- आज है व‌र्ल्ड हैंडीकैप डे

- सिटी में बढ़ने लगे हैं हैंडीकैप के आंकड़े

- बाइक की तेज रफ्तार से धीमी हो गई जिंदगी की रफ्तार

Swati.bhatia@inext.co.in

Meerut : बाइक की तेज रफ्तार से न जाने कब जिंदगी की रफ्तार धीमी कर दे, इसका ख्याल यूथ को नहीं रहता, लेकिन टशन दिखाने की एक छोटी सी भूल न जाने कब आपको जीवनभर के लिए व्हील चेयर पर बैठा दे उसका भी ख्याल रखना बेहद जरुरी है। आज व‌र्ल्ड हैंडीकैप डे है। अवेयरनेस प्रोग्राम के बावजूद सिटी में पिछले कुछ सालों में कितने ऐसे केस बढ़ने लगे हैं, जिनमें युवा पीढ़ी अपनी एक छोटी सी गलती के कारण उनको जीवनभर के लिए हैंडीकैप्ड बनकर रहना पड़ रहा है।

केस- शास्त्रीनगर निवासी पुष्पा क्8 साल की उम्र में ही बेड पर है। डेढ़ साल पहले पुष्पा बाइक पर पीवीएस रोड से गुजर रही थी, उसका एक्सीडेंट हो गया और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। उस समय तो उसे दर्द का ही महसूस हुआ, लेकिन बाद में पता लगा उसकी हड्डी क्रैक हो गई है और उसे बेड पर ही रहना पड़ेगा।

केस- फ्म् साल का दशमेशनगर निवासी गगन, अभी चार साल पहले रेलवे रोड पर से अपनी बाइक से गुजर रहा था और उसकी बाइक की तेज रफ्तार के कारण उसका एक्सीडेंट हो गया। उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई और वो तब से बैड का ही होकर रह गया।

केस- ब्रह्मपुरी का ख्भ् साल का चीनू तीन साल पहले परतापुर फ्लाईओवर से गुजर रहा था। एक एक्सीडेंट के कारण उसके हेड इंजरी हो गई और अब उसका हालात यह है कि वह कुछ भी करने लायक नहीं है।

केस- फाजलपुर का ख्म् साल का नाजीम बाइपास से जा रहा था एक्सीडेंट के कारण उसके हैड इंजरी हो गई और वह हैंडीकैप्ड ही बनकर रह गया।

केस - करमअली निवासी आमान का चार साल पहले एक्सीडेंट हुआ और उसके हाथ पैर में चोट लगने के कारण वह आज भी हैंडीकैप्ड बना हुआ है।

बढ़ने लगे है आंकड़े

यह तो महज कुछ ही केस की बात है, लेकिन सिटी में हैंडीकैप होने का एक बड़ा कारण यूथ के बाइक की तेज रफ्तार ही है। तेज रफ्तार और स्टाइल के चक्कर में वह यह भूल जाते हैं कि उनकी छोटी सी गलती उन्हें हमेशा के लिए व्हील चेयर पर बिठा सकती है। अगर सिटी के आंकड़ों पर गौर करें तो हर दिन होने वाले दस एक्सीडेंट्ल केस में से दो केस ऐसे होते हैं, जिनमें क्9 से फ्भ् साल तक का यूथ अपने स्टाइल के चलते जीवन भर के लिए अपने लाइफ की रफ्तार को धीमा बना लेते हैं। एक माह में यही आंकड़े म्0 के आसपास और एक साल में यही आंकड़ा 700 के भी पार हो जाता है। पिछले दो सालों से यही आंकड़ा सालभर में 800 के भी पर जा रहा है। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ। केपी सैनी ने बताया कि उनके पास रोज दस में दो केस ऐसे आते है, जिनमें युवा हैंडीकैप्ड बनकर रह जाता है।

स्टाइल के सामने भूल जाते हैं नियम

स्कूलों से लौटते समय या फिर सड़क बीच में अक्सर यूथ को आप अपने वाहनों को तेज दौड़ाते देखते होंगे। अपने स्टाइल और आपस में रेस लगाने के चक्कर में वह यह भी भूल जाते हैं कि कितना भारी नुकसान हो सकता है। तेज बाइक की रफ्तार के साथ वह यातायात के नियमों को भूलने जैसी दूसरी बड़ी गलती कर बैठते हैं। यही कारण है कि उन्हें इतने भयंकर परिणाम देखने पड़ते हैं।

ये हैं कुछ कारण

- तेज बाइक या स्कूटी चलाना, आपस में स्टाइल दिखाना

- हेल्मेट का उपयोग न करना।

- नियमों को तोड़ते हुए बीच सड़क में कही से भी कट मार देना।

- बाइक के साथ फोन पर बात करना या फिर कानों में लीड लगाकर गाने सुनना।

- बाइक चलाते हुए बात करते हुए चलना, जिस चक्कर में एक्सीडेंट हो जाते हैं।

ये भी हैं हैंडीकैप होने के कारण

- जन्मजात से एक्सीडेंटल दुर्घटना के कारण, सिर में या किसी हड्डी में चोट के कारण।

- हाथ पैरों का कट जाने के कारण।

- एज फैक्टर के बढ़ने के साथ भी कभी कभी आंखों की वजह से इस तरह की परेशानी आती है।

- फालिज, मेजर हार्टअटैक के बाद बेड पर पड़ जाना।

अवेयरनेस के बावजूद भी नहीं होता कुछ

सरकारी विभागों व स्कूलों की ओर से हर साल इस संबंध में जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। स्कूली बच्चों द्वारा तो यातायात संबंधित रैली भी निकाली जाती है। इसके अलावा हर साल प्राइवेट डॉक्टर्स, हॉस्पिटल्स व सेंटर पर भी नि:शुल्क कैंप लगाए जाते हैं। इतनी जागरुकता के बावजूद भी अवेयरनेस की कमी है।

हर साल लगाते है कैंप

केएमसी द्वारा तो हर साल अवेयरनेस के पर्पस से और विकलांगों की हेल्प के लिए कैंप लगाया जाता है। पिछले छह सालों में हजार से भी ऊपर मरीजों को स्पेशल ट्रेनिंग के साथ ही नि:शुल्क परामर्श दिया गया है। इसके अलावा मरीजों को स्पेशल वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें हम सिखाते है कैसे हाथों व पैरों के जरिए अलग- अलग तरह से काम किया जा सकता है।

डॉ.केपी सैनी, फिजियोथेरेपिस्ट

एक्सीडेंट केस बढ़ने का मेन कारण ही बाइक की तेज रफ्तार व नियमों की अनदेखी करना है। इसलिए किसी भी वाहन को चलाते समय पहले अपनी सावधानी का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है।

डॉ। यशस्वी अग्रवाल, फिजियोथेरेपिस्ट

क्या आती है दिक्कतें

स्पाइन व बैक इंजरी में

- सुबह दर्द होना, करवट लेने में दिक्कत, यूरिन में जलन, पैरों का सुन्न होना, चलने में दूरी कम होना, जमीन सख्त न मालूम पड़ना, चलते समय रबड़ या गद्दे जैसा फिल होना। रात में दर्द से नींद खुल जाना, कमजोरी, चिड़चिड़ा, चक्कर आना,खून की कमी आना, कमरदर्द।

हाथ में

- बाहर की तरफ दर्द, ग्रिप की कमी, हाथों का सुनपन,बिनाचोट के सुनपन, लेडीज के थाइराइड प्रॉब्लम के साथ।

पैर संबंधित

- एड़ी में दर्द होना,ऐड़ी के पीछे दर्द, सुजन, दवा के बावजूद आराम न होना।

रखनी चाहिए सावधानी

- बाइक या किसी वाहन को चलाते समय जल्दबाजी न करें।

- नियमों की अनदेखी न करें।

- हेल्मेट अवश्य पहनें।

- रोंग साइड से बिल्कुल न गुजरे।