-47 वर्षो तक मंडल डैम परियोजना का काम रहा लंबित

-डैम निर्माण में 1622 करोड़ खर्च होगा, 1970 में लागत थी 30 करोड़

GAYA/PATNA: मंडल डैम के शिलान्यास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को बिहार और झारखंड की जनता की ओर से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा यह दुर्भाग्य है कि 47 वर्षो तक यह परियोजना लंबित रही। नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभालने के साथ ही दशकों से लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि 48 वर्ष पूर्व जब उत्तर कोयल जल विद्युत परियोजना के मंडल डैम की बुनियाद रखी गयी थी तब किसी को अहसास तक नहीं था कि इसके जीर्णोद्धार के लिए पुन: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिलान्यास करना पड़ेगा। डैम निर्माण में अब 1622 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वर्ष 1970 में इस परियोजना की अनुमानित राशि 30 करोड़ रुपए थी। जिसमें से 44000 एकड़ कमान क्षेत्र में सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक संस्थानों के लिए जल आपूर्ति एवं 24 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की योजना थी।

योजना आयोग ने इसकी स्वीकृति 1989 के सितंबर में दी थी। लेकिन निर्माण कार्य 1972-73 में शुरू किया गया। वर्ष 1985 में पुनरीक्षित कर प्राक्कलित राशि को 439 करोड़ रुपये कर दिया गया था जो बाद में बढ़कर 581 करोड़ रुपये हो गया।

फल्गु के उद्धार पर करेंगे विचार

फल्गु नदी के उद्धार की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद उम्मीद की नई किरण दिखी है। शनिवार को उत्तर कोयल जलाशय परियोजना के शिलान्यास के लिए डालटनगंज जाने के क्रम में गया एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री ने दैनिक जागरण में फल्गु की दुर्दशा से संबंधित खबर का संज्ञान लिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधान पार्षद कृष्ण कुमार सिंह उर्फ कुमार बाबू ने भी उन्हें बताया कि करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था से जुड़ी पौराणिक फल्गु नदी का अस्तित्व खतरे में आ चुका है। विधान पार्षद ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस पर विचार करने का सकारात्मक आश्वासन दिया है। अतिक्रमण से अस्तित्व पर संकट के कारण हाल के वर्षो में फल्गु के अस्तित्व पर ग्रहण लगता चला गया। न तो अतिक्रमण हटाए गए और न ही इसमें गिराए जाने वाले नालों को रोका गया। इस संबंध में सारे आदेश-निर्देश की अनदेखी होती रही। हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके बाद भी फल्गु की दशा यथावत बनी रही। दैनिक जागरण ने जब फल्गु को बचाने की मुहिम में इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए कि किस तरह पहले कूड़ा-कचरा फेंककर उसका पहाड़ खड़ा किया जाता है और बाद में वहीं घर-मकान बन जाते हैं। हाल ही में ऐसे प्रयासों पर खबर के प्रकाशन के बाद रोक भी लगी।

सौंपी जा चुकी है सर्वे की रिपोर्ट

फल्गु को बचाने की मुहिम में विभिन्न संगठनों से लेकर यहां के आम लोग जुड़ गए हैं। इसके लिए लगातार आंदोलन भी किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यहां वियर बांध की आवश्यकता जताते हुए निर्माण की दिशा में काम शुरू करने का आदेश दिया है। इसको लेकर सर्वे का काम पूरा हो चुका है और रिपोर्ट सौंप दी गई है।

जुड़े हैं सामाजिक और आर्थिक सरोकार

अभियान के क्रम में विभिन्न संगठन, स्थानीय प्रबुद्ध नागरिकों से लेकर तमाम लोग इससे जुड़ते चले गए और यह एक बड़ा सवाल बनता चला गया। चूंकि फल्गु न सिर्फ सनातन आस्था से जुड़ी पौराणिक नदी है, बल्कि इससे यहां के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक सरोकार भी जुड़े हुए हैं। यहां तर्पण के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री के आश्वासन पर नए साल में लोगों में एक उम्मीद जगी है कि इसके उद्धार की दिशा में सार्थक पहल होगी।