PATNA : बिहार में सरकार बनाने का निर्णय लेने का अंतिम दिन भ् नवम्बर। यानी आखिरी फेज का मतदान होना है। भ्7 सीटों के लिए नौ जिलों में वोटिंग होनी है। अंत भला तो सब भला की तर्ज पर सभी पार्टियों ने अपनी जोर लगा दी। एनडीए के लिए पीएम से लेकर होम मिनिस्टर तक ने इस फेज के लिए सभाएं की। वहीं महागठबंधन के लिए लालू और नीतीश के अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोर्चा संभाल रखा है। इस फेज का इलेक्शन ही तय करेगा कि फाइनल बहुमत किसके पास है।

कौन सवार होगा सत्ता के रथ पर

सत्ता के रथ पर कौन सवार होगा यह इसी चरण के बाद ही क्लीयर होगा। क्याेंकि मुकाबला काफी टफ है और राजनीति विश्लेषकों की मानें तो चार चरणों में कोई भी अलाइंस सरकार बनने के बहुत करीब नहीं पहुंच पाया। इस फेज में वोट कटने के डर से सभी पार्टियां जूझ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पार्टियां जिन वोटर्स को अपना पुराना वोट बैंक मानती रही है उसमें सेंध लगाने के लिए दूसरे स्टेट के दल भी शामिल हो चुके हैं। यह सभी दल दूसरे प्रदेशों में या तो महागठबंधन के सपोर्ट रहे हैं या फिर एनडीए के। दूसरे स्टेट में ज्यादा एक्टिव दलों में कश्मीर की पैंथर पार्टी, झारखंड दिशोम पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिवसेना, हैदाराबाद के ए। ओवैसी की पार्टी एआईएएमएमए शामिल है। आठ दर्जन से अधिक नेशनल, क्षेत्रीय और रजिस्टर्ड पार्टियां पांचवे फेज में ताल ठोक रही हैं।

अंतिम फेज में दूसरे स्टेट में अधिक एक्टिव हैं पार्टियां

यूपी की समाजवादी पार्टी ख्ब् सीट

महाराष्ट्र की शिवसेना क्9सीट

झारखंड मुक्ति मोर्चा क्भ् सीट

झारखंड दिशोम पार्टी 0क् सीट

हैदराबाद की एआईएएमएमए 0म् सीट

केन्द्र में साथ मगर बिहार में अलग

शिवसेना बिहार में चुनाव लड़ रही है। पांचवें फेज में क्9 सीटों पर भाग्य आजमा रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो शिवसेना को मिलने वाला वोट बीजेपी को ही डैमेज करेगा। शिवसेना के राज्ससभा सांसद संजय राउत ने भी जमकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव प्रचार किया। शिवसेना महाराष्ट्र में भी बीजेपी के साथ पुराना संबंध रहा है लेकिन, वह इस बार उसकी ही वोट काटती दिख रही है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सतारुढ समाजवादी पार्टी भी इलेक्शन लड़ रही है। उसने भी तीसरा मोर्चा में शामिल होकर महागठबंधन के लिए परेशानी पैदा कर दी है। पांचवे फेज के इलेक्शन में वह ख्ब् सीटों पर लड़ रही है। पिछली बार की असेम्बली में उसे एक सीट ही मिली थी। इस बार उसे पप्पू यादव का साथ मिला है जिनकी सीमांचल में पकड़ है, ऐसे में उसे कुछ सीटों पर आस बंधी है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी संभाला मोर्चा

स्टेट असेम्बली में झारखण्ड में विपक्ष की भूमिका निभा रही शिबू सोरेन की पार्टी ने भी ताल ठोक रखी है। कई क्षेत्रों से वह चुनाव लड़ रही है। अंतिम फेज में ही उसने क्भ् सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं। पार्टी जो विचार धारा में खुद महागठबंधन के दलों के करीब पाती है वह इस बार उसके खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है। बिहार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए उसने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। पिछली बार के असेम्बली में उसके एक विधायक भी जीतकर आये थे। इसके अलावा झारखण्ड दिशोम पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतार है। वह एक सीट पर इलेक्शन लड़ रही है और अपने पांव जमाने की कोशिश में लगी है।

ओवैसी भी दहाड़ रहे सीमांचल में

मुसलमान बाहुल्य सीमांचल में जो फैक्टर बाहर होने के साथ ही इफेक्ट डालने की भी हैसियत में दिखाई दे रहा है उसमें से एक हैदराबाद की पार्टी एआईएएमएमए भी इलेक्शन लड़ रही है। पहले सीमांचल ख्ख् सीटों पर लड़ने की घोषणा के बाद ए ओवैसी ने आखिरकार म् सीटों पर लड़ने का मन बनाया। घूम-घूमकर महागठबंधन और एनडीए दोंनों पर जमकर निशाना साधा। मुस्लिम वोटों पॉलराइजेशन का डर तो पार्टियों को दिखा ही दिया। लालू पर हमला कर उनके वोट बैंक को तोड़ने की ओर इशारा की तो लालू भी बैखला उठे और उनपर आरोप लगा दिया कि बीजेपी की मदद के लिए खड़े हैं। इसके अलावा कश्मीर में लगातार इलेक्शन लड़ने वाली वहां की पैंथर पार्टी भी इस बार बिहार में किस्मत आजमा रही है। कश्मीर की राजनीति में अच्छी खासी दखल रखती है पैंथर पार्टी।