कम्प्ट्रोलर एंड ऑडीटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की रिपोर्ट में समाज कल्याण विभाग के अफसरों की मिलीभगत से हड़पे करोड़ों

फर्जी छात्रों के नाम पर शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति का लिया लाभ, उप निदेशक करेंगे जांच

Meerut। 10 जनपदों में कम्प्ट्रोलर एंड ऑडीटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की जांच में मेरठ समेत 4 जनपदों में शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति घोटाले की पुष्टि हुई है। मेरठ, आगरा, मथुरा और कौशाम्बी में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का सरकारी खजाना कॉलेज संचालकों पर लुटा दिया गया, जिसमें तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा हुआ था। कैग की रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति घोटाले की परतें उघड़ रहीं हैं। 3 उप निदेशकों की टीम जांच कर रिपोर्ट देगी जिसके बाद कार्रवाई को सरकार अमल में लाएगी।

कैग की जांच में 4 जनपद दोषी

मेरठ समेत सूबे के 10 जनपदों में शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कैग ने की है। शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए गत वर्ष केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने घोटाले की जांच कैग से कराने का निर्णय लिया था। केंद्र सरकार के फरमान से सकते में आई राज्य सरकार ने आनन-फानन में सभी 10 जनपदों के जिला समाज कल्याण अधिकारी को जांच में सहयोग के आदेश दिए थे। करीब 8 महीने चली जांच के बाद कैग ने मेरठ समेत 4 जनपदों को शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले का आरोपी करार दिया। जनपद में करोड़ों रुपये के सरकारी खजाने को फर्जी छात्रों के नाम पर स्कूल संचालकों के ऊपर तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से लुटा दिया गया।

2012 से 2017 के बीच

यूपी में 2009-10 से लेकर 2013-14 के बीच बड़े पैमाने पर शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति आवंटन में घोटाला हुआ है। इसके अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सत्र 2012-13 से लेकर 2016-17 तक अनुसूचित जाति दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में भ्रष्टाचार की पुष्टि पर परफार्मेस ऑडिट के आदेश दिए थे। सनद हो कि जनवरी 2017 में मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा सर्वप्रथम दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया था। कुछ कॉलेज संचालकों द्वारा फर्जी छात्रों का प्रवेश दर्शाकर छात्रवृत्ति हड़पने का प्रयास किया गया था। तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी मोहम्मद मुश्ताक अहमद की भूमिका इस प्रकरण में उजागर हुई थी तो वहीं तत्कालीन डीएम बी। चंद्रकला ने मो। मुश्ताक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा था।

शुल्क प्रतिपूर्ति के करोड़ों हड़पे

8 कॉलेजों के खिलाफ मुकदमा

तत्कालीन डीएम के आदेश में मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी दयानंद विद्यापीठ एजुकेशन इंस्टीट्यूट शोल्दा गढ़ रोड के निदेशक डॉ। अंकित गर्ग, एपीएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी सरधना, एपीएस कॉलेज खिवाई, ऋषि इंस्टीट्यूट परतापुर, एलटीआर इंस्टीट्यूट बागपत रोड, आरएन हस्तिानपुर, महालक्ष्मी मवाना और एआर इंस्टीट्यूट मवाना के खिलाफ संबंधित थानों में डीएम के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। 15 कॉलेजों को ब्लैक लिस्टेड घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा गया था। 34 कॉलेजों में जांच के दौरान 25 कॉलेजों में छात्रों की संख्या 50 फीसदी से कम पाई गई थी।

8 माह हुई जांच

कैग ने 10 जनपदों में शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति घोटाले की जांच गत 8 माह तक की। कैग ने ऑडिट के दौरान बीती 5 वर्षो की पत्रावलियां और सूचनाएं को इकट्ठा कर जांच की तो वहीं ऑडिट टीम ने कॉलेजों में जाकर भी छात्रवृत्ति आवंटन का भौतिक सत्यापन किया। 10 जनपद में मेरठ के अलावा रायबरेली, वाराणसी, अलीगढ़, बिजनौर, आगरा, सहारनपुर, इलाहाबाद, मथुरा और लखनऊ हैं। हालांकि कौशाम्बी में कैग ने बाद में घोटाला पकड़ा

3 सदस्यीय टीम करेगी जांच

समाज कल्याण निदेशक जेपी चौरसिया ने गत दिनों एक संयुक्त सचिव और 3 उप निदेशकों की टीम को जिलेवार जांच का जिम्मा दिया गया है। कैग की शुरुआती जांच में ही बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के साक्ष्य निकलकर आए थे। मेरठ के समाज कल्याण अधिकारी उमेश द्विवेदी ने कहा है कि इस संबंध में शासन की ओर से पत्र मिला है। रैडमली 4 जनपदों की जांच होनी है। जांच टीम मेरठ कब आ रही है इसकी जानकारी नहीं है।