- शहर के अलग-अलग इलाकों में चल रही है अवैध पटाखा बनाने की फैक्ट्रीज

-चेतगंज में पिछले दिनों अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में जा चुकी है छह जानें

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तो क्या अपना बनारस बारुद के ढेर पर बैठा है? ये सवाल उठना लाजिमी है। क्योंकि मंडुआडीह में एक टन से ज्यादा विस्फोटक का मिलना और उससे पहले चेतगंज के पितरकुंडा में मकान में अवैध रुप से रखे विस्फोटक में आग लगने से हुए धमाकों में छह लोगों की मौत होना और इसके बाद भी लगातार यहां से देशी बमों और विस्फोटक का मिलते रहना ये सवाल खड़ा कर रहा है। इसके बाद भी पुलिस और प्रशासनिक महकमा इस बड़े खतरे को लेकर जरा भी अलर्ट नहीं हो रहा है। जबकि अभी विधानसभा चुनावों के अलावा कई त्यौहार आने वाले हैं। ऐसे में यदि समय से नहीं चेता गया तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

फेल है खुफिया तंत्र

इस पूरे मामले में जहां पुलिस और प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है वहीं सबसे बड़ा सवाल तो खुफिया विभाग के लोगों पर खड़ा हो रहा है। क्योंकि लोकल इंटेलिजेंस से लेकर केन्द्रीय खुफिया एजेंसियां सभी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण बनारस में होने वाली हर छोटी बड़ी एक्टिविटी पर नजर रखने का दावा करती हैं। लेकिन ये दावा कहां तक हकीकत में उतर रहा है ये लगातार बरामद हो रहे विस्फोटक के बाद साफ हो जाता है। खुफिया विभाग इस पूरे मसले में कोई भी अपडेट लेने में पूरी तरह से फेल है। जिसके चलते पब्लिक हर पल डरकर जीने पर मजबूर है।

फायर डिपार्टमेंट फिसड्डी

इस बरामदगी के बाद सवालों के घेरे में फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट भी है। क्योंकि बगैर एनओसी के शहर में धड़ल्ले से पटाखा फैक्ट्रीज संचालित हो रही हैं। लेकिन डिपार्टमेंट को कानों कान खबर भी नहीं है। जबकि बगैर इनकी परमिशन के किसी भी इलाके में विस्फोटक पदार्थ बनाने का कारखाना संचालित हो ही नहीं सकता। वहीं डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी भी है कि ऐसी अवैध फैक्ट्रीज की जानकारी लेकर प्रशासन को इससे अवगत कराये लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

कब हुई घटना

- 25 अक्टूबर को अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में छह की मौत।

-18 नवंबर को सुतली बम के ब्लास्ट होने से एक घायल।

- 20 दिसंबर को नाली में फेंके मिले सुतली बम।