- मेडिकल कॉलेज में सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस कंपलसरी
- विरोध और हड़ताल की धमकी के चलते कर्मचारी और फैकल्टी को दी छूट
- स्टाफ की कमी बता कर करते हैं कामचोरी, हाजिरी लगाने से डर रहे
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KANPUR: मेडिकल कॉलेज में बायोमैट्रिक अटेंडेंस पर इतना हंगामा क्यों मचा हुआ है? आखिर विरोध की वजह क्या है? सिर्फ मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए ही बायोमैट्रिक हाजिरी की व्यवस्था क्यों। इन सवालों का जवाब मेडिकल कॉलेज के उन कर्मचारियों के पास है जो इसका विरोध कर रहे हैं। फैकल्टी मैम्बर्स ने तो इस पर चुप्पी साध रखी है लेकिन इतना तय है इस तरह से हाजिरी होने लगी तो कई फैकल्टी मेंबर्स की दिक्कतें भी बढ़ जाएंगी।
सभी हॉस्पिटल्स में लगनी है मशीन
बीते एक साल से हैलट समेत मेडिकल कॉलेज के सभी हॉस्पिटल्स में अटेंडेंस के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगाने के प्रयास हो रहे हैं। हैलट में एसआईसी ऑफिस में यह मशीन लगाई भी गई लेकिन जब कर्मचारियों से रोज आते और जाते समय इसमें अंगुली लगा कर जाने के लिए कहा गया तो कर्मचारी विरोध पर उतर आए। हड़ताल कर दी। नौबत तो अधिकारियों से मारपीट की भी आ गई लेकिन कर्मचारी नहीं माने। तब प्रिंसिपल समेत मेडिकल कॉलेज के तमाम अधिकारियों को इसे लागू करने से कदम खींचने पड़े।
क्यों है बायोमैट्रिक हाजिरी का विरोध
इस मशीन के लग जाने के बाद सभी कर्मचारियों, नर्सो व बाकी स्टॉफ को डयूटी पर आने और जाते दोनों समय पंच करना होगा। इससे उनके काम के घंटों की गणना भी हो जाएगी। ऑफिस कब आए और कब गए इसका रिकॉर्ड मेनटेने हो जाएगा। लेकिन कर्मचारियों की तरफ विरोध इसी बात को लेकर है कि उन्हें सीधे काम पर जाने की बजाय इतने बड़े हॉस्पिटल में बार बार एसआईसी ऑफिस जाना पड़ेगा और वहां पर अधिकारी उन्हें प्रताडि़त करेंगे।
विरोध की असल वजह
हैलट हॉस्पिटल समेत मेडिकल कॉलेज के अन्य सभी हॉस्पिटल भले ही स्टॉफ और फैकल्टी की कमी से जूझ रहे हों लेकिन जितने कर्मचारी हैं वो ही समय पर और सही काम करें तो काफी समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन ऐसा है नहीं। हालत यह है कि अगर रात में पेशेंट किसी वार्ड में भर्ती है तो इसकी संभावना न के बराबर है कि जरूरत पड़ने पर कोई नर्स या वार्ड ब्वॉय मिलेगा। यही हालत ओपीडी में भी है। सरकारी आदेश तो ओपीडी को सुबह 8 बजे से शाम ब् बजे तक चलाने का है लेकिन अधिकतर क्लीनिशियन तो दो तीन घंटे से ज्यादा बैठते ही नहीं और ख् बजे ओपीडी बंद हो जाती है।
रात का राउंड तो कोई क्लीनिशियन लेता ही नहीं
मेडिकल कॉलेज में बायोमैट्रिक हाजिरी के पक्ष में तो फैकल्टी मेबंर्स भी नहीं हैं। क्योंकि उससे उन्हें भी काफी प्रॉब्लम हो जाएगी। ओपीडी टाइमिंग से लेकर रात को राउंड करते या नहीं, इसका भी पता चल जाएगा। क्योंकि उन्हें आउट टाइमिंग पंच करने के लिए तो हैलट आना ही पड़ता। दरअसल वर्तमान स्थिति तो ऐसी है कि कोई फैकल्टी मेंबर रात को न तो इमरजेंसी में राउंड लेता है, वार्ड की तो बात ही दूर है। सारा काम जूनियर डॉक्टर्स के भरोसे होता है। इस आड़ में कई फैकल्टी मैबंर्स प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं।
पेशेंट्स को ऐसे होगा फायदा
- कर्मचारी समय से आएंगे तो अपने कार्यस्थल पर भी समय देंगे
- डॉक्टर्स को भी आते और जाते समय पंच करना पड़ेगा इसके लिए उन्हें खुद आना पडे़गा इसलिए ज्यादा पेशेंट देखने की संभावना बढ़ जाती है
- ओपीडी ज्यादा देर तक चलेगी, दवा स्टोर से दवा भी निर्धारित समय तक मिलेगी
- अभी जो कर्मचारी अपनी जगह अपने रिश्तेदारों से काम कराते हैं उन पर लगाम लगेगी
मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी गंभीर नहीं
इसी साल मार्च महीने में हैलट में बायोमैट्रिक हाजिरी को लेकर हुए बवाल के बाद मेडिकल कॉलेज प्रसाशन ने भी इसे दोबारा शुरु करने के लिए ठीक से प्रयास नहीं किए। सरकारी आदेशों के बाद भी बातचीत के जरिए इसे लगाने की कर्मचारियों से ही सहमति नहीं बन पाई। इस मसले पर एसआईसी डॉ। आरसी गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी कार्यभार ग्रहण किया है। बायोमैट्रिक हॉजिरी के संबंध में सभी जरूरी पक्षों से बातचीत कर रास्ता निकाला जाएगा।