-संतोष मेहता के कड़ी टक्कर से महज 2779 वोट से जीते

-बीजेपी को 87,936 व आरजेडी को 85,157 वोट मिले

PATNA CITY: पटना साहिब असेंबली एरिया से हारते-हारते अंतत: नंदकिशोर यादव ने जीत का छक्का लगा ही दिया। हालांकि वे महज ख्779 वोट से ही जीत हासिल कर सके। लोगों की धड़कन थमी थी। एक तरफ एनडीए का सपना समाप्त होने के बाद नंदकिशोर यादव की हार का डर बिजनेसमैन से लेकर अन्य को सता रहा था। मगर अंतिम चक्र में पटना साहिब में बीजेपी सीट बचाने में सफल रही।

संतोष ने दी कड़ी टक्कर

आरजेडी के कैंडिडेट संतोष मेहता ने नंदकिशोर यादव को कड़ी टक्कर दिया। संतोष वर्ष ख्00ख् व ख्007 में पटना नगर निगम में वार्ड म्ख् से काउंसलर बने। वे करीब आठ वर्ष तक डिप्टी मेयर बने रहे। ख्0क्ख् के नगर निगम के चुनाव में शिव मेहता से 880 वोट से हार गए थे। इसके बाद असेंबली पहुंचने की इच्छा में पॉलिटिकल गुरु नंदकिशोर यादव के साथ मतभेद हुआ। अपने गुरु को टक्कर दिया। संतोष चुनाव हार कर भी जीत गए। कारण जमानत बचाने के साथ ही कम मतों से हारे।

सपोर्टर्स के माथे पर बल

एक तरफ बीजेपी तो दूसरी ओर आरजेडी, जेडीयू व कांग्रेस के नेता, वर्कर व सपोर्टर्स चिंतित थे। नंदकिशोर यादव जीत का छक्का लगा पाएंगे या फिर बाउंड्री के संतोष मेहता कैच कराएंगे। लोगों की धड़कन बढ़ने लगी। दोपहर दो के बीद बेचैनी बढ़ती गई। लोग टीवी से चिपके थे, साथ ही बीजेपी से लेकर आरजेडी, जेडीयू व कांग्रेस के नेताओं को भी कॉल कर स्थिति जानने की कोशिश करते रहे। जैसे ही सूचना मिली कि नंदकिशोर ने जीत हासिल कर ली है। उनके निजी आवास खाजेकलां में बैठे कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी के साथ मिठाई बांटना शुरू कर दिया। यहां मौजूद बीजेपी लीडर पारसनाथ गुप्ता, राजेश साह, नीतू साह, सुजीत गुप्ता, शिव गोप, हेमलता शर्मा आदि ने जमकर आतिशबाजी की और मिठाइयां एक-दूसरे को खिलाई। नंदकिशोर के फेमिली मेंबर घर में ही खुशी मनाते रहे। हालांकि उनके पुत्र, बहू व पोते सब सरकारी आवास पर हैं। यहां भाई, भावज व उनके बच्चे थे। वे सब खुशी में शामिल हुए।

विपक्ष ने की थी घेराबंदी

बिहार असेंबली अपोजिशन लीडर नंदकिशोर यादव को जीत का छक्का लगाने से रोकने के लिए महागठबंधन के शीर्ष नेताओं से लेकर लोकल लीडरों तक ने मोर्चा संभाल रखा था। इस कारण आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद नंदकिशोर यादव की एक गलती से नाराज थे। वह था उनके बेटे के खिलाफ जिसे टिकट से वंचित किया। उसे बीजेपी में शामिल करा कैंडिडेट बना चुनाव में उतारना।

लालू ने लगाई पूरी ताकत

पॉलिटिकल सूत्रों की मानें तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने राघोपुर से सीटिंग कैंडिडेट सतीश राय का टिकट काट दिया। उनके स्थान पर अपने बेटे तेजस्वी को कैंडिडेट घोषित किया। इसके बाद नंदकिशोर ने न केवल सतीश राय को बीजेपी में शामिल कराया, बल्कि उन्हें राघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ बीजेपी का कैंडिडेट भी बनाया। इससे लालू प्रसाद नंदकिशोर यादव से खासे नाराज थे।

पोलिंग के पूर्व लोगों से बात

लालू के नजदीक रहने वाले लीडरों की मानें तो लालू प्रसाद ने ख्8 अक्टूबर को होने वाले पोलिंग के पूर्व लोगों को कॉल कर नंदकिशोर यादव को हर हाल में हराने का संदेश जारी किया। इधर नंदकिशोर यादव से उनकी पार्टी से लेकर पब्लिक में भी कुछ गुस्सा था। हालांकि पोलिंग के नजदीक आते-आते सभी के गुस्से को भी प्यार में बदलने में यादव सफल रहे और यही उनके जीत का कारण भी बना।

जीत के प्रति थे आश्वस्त

नंदकिशोर यादव जीत के प्रति आश्वस्त थे। हालांकि विरोध में खड़े आरजेडी के संतोष मेहता की टक्कर, वह भी तीन दलों का साथ था। ऐसे में उन्होंने तीसरे चरण के अन्य असेंबली एरिया के चुनाव प्रचार से अपने को अलग रख पूरी तरह से अपने असेंबली एरिया में ध्यान केंद्रित रखा। उनके सपोर्ट में झारखंड के सीएम रघुवर दास, सेंट्रल मिनिस्टर रामविलास पासवान, रामकृपाल यादव, उपेंद्र कुशवाहा, एक्स सीएम जीतन राम मांझी, भोजपुरी एक्टर कम एमपी मनोज तिवारी, बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, बीजेपी के नेशनल स्पोक्समैन शहनवाज हुसैन, शकुनी चौधरी, सम्राट चौधरी आदि ने कैंपेन किया। वहीं दूसरी ओर आरजेडी कैंडिडेट संतोष मेहता की ओर से सीएम नीतीश कुमार व एक्स सीएम लालू प्रसाद ने पब्लिक मीटिंग की। हालांकि महागठबंधन से जुड़े कुछ काउंसलर, नेता व वर्कर संतोष का साथ दिए होते, तो परिस्थिति बदली हुई होती।

अधिकतर दुकानें रही बंद

सिटी की प्रमुख मंडियां हालांकि संडे होने से बंद थीं। फिर भी पश्चिम दरवाजा से झाऊगंज के बीच अधिकांश दुकान खुली थीं। दोपहर के बाद अधिकांश दुकान के शटर गिर गए। महज मौसमी कारोबार से जुड़े पटाखा, सजावट के सामान, रंगीन लाइट, मिठाई की दुकान आदि ही थी।

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