RANCHI: किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर तत्काल राहत के लिए उन्हें दवाएं लिख देते हैं। लेकिन जब रिपोर्ट आती है तो पता चलता है कि बीमारी कुछ और है और दवा कुछ और चल गई। इस चक्कर में मरीज को गलत एंटीबायोटिक दवाएं खानी पड़ती है। इससे उनकी बीमारी भी बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, इलाज में दोगुना समय लग जाता है। इसलिए बिना टेस्ट रिपोर्ट देखे डॉक्टर किसी भी हाल में मरीज को दवा न लिखें। ये बातें रिम्स माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में आयोजित बीजे माइक्रोकॉन 2018 में एक्सप‌र्ट्स ने कहीं। वहीं डॉक्टर्स और फंगस की पहचान करने वाले टेक्निशियंस को इस कांफ्रेंस के माध्यम से अवेयर किया गया ताकि किसी भी बीमारी को तुरंत कंट्रोल करने के लिए कारणों का पता लगाया जा सके। बताते चलें कि इस कांफ्रेंस में देशभर से 150 एक्सप‌र्ट्स शामिल हुए हैं।

फंगल टेस्ट से बीमारी की मिलेगी सही जानकारी

आरजीएसएस हॉस्पिटल दिल्ली के डायरेक्टर और रिम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ। बीएल शेरवाल ने कहा कि यहां के स्टूडेंट्स को भी फंगस के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उनके लिए ही इस तरह के प्रोग्राम होने चाहिए ताकि एचआईवी, डायबिटीज, टीबी जैसे फंगल मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट मिल सके। चूंकि जब मरीजों का फंगल टेस्ट ही नहीं होगा तो बीमारी के बारे में पता लगाना मुश्किल होगा। इस चक्कर में मरीज को डॉक्टर दवा देते रहेंगे। लेकिन उसका फायदा मरीज को नहीं मिल पाएगा।

ये डॉक्टर हुए शामिल

डॉ। मनोज कुमार (रिम्स)

डॉ। अशोक कुमार (रिम्स)

डॉ। अरुणालोके चक्रवर्ती(इशाम)

प्रो। शिवाप्रकाश (इशाम)

डॉ। बीएल शेरवाल (आरजीएसएस)