क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स में प्रबंधन व्यवस्था सुधारने के दावे कर रहा है. लेकिन हॉस्पिटल की व्यवस्था पटरी पर लौटने का नाम नहीं ले रही है. अब तो स्थिति इतनी खराब है कि लैब मेडिसीन में भी बायोकेमेस्ट्री(लीवर फंक्शन समेत दो दर्जन)जांच बंद हो गई है. नतीजन, हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. चूंकि बायोकेमेस्ट्री की जांच के लिए भेजे गए 40 सैंपल को भी लैब मेडिसीन से लौटा दिया गया. अब मरीजों को बाहर लैब में चार से पांच गुना अधिक पैसे चुकाने होंगे. वहीं परेशानी होगी सो अलग.

डेली लौट रहे 150 मरीज

बायोकेमेस्ट्री टेस्ट कराने के लिए हर दिन सेंट्रल कलेक्शन सेंटर में 150 मरीज आते हैं. इसमें से 20-40 मरीजों का सैंपल लेकर लैब मेडिसीन में भेजा जा रहा था. लेकिन जांच बंद कर दिए जाने से 150 मरीज लैब से निराश होकर लौट जा रहे हैं. अब उनके पास प्राइवेट सेंटर में टेस्ट कराने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.

दो महीने से खराब पड़ी है बायोकेमेस्ट्री मशीन

हॉस्पिटल में बायोकेमेस्ट्री का अलग डिपार्टमेंट है, जहां पर दो दर्जन से अधिक तरह के टेस्ट किए जाते हैं. लेकिन दो महीने से मशीन खराब पड़ी है. प्रबंधन को मरीजों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए दो महीने से मशीन बनाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया, जिसका खामियाजा इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे हैं.

वर्जन

डिपार्टमेंट के स्टाफ को ही कंपनी को नोटिस भेजना है. जबतक वे लोग कंपनी को नहीं लिखेंगे हम भी एक्शन नहीं ले सकते. लेकिन इस बार एजेंसी ने भी ध्यान नहीं दिया तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद कंपनी को कहीं भी काम नहीं मिलेगा.

डॉ. डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स