हिन्दुस्तानी एकेडेमी में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर कवि सम्मेलन का आयोजन

ALLAHABAD: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर गुरुवार को हिन्दुस्तानी एकेडेमी में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। एकेडेमी के कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने राष्ट्रकवि व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। मनमोहन सिंह तन्हा ने 'मीठे-मीठे बोल वो कानों से टकराते नहीं, अब परिंदे लौटकर गांव में आते नहीं' पक्तियां सुनाई। इकबाल दानिश की पंक्तियों 'हर सदी की बस हमें तारीख बतलाती हैं ये, सूरतें मिट जाएगी इक आईना रह जाएगा' पर खूब तालियां बजी।

हौसले से मिला करो

वजीहा खुर्शीद ने 'हमारे दौर का ये रखरखाव कैसा है, दिल ओ दिमाग में सबके तनाव कैसा है' पंक्तियां सुनाई। देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने 'इस सिलसिले की कड़ी बनो और बुलंदियों पर रहा करो, ये खुले मिजाज का शहर है यहां हौसले से मिला करो' की प्रस्तुति की। वरिष्ठ कवि सुधांशु उपाध्याय ने अब सियासत सिखाने लगे आप हैं, बेवजह मुस्कुराने लगे आप हैं सुनाई।

कवियों को किया सम्मानित

गोष्ठी में संजू शब्दिता, शैलेन्द्र मधुर, शिबली सना, इम्तियाज अहमद गाजी, शैलेन्द्र जय व भोलानाथ कुशवाहा ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। एकेडेमी कोषाध्यक्ष श्री सिंह ने कवियों को प्रतीक चिन्ह व शॉल देकर सम्मानित किया। संचालन संजय पुरुषार्थी ने किया। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष हरिमोहन मालवीय, प्रो। योगेन्द्र प्रताप सिंह, शिवराम उपाध्याय, डॉ। राम किशोर शर्मा, कैलाशनाथ पांडेय, डॉ। शांति चौधरी, प्रदीप तिवारी, जयवर्धन त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।