- यादव और मुस्लिम बहुल क्षेत्र है पांचवे चरण में

- पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल में बीजेपी को हुआ था फायदा

PATNA: बिहार के साथ साथ देश की निगाहें पांचवें चरण पर है। इस चरण के लिए पांच नवंबर को मतदान होना है। यह मतदान महागठबंधन और भाजपा गठबंधन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। खासकर भाजपा गठबंधन के लिए ही यह चरण संजीवनी साबित हो सकती है या फिर महगठबंधन इस चरण के बदौलत अपने को स्थापित कर सकती है। लेकिन कई इफ एंड बट इस चरण में दोनों के खेल बिगाड़ने की स्थिति में हैं। महागठबंधन जहां अपने कोर वोट को बचाने की जुगत में लगा हुआ है वहीं भाजपा गठबंधन लगातार इस कोशिश में है कि यहां हिंदू और मुस्लिम वोटों का पोलराइजेशन हो जाए।

सबेस अधिक सीट और दिलचस्प लड़ाई

पांचवें चरण में सबसे अधिक भ्7 सीट पर मतदान होना है। इसमें कोसी इलाके के तीन जिले मधेपुरा, सहरसा और सुपौल के क्फ् और सीमांचल के चार जिले पूर्णियां, कटिहार, किशनगंज, अररिया के ख्ब् सीटों पर मतदान होना है। वहीं मिथिलांचल के दरभंगा और मधुबनी के बीस सीटों पर इसी दिन मतदान होंगे। अबतक के चार चरणों के मतदान के बाद दोनों गठबंधन अपने अपने बहुमत की बात सार्वजनिक रूप से कर रही है। लेकिन ऑफ द रिकार्ड बातचीत के दोनो की गठबंधन के नेता संशय की स्थिति में नजर आते हैं। यही कारण है कि पांचवे चरण में महागठबंधन से लेकर भाजपा एलायंस तक कोई भी कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है। अबतक के वोटिंग पैटर्न को देंखें तो मुसलामनों और महिलाओं ने उत्साह के साथ वोट किया है। पांचवे चरण के चुनाव में मुस्लिम वोटर ही कई मायने में डिसाइडिंग फैक्टर साबित होंगे। सच्चर कमेटी ने बिहार के आठ जिले को माइनॉरिटी कमोडिटी डिस्ट्रिक्ट (एमसीडी)माना है। जिसमें से पांचवे चरण में छह जिले एमसीडी ग्रुप के हैं। अररिया और किशनगंज की बात करें तो चालीस प्रतिशत से अधिक मुसलमान वोटर हैं, पूर्णियां में फ्म् प्रतिशत मुसलामन वोटर और दरभंगा में भी बीस प्रतिशत मॉइनरिटी वोट है। साथ ही कोसी का ईलाका दलित बैकवर्ड आबादी बहुल इलाका है। इस चरण में महा-गठबंधन के माय समीकरण की परीक्षा होनी है, इन्हीं दो चरणों में पप्पू यादव एवं ओवैसी जैसे नेताओं की ताकत का आकलन भी होना है।

ओबैसी और पप्पू बिगाड़ेंगे किसका खेल

राजद से अलग होकर जनाधिकार पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव और एआईएमआईएम के ओवैसी किसका वोट बिगाड़ेंगे यह देखना भी दिलचस्प होगा। पांचवे चरण में पप्पू और ओबैसी पर सबकी नजर है। सीमांचल के ईलाके में पिछली बार भाजपा को फायदा हुआ था। लेकिन इस बर की परिस्थति भिन्न है। साथ ही बिहार की राजनैतिक नब्ज पर निगाह रखने वाले एक तबके का यह भी मानना है कि इस बार का विधानसभा चुनाव दो ही लोगों के बीच लड़ा जा रहा है महागठबंधन और बीजेपी। इस चुनाव में किसी अन्य की कोई दाल नहीं गलेगी। वहीं एक तबका यह भी मानता है कि पप्पू का प्रभुत्व वाले ईलाके में चुनाव है और मोदी लहर के बाद भी वे लोकसभा चुनाव में खुद तो जीते ही उनकी पत्‍‌नी भी चुनाव जीत गयी सो पप्पू इस चरण में अपनी दमदार स्थिति पेश करने वाले हैं। वहीं ओबैसी इस ईलाके के छह विधानस्ीा सीटों से अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कहा जा रहा है कि इसमें से कोचाधामन, किशनगंज जैसे कुछ सीटों पर मुकाबले में हैं। वहीं ईलाके के लोगों का एक वर्ग ऐसा है जो ओबैसी को बाहरी मान रहा है। बताया गया कि जब ओबैसी को लग गया कि मुसलमान टूट कर मेरी तरफ नहीं आ रहे हैं तो उसने सीमांचल के ख्भ् सीटों पर घोषणा के बाद मात्र छह सीट रानीगंज, किशनगंज, कोचायधामन, अमौर, वायसी और बलरामपुर से लड़ रहे हैं। वहीं यह भी बात कही जा रही है कि ओबैसी के एक्टिव होने के बाद यह बात भी आने लगी थी कि ओबैसी एनडीए की साठगांठ के बाद बिहार से चुनाव लड़ने आये हैं ताकि इस क्षेत्र में महागठबंधन का वोट काट कर एनडीए को फायदा पहुंचा सकें।

कोसी होगा आखिर किस गोप का

कोसी ईलाके का ही जिला है मधेपुरा। और इस इलाके में आने वाला हर नेता यह कहावत जरूर दुहराता है कि रोम पोप का और मधेपुरा गोप का। कोसी ईलाके में इस चुनाव में भी इस कहावत को दुहराई जा रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर इस बार यह कोसी का ईलाका किस गोप का होगा। लालू यादव और टीम अपनी पूरी उर्जा इस क्षेत्र में झोंक दी है। अपने यादव वोट के बिखराव को रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है। साथ ही पप्पू यादव खुद भी लगातार सक्रिय हैं। मधेपुरा पप्पू का गृह जिला है, वे यहीं से सांसद हैं और उनका अपना जनाधार भी है। यह देखना होगा कि पप्पू यादव मतदाताओं को लालू यादव से कितनी दूर ले जाते हैं। कहा जा रहा है कि एनडीए भी पांचवे चरण में पप्पू को ही देख रही है। पप्पू यादव यादव वोटों में जितना अधिक सेंध लगायेंगे महागठबंधन को उतना ही नुकसान होगा। वैसे लोगों की माने तो सिंहेश्वर, धमदाहा, बिहारीगंज, पूर्णियां जैसे कम से कम दस सीटों पर पप्पू मजबूत स्थिति में हैं। पप्पू की जितनी भी सभायें इस ईलाके मे हुई उसमें भीड़ देखी गयी है। अगर सभाओं की भीड वोट में तब्दील होती है तो एनडीए के लिए यह चुनाव संजीवनी ही साबित होगी।

पांचवां और आखरी चरण विधानसभा चुनाव का गेम चेंजर होगा। यह चरण दोनों महागठबंधन और बीजेपी गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। अब इंतजार इस बात का है कि ओबैसी और पप्पू फैक्टर कितना काम करते हैं। अगर यह फैक्टर काम कर गया तो नो डाउट महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी ही साबित होगी।

महेंद्र सुमन, राजनैतिक विश्लेषक