-31 जनवरी, 2015 से केरल में होगा नेशनल गेम, बिहार के प्लेयर्स पर लगा है बैन

-बिहार स्पो‌र्ट्स बिल ओलंपिक चार्टर के नियमों का है वायलेशन

-सैकड़ों प्लेयर्स का फ्यूचर अंधकारमय

PATNA: बिहार में सैकड़ों प्लेयर्स का भविष्य अंधकारमय करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। यह तैयारी खुद स्टेट गवर्नमेंट ने ही की है। यह कोई स्टेटमेंट नहीं, बल्कि एक प्रतिक्रिया है उन प्लेयर्स की जो इसका शिकार हुए हैं। दरअसल, केरल में फ्क् जनवरी, ख्0क्भ् से नेशनल गेम होने जा रहा है और इसमें बिहार के प्लेयर्स की होगी 'नो एंट्री'। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने यह बैन लगाया है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा बिहार गवर्नमेंट के आर्ट, कल्चर एवं स्पो‌र्ट्स मिनिस्टरी को एक लेटर दो-तीन बार लिखकर इस बारे में स्पष्टीकरण मांगी गई थी, लेकिन इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जबाव नहीं दिया गया है।

नहीं दिया गया लेटर का जबाव

इस बारे में अगर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने छह सितंबर और इससे पहले अप्रैल, ख्0क्ब् में भी बिहार गवर्नमेंट के नाम लेटर लिखकर पूछा था कि क्यों न बिहार के प्लेयर्स की मान्यता रद्द कर दी जाए। अगर वे ओलंपिक चार्टर से स्वंय को ऊपर मानते हैं तो इसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं, लेकिन ताज्जुब की बात है कि महीनों बीतने के बावजूद किसी ने कोई तत्परता नहीं दिखायी और आज बिहार के प्लेयर्स का भविष्य अंधकारमय है। कई ऐसे प्लेयर्स हैं, जिन्होंने सालों मेहनत कर नेशनल गेम की तैयारी की है, पर अब मायूस हैं।

खेल में अनावश्यक हस्तक्षेप

इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने छह सितंबर, ख्0क्ब् को लिखे लेटर में स्पष्ट तौर पर जिक्र किया है कि बिहार स्पो‌र्ट्स बिल को तुरंत वापस लिया जाए। यह ओलंपिक चार्टर के नियमों के सख्त खिलाफ है। उनका कहना है कि खेल के एसोसिएशन की स्वायत्ता बरकरार रखी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो बिहार के प्लेयर्स को खेलने नहीं दिया जाएगा।

एसोसिएशन को उठाना पड़ रहा खामियाजा

तकनीकी रूप से स्थिति यही है कि जबतक स्पो‌र्ट्स बिल को वापस नहीं लिया जाता है तब तक यह मामला नहीं सुलझ सकता है। भले ही अन्य स्टेट्स में गेम को एक कम्यूनिटी बेस्ट एक्टिविटी मानकर उसे एसोसिएशन और ओलंपिक के चार्टर द्वारा गवर्न होने के लिए सहमत हों लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा यहां के प्लेयर्स और खेल से जुड़े विभिन्न एसोसिएशन को उठाना पड़ रहा है। लेकिन इसपर कोई जबाव नहीं देने से मामला और तूल पकड़ता जा रहा है।

पहले इंडिया और अब बिहार

जी हां, लालफीताशाही का खेलों पर नियंत्रण कोई नई बात नहीं है। पहले इंडिया और अब बिहार में यह बात सामने उभर कर आयी है। जानकारी को कि तीन साल पहले इंटरनेशनल ओलंपिक एसोसिएशन ने इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन को बैन कर दिया था। यह बैन करीब डेढ़ साल तक लगा रहा। इसका कारण भी यही था कि खेलों की स्वायत्तता को सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा छीना जा रहा था और लगातार हस्तक्षेप की बात पर नाराजगी थी। इस बार इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने बिहार के प्लेयर्स को नेशनल गेम खेलने से रोका है।

गवर्नमेंट खेल के साथ खिलवाड़ कर रही है। हमारी मांग है कि स्टेट के प्लेयर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए तुरंत इसका हल निकाला जाना चाहिए।

-मृत्युंजय तिवारी, बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन

खेलकूद की गतिविधियों पर सरकार की काबिज होने की चाहत यहां के प्लेयर्स के लिए परेशानी बन गया है। खेल के लिए बिहार में मुक्त वातावरण की कमी है।

-कामेश्वर सिंह, सेक्रेटरी बिहार कुश्ती संघ

बिहार गवर्नमेंट को खेल बिल को वापस लेना चाहिए। इससे यहां के हजारों प्लेयर्स के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गवर्नमेंट।

-गौरी शंकर, सेक्रेटरी, बिहार स्टेट बॉल बैडमिंटन