी पटेल के बैंक एकाउंट का पूरा डिटेल पता कर लिया था। उनके बैंक एकाउंट में 13 करोड़ रुपए थे। बैंक कर्मचारियों की मदद से किसी तरह से इन नटवर लाल ने डीडी पटेल की सिग्नेचर की हुई ब्लैंक चेक बुक हासिल कर ली। पहला ट्रांजेक्शन पांच करोड़ रुपए था। बैंक से बड़ी आसानी से चेक लगाकर वे अपने फेक एकाउंट से रुपए ट्रांसफर करा लेते और पैसे लेकर यहां से गायब हो जाते। मुम्बई में जब तक इस घटना की जानकारी होती, इलाहाबाद में पैसे निकल चुके होते। एसटीएफ ने बैंक से रुपए निकालने से पहले से ही उन्हें पकड़ लिया.
Flight से करते थे सफर
जांच में यह भी पता चला कि ये कहीं भी जाने के लिए फ्लाइट से ही सफर करते हैं। अगर कहीं फ्लाइट की सुविधा नहीं है तो फस्र्ट क्लास ऐसी ट्रेन में आते जाते हैं। इलाहाबाद आने के लिए भी वे मुम्बई से दिल्ली फ्लाइट से पहुंचे थे। फिर दिल्ली से सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से इलाहाबाद पहुंचे। इलाहाबाद में एस बैंक से रुपए निकाल कर फिलहाल उन्हें वापस लौट जाना था। पैसे मिलने के बाद वे उस बैंक के कर्मचारियों से मिलते जहां से सर्वर से करोड़ों रुपए उड़ाना था.
कैसे करते हैं गोरखधंधा
एसटीएफ प्रभारी ने बताया कि धर्मेन्द्र और संतोष के मोबाइल से कई राज खुले हैं। जांच में पता चला कि फ्राड करने के लिए इनके कई ग्रुप हैं। पहला ग्रुप बैंक से संबंधित पूरा डिटेल कलेक्ट करता है। बैंक डिटेल में ट्रांजेक्शन नंबर, कस्टमर का एकाउंट नंबर, पैन कार्ड नंबर, शिपमेंट कोड, कस्टमर आईडी, लॉगिन नंबर, पासवर्ड, टेलीफोन नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रोवाइड कराते हैं। इसी के साथ ग्रुप इस बात का पता भी लगा लेती है कि किसके एकाउंट में ज्यादा माल है। फिर बैंक कर्मचारियों की मदद से उसका सिग्नेचर स्कैन कर लेते हैं। इतना कुछ होने के बाद अब गैंग का दूसरा ग्रुप उस शहर से दूर किसी दूसरे शहर में फर्जी नाम और पते पर फर्जी बैंक एकाउंट खुलवाता है। तीसरे चरण में किसी लोकल व्यक्ति की मदद से चेक लगवा कर रुपए का ट्रांजेक्शन कराते हैं। फिर ४०+४०+१०+१०=१००त्न कमिशन का खेल होता है.
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