सुप्रीम कोर्ट का फरमान हुआ धड़ाम

कुछ दिनों पहले अपने शहर की सड़कों पर सबकुछ एकदम से व्हाइट हो गया था। हर गाड़ी के अंदर मौजूद शख्स को बाहर से कोई भी व्यक्ति आसानी से देख सकता था। आप जानते हैं ऐसा क्यों हुआ था? ऐसा दिल्ली में बस में हुए चर्चित दामिनी गैंगरेप कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को रोड पर ब्लैक फिल्में चढ़ाकर चल रही गाडिय़ों पर से उन्हें उतारने का आदेश दिया था। अपने शहर में भी कोर्ट के इस आदेश की हनक साफ दिखी। हरकत में आई ट्रैफिक पुलिस ने फोर व्हीलर्स में लगीं ब्लैक फिल्म्स को हटवाना शुरू कर दिया। ये सब कुछ दिनों तक तो अच्छे से चला लेकिन इस अभियान का असर अब ठीक उसी तरह फ्लाप होता दिख रहा है जैसे ट्रैफिक पुलिस का जाम से निजात दिलाने और हेलमेट रूल को फॉलो कराने के लिए चला अभियान फ्लाप हुआ था। आलम ये है कि शहर की सड़कों पर ब्लैक फिल्म लगी गाडिय़ों ने फिर फर्राटा भरना शुरू कर दिया है और इनको रोकने वाला कोई नहीं है।

भूल गए सब कुछ

16 दिसम्बर 2012 वो दिन जिसे आज तक पूरा देश नहीं भूला है। इस ब्लैक डे ही दिल्ली में एक चलती बस के अंदर चर्चित दामिनी गैंग रेप कांड हुआ था। इसके बाद तो पूरे देश में हंगामा मच गया। हर ओर लड़कियों और महिलाओं की सेफ्टी की बातें होने लगीं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को फोर व्हीलर्स में लगी ब्लैक फिल्मों को हटाने का निर्देश दिया ताकि चलती गाडिय़ों में ऐसी शर्मनाक घटना दोबारा न हो। कोर्ट के इस आदेश के बाद हर जगह ब्लैक फिल्म को लेकर पुलिस सख्त हुई। अपने शहर में भी पुलिस ने महज दो महीनों में 50 हजार से ज्यादा गाडिय़ों पर से ब्लैक फिल्में हटाने का दावा किया लेकिन ये दावा अब हवा हवाई ही नजर आ रहा है। ये बातें हम यूं ही नहीं कही रहे हैं बल्कि हमारी पड़ताल में ये सच सामने आया है।

हर ओर काली फिल्म

शहर में कुछ दिनों पहले ब्लैक फिल्मों के खिलाफ खिलाफ चले अभियान के असर की हकीकत जानने के लिए आई नेक्स्ट टीम ने शुक्रवार को सिटी के अलग अलग चौराहों पर टाइम स्पेंड किया। इस दौरान हमें जो सीन दिखा वो हम आपको बताते हैं। दोपहर के वक्त अंधरापुल चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के एक टीएसआई, दो कांस्टेबल्स और चार होमगाड्र्स मौजूद थे। ये सभी चौराहे पर लग रहे जाम को खुलवाने में परेशान थे। वहीं इस जाम में चार-पांच ऐसे फोर व्हीलर्स आ फंसे थे जिनमें ऐसी ब्लैक फिल्में चढ़ी थीं कि दूर से तो छोड़ दें, पास से भी उनमें अंदर बैठे लोग नजर नहीं आ रहे थे। इसके बावजूद किसी ने इन गाडिय़ों को रोकने की जहमत नहीं उठाई। इससे आगे इंग्लिशिया लाइन में भी पुलिस की सुस्ती साफ नजर आई। यहां ट्रैफिक पुलिस के जवानों के रहने के बावजूद कई ब्लैक फिल्म लगी गाडिय़ां उनके सामने से फर्राटा भरती हुई निकल गईं और किसी पुलिस वाले ने उनको नहीं रोका।

व्हाइट कालर कर रहे हैं ज्यादा यूज

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भले ही आम पब्लिक अपनी गाडिय़ों में ब्लैक फिल्म लगाने से डर रही हो लेकिन सत्तारुढ़ पार्टी समेत कई अन्य पार्टियों के नेता इस आदेश की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। आलम ये है कि पॉलिटिकल पार्टीज के झंडे और स्टीकर लगी गाडिय़ों में डार्क ब्लैक फिल्म लगाकर उन्हें शहर में बेखौफ दौड़ाया जा रहा है और इनको ऐसा करने से मना करने वाला कोई नहीं है। ये हाल तब है जबकि पिछले दिनों एसपी ट्रैफिक ने सभी पार्टियों के हेड ऑफिस को लेटर लिखकर उनसे अपने यहां की ब्लैक फिल्म लगी गाडिय़ों में से उसे हटवाने को कहा था। लेकिन इस आदेश को धता बताते हुए शहर में अब भी ऐसी बहुत सी गाडिय़ां हैं जिन पर पॉलिटिकल पार्टीज के झंडे लगाकर उन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।

अब लगाने लगे फिर से

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ट्रैफिक पुलिस के टाइट होते ही सिटी में दौड़ रहे फोर व्हीलर्स के ओनर्स डर के मारे अपनी गाडिय़ों से खुद ब्लैक फिल्म को खुद हटवाने लगे थे लेकिन पुलिस के सुस्त पड़ते ही ऑटो पाट्र्स सेलर्स के यहां एक बार फिर गाडिय़ों पर ब्लैक फिल्म चढ़वाने वालों की भीड़ बढ़ गई है। हाल ये है कि नदेसर, मिंट हाउस के ऑटो स्पेयर मार्केट में हर रोज 10 से 20 गाडिय़ों पर ब्लैक फिल्में चढ़ाई जा रही हैं। इस बाबत जब नदेसर स्थित एक ऑटो स्पेयर शॉप के ओनर से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद वो गाडिय़ों में ब्लैक फिल्म क्यों लगा रहे हैं, तो जवाब मिला कि ग्राहक आ रहे और कह रहे हैं कि गर्मी आ रही है। एसी वर्क नहीं करेगा इसलिए ब्लैक फिल्म चढ़ा दो तो मैं लगा रहा हूं। मुझे क्या, मेरा तो फायदा ही हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट है सख्त

देश में बढ़ रहे क्राइम को कंट्रोल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2012 को देश के सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को ये आदेश दिया था कि गाडिय़ों में लगी ब्लैक फिल्मों को हर हाल में हटाया जाए। इस आदेश के बाद ब्लैक फिल्म बनाने वाली कम्पनियों ने अगस्त 2012 में कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी लेकिन इस बार भी जस्टिस स्वतंत्र कुमार व जस्टिस एके पटनायक ने पूर्व के आदेश को जारी रखा और कम्पनियों की दायर रिट को खारिज कर दिया।

सीज हो सकती है गाड़ी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ब्लैक फिल्म चढ़ाकर चल रही गाडिय़ों को सीज किया जा सकता है। इस बारे में एसपी ट्रैफिक जीएन खन्ना का कहना है कि कोर्ट के आदेश को पूरी तरह से फॉलो कराया जा रहा है लेकिन इधर बीच कुंभ से लौट रही भीड़ के चलते अभियान थोड़ा स्लो हुआ है। इसकी वजह है मेन पावर की कमी। इस वक्त डिपार्टमेंट के पास महज 30 परसेंट ही स्ट्रेंथ है। इसके चलते पूरी ताकत ट्रैफिक को सुधारने में लगी है। बावजूद इसके अभियान चल रहा है और चलता रहेगा।

ये है अभियान का सच

 मंथ                       ब्लैक फिल्म हटाई गई         चालान हुआ             वसूली

दिसम्बर 2012        2430 वाहनों से             249 वाहनों का         48400 रु

जनवरी 2013         1733 वाहनों से                82 वाहनों का          3500 रु

फरवरी  2014         आंकड़े उपलब्ध नहीं