- बीएसए ऑफिस समेत स्कूल्स में लगाई गई थीं बायोमीट्रिक मशीन

- कुछ महीने बाद ही हुईं खराब, दो साल बाद भी रजिस्टर पर ही अटेंडेंस

GORAKHPUR: स्कूल्स सहित बेसिक शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की लेटलतीफी रोकने के लिए चली बायोमीट्रिक की कवायद कुछ महीनों बाद ही हवा हो गई। 2015 में बीएसए ऑफिस सहित स्कूल्स में लगाई गईं बायोमीट्रिक मशीनों में कुछ महीने बाद ही खराबी आ गई। जिन्हें अबतक बनवाया नहीं जा सका है। अब भी शिक्षक और शिक्षा विभाग के कर्मचारी रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर अटेंडेंस लगा रहे हैं। जबकि नवागत बीएसए की तरफ से भी अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।

दो साल से ठीक नहीं हुई खराबी

बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारी और स्कूलों के टीचर्स समय से ड्यूटी पर पहुंचें, इसके लिए बेसिक शिक्षा सचिव ने बायोमीट्रिक मशीन लगाने का आदेश जारी किया था। इसी आदेश के क्रम में गोरखपुर के बीएसए ऑफिस में 2015 में बायोमीट्रिक मशीन लगाई गई। लेकिन कुछ ही दिन में मशीन खराब हो गई। तत्कालीन बीएसए ओम प्रकाश यादव ने सख्ती दिखाई तो फिर से मशीन चालू कराई गई लेकिन कुछ ही महीने बाद कर्मचारियों ने मशीन में तकनीकी गड़बड़ी दिखाकर उसके खराब होने का दावा कर दिया। यही हाल स्कूल्स में लगी मशीनों का भी हुआ। जिलेभर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में लगी बायोमीट्रिक मशीनें अब भी खराब ही पड़ी हैं। जिसके चलते वार्डेन समेत फुल टाइमर और पार्ट टाइमर टीचर्स की अटेंडेंस रजिस्टर पर ही लगती है।

तो क्या जानबूझकर खराब की गई मशीन

वहीं मशीन ठीक ना होने के बारे में पूछे जाने पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे कर्मचारियों की कारस्तानी बताते हैं। अधिकारियों का कहना है कि कुछ कर्मचारी और शिक्षक जानबूझकर मशीन को खराब कर देते हैं ताकि उनके आने-जाने का असली समय अधिकारियों का पता ना चल सके। वहीं, बायोमीट्रिक सेवा पूरी तरह से अभी परवान भी चढ़ी कि बेसिक शिक्षा सचिव की तरफ से विद्यालयों में टीचर्स पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की प्लानिंग कर दी गई है।

वर्जन

बायोमीट्रिक मशीनें लगाई गई है लेकिन खराब हैं। उन्हें ठीक कराया जाएगा। बायोमीट्रिक से ही टीचर्स और कर्मचारियों की अटेंडेंस लगेगी।

- राम सागर पति त्रिपाठी, बीएसए