- सरकारी विभागों में तय समय पर नहीं आते कर्मचारी और अधिकारी

- बायोमेट्रिक सिस्टम को लागू करने के लिए नहीं दिखाते जोश

- CCTV को लगवाने में नहीं दिखाते दिलचस्पी

yasir.raza@inext.co.in

LUCKNOW: सरकार की सख्ती के बाद मंत्री से लेकर अधिकारी तक औचक निरीक्षण कर रहे हैं। कोई नगर निगम के ऑफिस पहुंच रहा है और कोई आरटीओ ऑफिस। सुबह-सुबह पहुंचकर कोई अटेंडेंस चेक कर रहा है और कोई कार्रवाई कर रहा है। मगर कुछ विभाग ऐसे भी हैं जहां पहले से ही बायोमेट्रिक के थ्रू अटेंडेंस ली जा रही है। सीसीटीवी कैमरों से कर्मचारियों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अधिकतर ऑफिसेस खुद को अलग रख रहे हैं।

अधिकारी ही बन रहे रोड़ा

प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव खुद एक इंजीनियर हैं और सरकारी विभागों को हाईटेक करने के लिए कई कदम भी उठा रहे हैं। ख्म् डिपार्टमेंट को ऑनलाइन कर दिया, लेकिन विभागों में सुधार के लिए जिन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होना था उसपर अधिकारी रोड़ा अटका रहे हैं। वह चाहे अटेंडेंस का मामला हो या फिर चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का। ये सभी आवश्यक प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में बंद हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों को डर है कि अगर टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया तो उनकी ऊपरी कमाई बंद होने का पूरा खतरा रहेगा।

पुलिस विभाग में भी चूक

सेंट्रल गवर्नमेंट की एक स्कीम थी जिसमें देश भर के थानों को न सिर्फ ऑनलाइन होना था बल्कि पुलिसकर्मियों की अटेंडेंस भी बायोमेट्रिक मेथड से होनी थी। थानों पर कम्प्यूटर पहुंचे और इंटरनेट लग गया, लेकिन अटेंडेंस अभी भी मैनुअली ही हो रही है।

नगर निगम ने उठाया कदम

बायोमेट्रिक सिस्टम को लागू करने में राजधानी का एक डिपार्टमेंट सभी के लिए नजीर हो सकता है। नगर निगम में न सिर्फ बायोमेट्रिक से अटेंडेंस ली जा रही है बल्कि सरकारी दफ्तर में जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जो यहां आने जाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। ऐसा ही यदि सभी विभागों में हो जाए तो सरकारी कामों की गुणवत्ता काफी हद तक सुधर जाए।

आरटीओ ऑफिस में कुर्सियां खाली

सीएम की सख्ती के बाद कई स्थानों पर छापेमारी की गयी। इसमें नगर निगम, हॉस्पिटल और आरटीओ दफ्तर शामिल था। हॉस्पिटल से लेकर बाकी स्थानों पर कई कर्मचारी गैर हाजिर मिले और कई बिना एप्लीकेशन के ही महीनों से छुट्टी पर चल रहे थे। डीएम के निर्देश पर ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं। वहीं, नगर निगम में डीएम ऑफिस से चेकिंग करने आये लोग बायोमेट्रिक रिकॉर्ड देखकर ही संतुष्ट हो गये।

डीएम ऑफिस भी फिसड्डी

किसी भी जिले का कलेक्ट्रेट ऑफिस ही जिले का आइना माना जाता है। मगर यहां भी अटेंडेंस मैनुअली ही होती है। हालांकि, इससे पहले अटेंडेंस के लिए बायोमेट्रिक डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन, डीएम के ट्रांसफर और कुछ कर्मचारियों के विरोध के कारण यहां बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम नहीं लग सका। ऐसे में यदि जिले के कलेक्ट्रेट ऑफिस में ही बायोमेट्रिक सिस्टम को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा तो अन्य विभागों का क्या होगा, यह आप स्वयं ही तय कर सकते हैं।