नहीं है जानकारी

ब्लड बैंक में स्टोर ब्लड की जानकारी जिम्मेदारों तक को नहीं है। ब्लड स्टॉक पोजीशन का बोर्ड तो इसी सच्चाई का खुलासा करता है। इस बोर्ड में ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव, बी पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव, ओ पॉजिटिव और निगेटिव ब्लड ग्रुप के स्टॉक की   जानकारी रखनी होती है लेकिन पिछले कई दिनों से यह बोर्ड अपडेट ही नहीं किया गया है। वहीं फ्रिजर में रखे गए ब्लड बैग्स और सोर्सेज बैंक में 6-7 यूनिट ब्लड ही अवेलेबल होने की पुष्टि करते हैं।

डिलीवरी केसेज में दिक्कत

ब्लड बैंक में ब्लड बैग्स की कमी का सबसे बड़ा खामियाजा एनीमिया या डिलीवरी वाली वीमेन को होता है। सोर्सेज के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में रोजाना 60-70 डिलीवरी के केस होते हैं। ऐसे में ब्लड एक्सचेंज पॉलिसी के तहत कोई भी ब्लड डोनेट कर बदले में रिक्वायर्ड ब्लड ले सकता है, लेकिन यहां के ब्लड बैंक में गिने-चुने ब्लड बैग्स ऐसी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते। अगर साथ आए अटेंडेट्स में किसी का ब्लड ग्रुप मैच नहीं होता तो मजबूरी में आईएमए या दूसरे ब्लड बैंक का सहारा लेना पड़ता है।

नहीं होते promotional camp

डोनर्स को ब्लड बैंक तक लाने में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल सफल नहीं है। वहीं प्रमोशनल एक्टिविटीज कराने में भी हॉस्पिटल फिसड्डी साबित हुआ है। महीनों से कोई ब्लड डोनर कैंप नहीं लगवाया गया। सुस्ती इसी से साफ हो जाती है कि 14 जून को जब कई ब्लड बैंक 'वल्र्ड डोनर्स डेÓ के तहत जरूरतमंदों के लिए ब्लड बैग्स के इंतजाम में जुटे थे, तब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ब्लड बैंक में सन्नाटा पसरा था।

जंग खा रही machine

वैसे तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का ब्लड बैंक आधुनिक ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन से इक्विप्ड है। ये मशीन ब्लड के आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा जैसे इंपॉर्टेंट    कंपोनेंट्स को अलग करने में इस्तेमाल होती है। लेकिन ब्लड की कमी होने के चलते यह महीने में एक-दो बार ही यूज हो पाती है। नतीजा ये है कि मशीन और टेक्निकल स्टाफ वेस्ट हो रहा है और जरूरतमंदों को परेशान होना पड़ रहा है।

Salary लाखों की, काम सिफर

बैंक में तीन डॉक्टर्स व पांच टेक्निकल स्टाफ सहित फोर्थ क्लास कर्मचारियों की ड्यूटी है। इनकी मंथली सैलरी का टोटल ढाई से तीन लाख रुपए है। वहीं इस सैलरी के कंपेरिजन में होने वाला काम ना के बराबर ही है। सोर्सेज का कहना है कि दूसरे स्टैंडर्ड ब्लड बैंक के मुकाबले यहां ना तो काम होता है और ना ही लोगों को सुविधा मिलती है।

Positive blood group भी नदारद

ब्लड बैंक में रखे जाने वाले ब्लड की उम्र 35 दिन होती है। निगेटिव ग्रुप वाले ब्लड की डिमांड कम होने और रेयर होने से इनका स्टोरेज भी अमूमन कम ही किया जाता है। पर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में निगेटिव तो दूर की बात पॉजिटिव ग्रुप के ब्लड बैग्स भी नदारद हैं। मंडे को राघवपुरा गांव से आई एक महिला को अपनी डिलीवरी के लिए 'बी' पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की जरूरत पड़ी लेकिन ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड नहीं था। इस वजह से उसके रिलेटिव्ज ब्लड एक्सचेंज भी नहीं कर सकते थे। थोड़ी देर बाद सेम ब्लड ग्रुप वाले एक रिलेटिव आए, तब ब्लड अरेंज हुआ।