- जिलाध्यक्ष के निवास पर मिलने और स्वागत करने पहुंचे पदाधिकारी, कार्यकर्ता व शुभचिंतक

- कहा, विरोधियों के लिए और अपने लिए उन्होंने कुछ गलत नहीं मांगा, राष्ट्रहित की मांग की

BAREILLY:

पार्टी में विरोधियों ने बड़ा कष्ट दिया है, जिससे परेशान होकर अज्ञातवास पर चला गया था। फिर भी राजनीतिक दुश्मनों के लिए कोई गलत मनोकामना नहीं की है। केवल राष्ट्रहित के लिए जगत जननी से प्रार्थना की है। यह कहना है अज्ञातवास से वापस शहर पहुंचे भाजपा के जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर का। कहा कि पार्टी के अंदरखाने में हो रही हरकतों से वह दुखी हैं। दुखी होने पर जैसे बच्चा मां से लिपट जाता है वैसे ही वह भी मां की शरण में गए थे। गुजरे हुए 14 दिन की दास्तां सुनाते हुए उनकी आंखें भर आई। कहा जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।

रतनगढ़ में की साधना

कहा कि पहले वह दतिया गए थे लेकिन वहां से वह रतनगढ़ वाली मैया के पास साधना करने चले गए। वह अपनी इस साधना को किसी के साथ साझा नहीं करना चाहते थे और न ही वह कांटैक्ट में ही आना चाहते थे। बताया कि पार्टी के कुछ नेता काफी समय से उनके खिलाफ षडयंत्र रच रहे थे। बगैर विरोध किए मैं आत्मशांति के लिए चला गया था। कहा कि जब उच्च पदाधिकारी पूछेंगे तो बताऊंगा। इस बात को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। विरोधियों की कथित बातों पर उन्होंने कहा कि जो दूसरों के दुख का मजाक बनाते हैं, इससे उनके चरित्र का पता चल जाता है।

और फिर रो पड़े जिलाध्यक्ष

जिलाध्यक्ष ने बताया कि नौ सितंबर की शाम को शाम को खाना खा रहे थे। इस दौरान कुछ लोग आपस में बातचीत कर रहे थे। जैसे ही वह खाना खाकर उठे एक युवक ने कहा कि अखबार में बिल्कुल आपके जैसे ही एक आदमी के लापता होने की फोटो छपी है। यह सुन वह दंग रह गए। छपी खबर के बारे में पूछा तो युवक ने जवाब दिया कि ज्यादा तो नहीं पढ़ा लेकिन इतना पढ़ा कि उनकी 80 वर्षीय मां की तबीयत बहुत खराब है। जल्दी घर आ जाओ। यह सुन वह काफी परेशान हो गए और बाहर जाकर फोन ऑन किया। अपनी हाल खबर की जानकारी भाई नीरेंद्र को दी।

नीरेंद्र को लिखा था पत्र

मथुरा से उन्होंने कार छोड़ते हुए अपने ड्राइवर को एक पत्र दिया था। कहा था कि छोटे भाई नीरेंद्र को यह पत्र दे देना। जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह अज्ञातवास पर जा रहे हैं, कुछ दिन बाद वह खुद ही वापस आ जाएंगे। ताकि कोई परेशान न हो। बताया कि रतनगढ़ पर रहते हुए उन्होंने वहां के बारे में कई सारी बातें एक निजी डायरी में नोट की हैं। वहां की खूबसूरती समेत वहां बिताया हर एक पल की डिटेल उस डायरी में है। वहां से उन्हें आत्मशांति मिली है। आगामी दिनों में वह एक बार फिर वहां जाएंगे लेकिन अकेले नहीं। इस बार साथ में परिवार भी मां के दर्शन के लिए जाएगा।

परिवार भी दुखी था

बताया कि उनकी खोज में भाइयों समेत बेटा भी घर से निकला था। परिजनों ने कोलकाता, तिरुपति बाला जी, मथुरा समेत अन्य कई जगह कॉल कर उनकी हालत जाननी चाही, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। बताया कि बेटा रतनगढ़ तक पहुंचकर भी उन्हें खोज नहीं पाया। ऐसे में, उन्होंने मां को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनके अज्ञातवास को सफल होने दिया। घर के हाल को बताते हुए उनका गला रुंध गया और बुदबुदाकर रह गए। बताया कि वहां एक समय ही भोजन करते थे। एक दिन उन्होंने रतनगढ़ जाते समय रोड पर सोना पड़ा था। अगले दिन रतनगढ़ पहुंचे।

नेताओं का लगा जमावड़ा

जिलाध्यक्ष के घर पहुंचने पर पड़ोसियों ने रात में ही उनके घर पहुंचकर हाल खबर ली। वहीं, सुबह होने पर डॉ। अरुण कुमार समेत अन्य विधायक और पदाधिकारी घर पहुंचकर मुलाकात की। वहीं, नवाबगंज से पहुंचे साहू समाज के लोगों ने भी उनका स्वागत किया। वहां से लाए प्रसाद को जिलाध्यक्ष ने सबको वितरित किया।