आप ने सरकार बनाने को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में जनमत संग्रह करवाने का दावा किया है और सोमवार को सरकार के गठन पर कोई औपचारिक घोषणा हो सकती है.

रायशुमारी के लिए आप ने एसएमएस, ऑनलाइन वोटिंग और विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं करने का सहारा लिया.

भाजपा नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने आप के इस क़दम को 'हास्यास्पद' बताया है.

रविवार को जेटली ने कहा कि आप अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को जनमत संग्रह का मुखौटा पहनाने की कोशिश कर रही है. उनका कहना था कि  आप किसी से समर्थन न लेने के अपने पहले के बयान से पलट रही है.

दूर होगा गतिरोध?

"आप अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को जनमत संग्रह का मुखौटा पहनाने की कोशिश कर रही है. आप किसी से समर्थन न लेने के अपने पहले के बयान से पलट रही है."

-अरुण जेटली, भाजपा नेता

जेटली ने फेसबुक पर लिखा, "आप ने कहा था कि वह वैकल्पिक राजनीति का प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि पार्टी ने अपनी प्रतिबद्धताओं से समझौता कर लिया है."

उन्होंने कहा था कि आप आदर्शों पर चलने वाली पार्टी होने का दावा करती है. उसने पहले कहा था कि वह न तो कांग्रेस और भाजपा को समर्थन देगी और न लेगी.

जेटली ने कहा कि अगर 'आप' अपने वादे पर अटल रहती तो दिल्ली में विधानसभा का चुनाव फिर कराना पड़ता. जेटली ने रायशुमारी के आंकड़ों पर आश्चर्य जताया जिनमें 75 फ़ीसदी लोगों ने आप को सरकार बनाने के लिए कहा है.

आप को कांग्रेस पार्टी ने बिना किसी शर्त के बाहर से समर्थन देने का वादा किया था जिसके बाद नए राजनीतिक दल ने दिल्ली में रायशुमारी का अपना अभियान चलाया था.

कांग्रेस ने आप को समर्थन देने को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग को 13 दिसंबर को चिट्ठी सौंपी थी. उसका कहना था कि उसने ये राजनीतिक गतिरोध दूर करने के लिए किया.

दिल्ली प्रदेश  भाजपा के अध्यक्ष विजय गोयल सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कांग्रेस और भाजपा के बीच पक क्या रहा है? उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने आप को सरकार बनाने के लिए 23 दिसंबर तक का समय देने की बात कही है. लेकिन आप सरकार बनाने के लिए ज्यादा समय ले रही है.

'अपवित्र गठबंधन'

उन्होंने कहा था कि आप सरकार बनाने के लिए जिस जनमत संग्रह की बात कह रही है वो नाटक के अलावा कुछ नहीं है.

उनका दावा था कि सरकार बनाने के साथ-साथ आप रायशुमारी के जरिए अगले चुनाव की तैयारी कर रही है. इसके साथ ही वह सरकार बनाने से भी बचना चाह रही है.

आप के समर्थक

भाजपा ने कांग्रेस और आप की 'डील' पर उठाए सवाल

उन्होंने पूछा था कि आप और कांग्रेस के नेता यह बताएं कि उनके बीच कौन सी डील नहीं हो पाई है? किस वजह से सरकार बनाने में देरी हो रही है?

उन्होंने कहा कि वो यह चाहते हैं कि दिल्ली में सरकार बने लेकिन कोई अपवित्र गठबंधन न हो.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉक्टर हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया था. लेकिन 70 सदस्सीय विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों को केवल 32 सीटें ही मिलीं. 28 सीटों के साथ आप दूसरे और आठ सीटों के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.

दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की ज़रूरत है.

भाजपा विधायक दल के नेता हर्षवर्धन ने नजीब जंग से मिलने के बाद सरकार न बनाने की बात का ऐलान कर दिया था.

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