पिछले हफ्ते ही फर्जी मार्कशीट्स, डिग्री और जाली सर्टिफिकेट्स बनाने वाले गिरोह काभांडाफोड़ किए जाने के बाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कैंपस में डेरा डाल दिया है। कैंपस में लगातार क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की मौजूदगी, कर्मचारियों से पूछताछ और इंक्वॉयरी के कारण हडक़ंप मचा हुआ है। कर्मचारियों में खौफ है कि पता नहीं किसको पुलिस पूछताछ के लिए उठा ले? उधर कथित तौर पर वीसी की इंटरनल खुफिया जांच भी जारी है। इस तनाव के बीच काम-काज प्रभावित हो रहा है। अपने काम के लिए आसपास के कई जिलों से रोज आने वाले सैकड़ों स्टूडेंट्स को कर्मचारियों के सीट पर नहीं मिलने से परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
पेपर रोल चुराने में मिलीभगतक्र!
पिछले गुरुवार को पुलिस ने छापा मारकर फर्जी एजूकेशनल डॉक्यूमेंट्स बनाने वाले गिरोह के सात लोगों को पकड़ा था। इनमें यूनिवर्सिटी के क्लर्क महेश और रजिस्ट्रार का ड्राइवर मुकेश झा भी शामिल था। एसएसपी यशस्वी यादव ने बताया था कि मार्कशीट पर अधिकारियों के स्कैन किए गए सिग्नेचर्स होते थे, जिसे मुकेश ने यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से उड़ाया था। लेकिन सूत्रों के अनुसार सीएसजेएमयू सहित कई फर्जी मार्कशीटें बनाने के लिए यूज किया जाने वाले पेपर प्रिंट असली होते थे, जिन्हें यूनिवर्सिटीज की ओरिजनल मार्कशीट, डिग्री आदि बनाने वाले वॉटर मार्क शुदा पेपर रोल में से ही चुराया जाता था। इस अपराध के लिए भारी-भरकम सजा है। इसी बिंदु पर फिलहाल पुलिस और वीसी भी अपनी जांच कर रहे हैं.
सारा प्रोग्राम गोपनीय
यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार ये पेपर रोल बहुत ही गोपनीय ढंग से देश की किसी एक प्रेस से छपवाए जाते हैं। सारा प्रोग्राम गोपनीय रहता है। सेंध लगाने वाले को ढूंढा जा रहा है। गिरोह से कई यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूशंस के नकली मार्कशीट्स, डिग्री और सर्टिफिकेट्स मिले थे.
मार्कशीट और रिजल्ट संबंधी डेटा फर्जी मार्कशीट्स और सर्टिफिकेट्स बनाने वाले गैंग के पास कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी की जा रही है। कहीं इस कारनामे में यूनिवर्सिटी के ही कोई कर्मचारी या अधिकारी तो शरीक नहीं? पुलिस के पास इस संबंध में और क्या जानकारियां हैं, ये जानने को मैंने एसपी क्राइम से मिलने का समय लिया है.
-प्रो। अशोक कुमार, वाइस चांसलर, सीएसजेएमयू
सीडीआर से सुराग
यूनिवर्सिटी और पुलिस सूत्रों के अनुसार कई संदिग्ध आचरण वाले कर्मचारियों के संपर्क खंगाले जा रहे हैं और उनके मोबाइलों के कॉल डेटा रिकार्ड्स भी निकलवाए जा सकते हैं। कई को सर्विलांस पर भी लिया जा सकता है। फर्जी मार्कशीट गिरोह के ‘फारवर्ड’ और बैकवर्ड लिंक तलाशे जा रहे हैं। आगे कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। वहीं प्रदेश की कई और यूनिवर्सिटीज में मौजूद गिरोह से जुड़े लोगों को भी उठाया जा सकता है.
पिछले हफ्ते ही फर्जी मार्कशीट्स, डिग्री और जाली सर्टिफिकेट्स बनाने वाले गिरोह काभांडाफोड़ किए जाने के बाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कैंपस में डेरा डाल दिया है। कैंपस में लगातार क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की मौजूदगी, कर्मचारियों से पूछताछ और इंक्वॉयरी के कारण हडक़ंप मचा हुआ है। कर्मचारियों में खौफ है कि पता नहीं किसको पुलिस पूछताछ के लिए उठा ले? उधर कथित तौर पर वीसी की इंटरनल खुफिया जांच भी जारी है। इस तनाव के बीच काम-काज प्रभावित हो रहा है। अपने काम के लिए आसपास के कई जिलों से रोज आने वाले सैकड़ों स्टूडेंट्स को कर्मचारियों के सीट पर नहीं मिलने से परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
पिछले गुरुवार को पुलिस ने छापा मारकर फर्जी एजूकेशनल डॉक्यूमेंट्स बनाने वाले गिरोह के सात लोगों को पकड़ा था। इनमें यूनिवर्सिटी के क्लर्क महेश और रजिस्ट्रार का ड्राइवर मुकेश झा भी शामिल था। एसएसपी यशस्वी यादव ने बताया था कि मार्कशीट पर अधिकारियों के स्कैन किए गए सिग्नेचर्स होते थे, जिसे मुकेश ने यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से उड़ाया था। लेकिन सूत्रों के अनुसार सीएसजेएमयू सहित कई फर्जी मार्कशीटें बनाने के लिए यूज किया जाने वाले पेपर प्रिंट असली होते थे, जिन्हें यूनिवर्सिटीज की ओरिजनल मार्कशीट, डिग्री आदि बनाने वाले वॉटर मार्क शुदा पेपर रोल में से ही चुराया जाता था। इस अपराध के लिए भारी-भरकम सजा है। इसी बिंदु पर फिलहाल पुलिस और वीसी भी अपनी जांच कर रहे हैं.
यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार ये पेपर रोल बहुत ही गोपनीय ढंग से देश की किसी एक प्रेस से छपवाए जाते हैं। सारा प्रोग्राम गोपनीय रहता है। सेंध लगाने वाले को ढूंढा जा रहा है। गिरोह से कई यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूशंस के नकली मार्कशीट्स, डिग्री और सर्टिफिकेट्स मिले थे।
मार्कशीट और रिजल्ट संबंधी डेटा फर्जी मार्कशीट्स और सर्टिफिकेट्स बनाने वाले गैंग के पास कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी की जा रही है। कहीं इस कारनामे में यूनिवर्सिटी के ही कोई कर्मचारी या अधिकारी तो शरीक नहीं? पुलिस के पास इस संबंध में और क्या जानकारियां हैं, ये जानने को मैंने एसपी क्राइम से मिलने का समय लिया है।
-प्रो। अशोक कुमार, वाइस चांसलर, सीएसजेएमयू
सीडीआर से सुराग
यूनिवर्सिटी और पुलिस सूत्रों के अनुसार कई संदिग्ध आचरण वाले कर्मचारियों के संपर्क खंगाले जा रहे हैं और उनके मोबाइलों के कॉल डेटा रिकार्ड्स भी निकलवाए जा सकते हैं। कई को सर्विलांस पर भी लिया जा सकता है। फर्जी मार्कशीट गिरोह के ‘फारवर्ड’ और बैकवर्ड लिंक तलाशे जा रहे हैं। आगे कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। वहीं प्रदेश की कई और यूनिवर्सिटीज में मौजूद गिरोह से जुड़े लोगों को भी उठाया जा सकता है।
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