यह था मामला
सरुरपुर थाने में मालखाने का चार्ज मुंशी रामगोपाल पर रहा है। हाल में हेड मोहर्रिर बलबीर की थाने में तैनाती हुई है। मुंशी रामगोपाल मालखाने का चार्ज बलबीर को देने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। सामान के मिलान के लिए बुधवार के दिन सात चौकीदारों को मालखाने में रखे सामान को बाहर निकलवाया गया था। जिसे चौकीदारों ने बाहर निकालकर रख दिया था। इस माल में 2011 में पकड़ा गया विस्फोटक भी शमिल था। जिसमें भारी मात्रा में पटाखे थे।

एक चिंगारी
इन पटाखों को बाहर निकालकर रखा गया था। सफाई के दौरान मालखाने से निकले बेकार कागजों को दीवार के पास रखकर मुंशी ने उनमें आग लगा दी। इन कागजों में कोई पटाखा भी आ गया। आग लगते ही पटाखा फटा और चिंगारी पास में रखे पटाखों के ढेर पर जा गिरी। फिर क्या था, एक तेज धमाका हुआ। धूल का गुब्बार उठा और फिर एक-एक करके तेज धमाके होते रहे। दस मिनट तक सीरियल ब्लास्ट होते रहे। एक धमाका होता और कुछ देर बाद दूसरा होता।

मानो दिवाली थी
विस्फोटक सामग्री में रखे रॉकेट, अनार व अन्य बारूद वाले पटाखे फट रहे थे। रॉकेट आग लगने से कभी इधर तो कभी उधर दौड़ रहे थे। इसके साथ ही थाने में भगदड़ मच गई थी। शुक्र रहा कि कोई पटाखा थाने के अंदर कमरों में नहीं घुसा। जहां पुराना रिकार्ड रखा है। इस आग की चपेट में आने से थाने में खड़े तीन वाहन और अन्य सामान जल गया। थाने के आसपास जमा हुई भीड़ और पुलिसकर्मियों ने आग पर काबू पाने के लिए पानी डाला, लेकिन आग बढ़ती जा रही थी। लगातार धमाके हो रहे थे। इसके चलते फायर ब्रिगेड को बुलाया गया और आग पर काबू पाया.

ये हो गए घायल
इस दौरान काम कर रहे चौकीदारों में जैनपुर का सत्तार पुत्र मजीद व सलीम पुत्र नसीरा, गोटका का फेरू सिंह पुत्र माड़े, रिठाली का राजबीर पुत्र रीता सिंह, हर्रा का बाबू, खिवाई का यूसुफ और खेड़ी गांव का वकील इन पटाखों की चपेट में आ गए। इनमें सत्तार, फेरू सिंह, राजबीर और सलीम बुरी तरह झुलस गए। मामले की जानकारी के बाद एसपी देहात एमएम बेग मौके पर पहुंचे। जहां उन्होंने इस बारे में पुलिस कर्मियों से जानकारी और गंभीर रूप से घायल चारों चौकीदारों को मेडिकल भिजवाया। साथ ही बाकी तीन मामूली रूप से झुलसे थे। जिनको सीएचसी पर इलाज के लिए भेज दिया गया।

यह थी असलियत
पुलिस के अनुसार वर्ष 2011 में मुकदमा संख्या 377 के तहत अवैध पटाखे बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। जिसमें भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया था। आरोपी जेल भी गए थे। जिसमें पुलिस की खासी लापरवाही सामने आई। पूरी घटना लापरवाही का नतीजा बताया गया। जो विस्फोटक आज जान पर बन आया वह अधिकारियों से अनुमति लेकर डिस्पोज किया जा सकता था। लेकिन किया नहीं गया। जिससे आज यह दिन देखने को मिला। इस मामले में एसपी देहात ने जांच बैठा दी है। वहीं सूचना के बाद बदहवास हालत में पहुंचे चौकीदारों के परिजनों को ढाढस बंधाया गया.

"थाने में नए दीवान ने चार्ज लिया है। जो मालखाने के माल का मिलान करवा रहा था। वहीं 2011 में अवैध पटाखे बनाने का काम करने वाले पकड़े गए थे। इनसे बरामद पटाखे कोठरी में 2011 से रखे थे। दीवान ने चार्ज लेते समय पटाखे बाहर निकलवाकर रख दिए। वहीं पास में कूड़े के ढेर में आग लगा दी। कूड़े में कोई पटाखा था जो फट गया और चिंगारी पास में रखे पटाखों के ढेर में जा गिरी। इस मामले में जांच कराई जाएगी, कि इतना विस्फोटक इस तरह से नहीं रखा जाता। यह एक लापरवाही है। इसकी अनुमति लेकर डिस्पोजल किया जा सकता है। यह पुलिस कमी रही."
- एमएम बेग, एसपी देहात