वोट की रेवड़ी सबकी झोली में

GAYA: महासमर की महागणना समाप्त हो गई। दोपहर बाद सबको अपनी-अपनी स्थिति का आभास हो गया था.मतों की गिनती जब समाप्ति पर हुई तो जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने सबों के झोली में वोट की रेवड़ी डाल दी। जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों में राजद के सर्वाधिक चार प्रत्याशी चुनाव जीते। बेलागंज से सुरेन्द्र प्रसाद यादव, बाराचट्टी से समता देवी, बोधगया से कुमार सर्वजीत और अतरी से कुंती देवी चुनाव जीत गई। इसमें बेलागंज सीट पहले से ही डा। यादव के पास रहा है। और यह उनकी सातवीं जीत है। इन चार सीटों में राजद ने भाजपा से बोधगया की सीट छीन ली। जबकि अतरी और बाराचट्टी में लोजपा को पराजित किया। राजद से कम बेहतर प्रदर्शन जदयू का रहा। जदयू ने टिकारी और शेरघाटी सीट पर कब्जा जमाया। यह दोनों सीट पहले से ही जदयू के पास थी। कमोवेश इस चुनाव में जदयू कमजोर पड़ा। गुरुआ और इमामगंज जैसे महत्वपूर्ण सीट उसे खोना पड़ा। इमामगंज से जदयू के वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी चुनाव हार गए। यहां से हम के जीतन राम मांझी चुनाव जीत गए। यह एक बड़ी 'हार और जीत' का क्षेत्र बन गया था। भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि उसे तो वजीरगंज और बोधगया सीट गंवानी पड़ी। भाजपा ने गुरुआ से युवा राजीव नंदन को टिकट देकर चुनाव जीत ली। यह भाजपा के लिए कोई बड़ी जीत नहीं चूंकि यहां से सुरेन्द्र प्रसाद सिन्हा भाजपा के विधायक थे। उन्हें टिकट से वंचित कर नए चेहरे को दिया गया था। शायद इसका फायदा भाजपा को मिला। गया शहरी सीट के लिए मतदाताओं ने फिर एक बार डा। प्रेम कुमार को अपना विधायक चुन लिया। डा। कुमार सातवीं बार चुनाव जीते हैं। जिले के महत्वपूर्ण वजीरगंज सीट पर कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह ने भाजपा को शिकस्त दी। यह एक बड़ी जीत है। कांग्रेस से यह सीट ख्0क्0 में भाजपा ने छीनी थी। जिसे इस बार छीनकर हिसाब बराबर कर लिया। 'हम' का खाता सिर्फ गया में ही खुलकर रह गया। हम के सर्वेसर्वा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भले ही इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत लिया है। यह जीत व्यक्तिगत हो सकती है। पार्टी के लिए कोई बड़ा मायने नहीं रखता।